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नेकी की राह पर चलना, धर्म कर्तव्य को निभाना, खुद को खुद के लिए भी जीने को समझना - जीवन की हर सीख मेरी प्यारी माँ ही सिखाती है।
नेकी की राह पर चलना, धर्म कर्तव्य को निभाना, खुद को खुद के लिए भी जीने को समझना – जीवन की हर सीख मेरी प्यारी माँ ही सिखाती है।
अंधेरे को देख जब मैं डर जाया करती थी,
माँ के होंसला देने से निडर बन ज़ाया करती थी।
गलती होने पर जब सहम जाया करती थी,
एक बार और प्रयास कर, वो हमेशा सिखाया करती थी।
मुश्किलों से जब थकने लगती थी,
अपना हाथ सर पर फेर नयी चुनौतियों के लिए,
वो मुझे तैयार किया करती थी।
गलती ना हो तो झुकना नहीं सिखाती थी,
सही के लिए तूफ़ानों से टकराना भी वही सिखाया करती थी।
भीड़ में अकेले रहने को भी जो जज़्बा बताती थी,
नेकी की राह पर एकाकी होने को जो हुनर बताती थी।
धर्म कर्तव्य को निभाना जो हमेशा सिखाती थी,
खुद को खुद के लिए भी जीना है वो मुझे समझाती थी।
वो कोई ओर नहीं वो तो मेरी प्यारी माँ मुझे सिखलाती थी।
मूल चित्र: DOMS India/ Youtube
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