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कोरोना महामारी में विद्यार्थी क्या कर रहे हैं? क्लास करना, असाइनमेंट करना, रात का खाना खाना, सोना और अगले दिन फिर से यही।
कोविड महामारी के इस तनावपूर्ण समय में एक स्टूडेंट होना आसान नहीं है, यह एक आंतरिक संघर्ष है जिसका हर एक इंसान, जो किसी चीज़ की पढ़ाई कर रहा है, उसका सामना कर रहा है। पढ़ाई पहले से ही स्टूडेंट के लिए तनावपूर्ण होती है, लेकिन इस कोरोना की महामारी में यह अधिक तनावपूर्ण साबित हो रही है।
कोरोना महामारी में लगभग हर विद्यार्थी एक साल से अपने घरों और कमरों में कैद है, क्लास कर रहा है, परीक्षा दे रहा है और अब एक साल बाद ज़ाहिर सी बात है कई लोगों का दम घुटने लगा है। ऐसे में कैसे काट रहे हैं हम अपने दिन?
इसके अलावा, जब आप संयुक्त परिवार के साथ रहते हैं तो घर से स्कूल करना आसान नहीं होता है, छोटे घरों में रहने वाले लोगों के लिए और भी कठिन होता है। गोपनीयता या एकाग्रता के लिए कोई जगह नहीं है, लेकिन हर कोई अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहा है। तो ज़ाहिर सी बात है कि कोरोना महामारी में हर विद्यार्थी परेशान है।
और अब कोविड के इस दूसरे वेव के तनाव के साथ, हम सभी मानसिक रूप से और अधिक संघर्ष कर रहे हैं। दुनिया में जो कुछ भी हो रहा है, उसमें स्ट्रेस एक ऐसी चीज है जिसका हम सभी सामना कर रहे हैं। अपने परिवार और खुद का ख्याल रखना और हर रोज विभिन्न दुखद समाचार पढ़ना सभी के लिए मानसिक रूप से तनावपूर्ण है।
जब पिछले साल हमा सभी के जीवन ने 360 डिग्री मोड़ लिया, एक घरेलू और अंतर्मुखी व्यक्ति के रूप में, मैं और मेरी सोशल ऐंज़ाइयटी कॉलेज नहीं जाने के ख्याल से अधिक खुश थे।
शुरुआत में तो ठीक था। मैंने अपनी क्लासेस अपने घर के आराम से की। लेकिन फिर यह नीरस लगने लगा। हर रोज एक ही काम करना – जागना, स्क्रीन के माध्यम से कक्षाएं करना, सोना (बीच-बीच में कुछ खा भी लेना) और फिर अगले दिन यही दोहराना।
ईमानदारी से कहूँ तो मुझे पूरा यकीन है कि पिछले साल से मेरी आईक्यू कम हो चुकी होगी।
पर एक समय के बाद अकेलापन महसूस होने लगा। कोई दोस्त नहीं थे, या पर्यावरण का परिवर्तन नहीं था। मुझे अचानक अपने कॉलेज की बेंच या कैंपस में बिताए गए समय की याद आ रही थी, वहाँ बस बैठकर गाना सुनना और यहाँ तक की वह कीचड़ वाले फ़ील्ड जिसने मेरे बीचरे सफ़ेद जूतों को भूरा कर दिया है, उसकी भी याद आने लगी।
मुझे अकेले रहने का आनंद लेना चाहिए था लेकिन अपने दोस्तों की उपस्थिति से मिलने वाले सुख की अब मुझे कमी महसूस हो रही थी।
और एक संयुक्त परिवार में रहने, और 3 लोगों के साथ एक कमरा शेयर करना, ऐसे में पढ़ाई का माहौल बनाना आसान नहीं है जैसा कि एक स्कूल या कॉलेज में होता है। साथ ही ऑनलाइन क्लास के बीच किसी का फ़ोन बजना, तो किसी के चिलाने की आवाज़ भी पीछे से आ जाती थी। कभी-कभी तो पूरा का पूरा इंसान ही पीछे खड़ा होता था।
घर और कमरा, एकांत के साथ-साथ वह वातावरण भी प्रदान नहीं कर सकता जो एक कॉलेज या स्कूल कर सकता है। घर और शिक्षा जीवन के बीच अलगाव की वह रेखा अब न के बराबर हो गयी है। और यह इन 4 दीवारों के बीच निराशाजनक और दम घुटने वाला लगता है।
सभी को अभी अपने घरों के अंदर रहना चाहिए, अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए। लेकिन घुटन और हताशा, उस तनाव और चिंता को और बढ़ाती है जो असाइनमेंट, परीक्षा और पढ़ाई के साथ आती है। और यह महसूस करना वाजिब है। हमें शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ अपने मानसिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखने की आवश्यकता है।
इस तनावपूर्ण समय में, करोना होने के तनाव या लोगों को खोने के डर के बीच, असाइनमेंट और परीक्षा मानसिक रूप से हम पर एक अतिरिक्त भार की तरह महसूस होता है। और जबकि कभी-कभी यह आपको दुनिया में हो रही हर चीज से विचलित कर सकते हैं, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि छात्रों के रूप में हम संघर्ष कर रहे हैं, विशेष रूप से एकाग्रता विभाग में।
यह कठिन समय है, और ऐसे में फंसा हुआ और निराश महसूस करना वाजिब है। लेकिन मैं एक कोशिश करती हूँ, सांस लेने की और अपने मानसिक स्वास्थ की देखभाल करने की। मैं जानती हूँ कि हम इससे निपट लेंगे।
मैं और मेरी उम्र के लोग समझते हैं कि यह भी बीत जाएगा, और एक आशा की किरण जगाते हुए सोचते हैं कि जब बच्चे भविष्य में स्कूल न जाना चाहेंगे, तो हम कह सकते हैं, “तुम्हारी उमर में तो हम चाह के भी रोज़ स्कूल नहीं जा पाते थे…”
मूल चित्र: FilterCopy Via Youtube
A student with a passion for languages and writing. read more...
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