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वहाँ मेरे आत्मसम्मान को ठेस पहुंची है, मेरे चरित्र पर उंगली उठी है और मुझ पर उंगली उठाने वाला कोई और कोई नहीं मेरा ही जीवन साथी है।
उसकी आंखों से निकलते हुए आंसू उसके दर्द को बयान कर रहे थे। टूट कर बिखर गई थी मेरी प्यारी ननद रीमा। मुझे तो लगा था कि सब कुछ ठीक है, लेकिन नहीं जानती थी की उसके पति और ससुराल वालों की सोच इतनी गिरी हुई निकलेगी।
कोई कैसे अपने घर की बहू पर इतना बड़ा इल्जाम लगा सकता है? वह भी बिना किसी सबूत के। हैरान तो मैं भी बहुत थी, लेकिन इस समय सबसे ज्यादा जरूरी था रीमा को संभालना।
“रीमा अब बस कर। देख तेरी बेटी भूख से तड़प रही है उसे दूध पिला। एक बात बता तूने कुछ खाया है? तेरी शक्ल से ही पता चल रहा है, रुक मैं कुछ लेकर आती हूँ। तू खाएगी नहीं तो बच्ची को दूध कैसे आएगा? पागल हो गई है तू भी। किसी और का ना सही अपनी बच्चे के बारे में तो सोच।” इतना कहकर मैं किचन में चली गई और फटाफट खाना परोस कर ले आई।
रीमा को दूध और दलिया बहुत पसंद है और इसीलिए मम्मी ने वही बनाया था। दूध दलिया खाकर रीमा ने बच्चे को दूध पिलाया और उसे सीने से लगाकर सुलाने की कोशिश करने लगी और मैं उसके पास बैठकर उसे सुलाने की कोशिश करने लगी।
थोड़ी ही देर सर पर हाथ फेरने के बाद रीमा सो गई और उसकी लाडली बेटी भी। थोड़ी देर बाद मैं मम्मी जी के कमरे में गए क्योंकि फिलहाल मुझे भी अधूरी बात ही पता थी।
“मम्मी जी, रीमा और छोटी गुड़िया दोनों सो गई है। अब बताइए, आखिर हुआ क्या? अभय ने भी मुझे पूरी बात नहीं बताई। जब मैं टूर पर गई थी तब तो सब कुछ बिल्कुल ठीक था और जब वापस आई तो…”
“बस बेटा सब नियति का खेल है। रीना के ससुराल वालों के दिमाग में यह सब कुछ तो शायद पहले ही चल रहा था। इसीलिए तो डिलीवरी के 15 दिन में उसे आराम करने के बहाने से मायके भेज दिया। पर समझ नहीं आता दामाद जी के दिमाग में ऐसी घटिया बाद आ भी कैसे सकती है!” मम्मी जी ने भरे गले से कहा।
“मम्मी जी प्लीज पहेलियाँ मत बुझाइए। जो भी बात है साफ-साफ बता दीजिए मेरी बेचैनी बढ़ती जा रही है।”
“बेटा दामाद जी को लगता है कि गुड़िया उनकी बेटी नहीं है, किसी और की है।”
“क्या? इतनी घटिया बात वो बोल भी कैसे सकते हैं? उनकी नहीं तो क्या किसी और की बेटी है? ऐसी बात बोलते हुए उन्हें शर्म नहीं आई। अपनी ही पत्नी अपने घर की बहू के ऊपर ऐसा इल्जाम लगा रहे हैं। समझ में नहीं आता किस जमाने में रह रहे हैं यह लोग।”
“कह रहे हैं की शादी के 9 महीने के अंदर ही बेटी हुई है और वह भी पूरी तरीके से स्वस्थ है। इसीलिए उन्हें शक है कि रीमा का शादी से पहले किसी के साथ…” इतना कहते-कहते मम्मी जी फफक कर रो पड़ी।
उनकी बेटी के दामन पर उन्हीं के दामाद ने ऐसा इल्जाम लगाया था की वह तो मानो सदमे में ही आ गए थी।
“नहीं मम्मी जी। आप हिम्मत रखिए। ऐसा कुछ भी नहीं है। मैं जानती हूँ रीमा को। आज से नहीं बचपन से जानती हूँ मैं उसे। वह ऐसा कभी नहीं कर सकती। भाभी तो मैं उसकी बाद में बनी हूँ पहले उसकी सहेली हूँ मैं। कोई कुछ भी कहे मैं नहीं मान सकती और मैंने रीमा को समझाया भी था कि इतना जल्दी बच्चे के बारे में नहीं सोचना लेकिन शुरुआत में वह शर्म और झिझक की वजह से दामाद जी से खुलकर कुछ कह नहीं पाई और ना चाहते हुए भी प्रेगनेंट हो गई और यह बात मैं जानती हूँ। क्योंकि उसने मुझे बताया था।”
“और आप चिंता मत कीजिए मम्मी जी उनको गलत साबित करने के लिए हम कुछ भी करेंगे। रीमा पर मुझे पूरा भरोसा है वह गलत नहीं है मम्मी जी।” इतने में ही दरवाजे के बाहर खड़ी हुई रीमा अंदर आ गई।
“सही कहा भाभी तुमने। मैं गलत नहीं हूँ और मैं जानती हूँ कि आप सबको मुझ पर पूरा भरोसा है, लेकिन फिर भी इस समय मुझे लगता है कि मुझे डीएनए टेस्ट करवाना जरूरी है क्यूंकि मैं जानती हूँ मैं सही हूँ। और भाभी यह टेस्ट सिर्फ इसलिए होगा ताकि मैं ये सबूत रहे की मैं नहीं वो गलत हैं। लेकिन मैं उस घर में दोबारा नहीं जाऊँगी चाहे कुछ भी हो जाए।
वहाँ मेरे आत्मसम्मान को ठेस पहुंची है, मेरे चरित्र पर उंगली उठी है। और मुझ पर उंगली उठाने वाला कोई और नहीं वह इंसान है जिस पर भरोसा करके शादी के पवित्र बंधन में बंध कर गाने-बाजे के साथ उस घर में गई थी। जब उसे ही मुझ पर भरोसा नहीं तो फिर वहाँ रहने का फायदा भी क्या? भाभी, रहने दोगी ना मुझे अपने घर में?”
“पागल हो गई है क्या? दो थप्पड़ लगाऊँगी तुझे। मुझसे पहले यह तेरा घर है समझी। और सुन तेरे पूरे परिवार को तुझ पर पूरा भरोसा है और हम हमेशा तेरे साथ है और रहेंगे।”
मेरे मुंह से निकले ये शब्द शायद रीमा के दिल तक पहुंच चुके थे। इसलिए उसने मुझे अपने गले से लगा लिया। आंसुओं की कुछ बूंदे मेरे गालों पर भी आ चुकी थी और मम्मी जी का हाथ हम दोनों के सर पर था।
मूल चित्र: Still from November Story, DisneyPlus Hotstar
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