कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
और वो सोचने लगी कि क्या इस रिश्ते में पत्नी की सहमति भी कुछ मायने रखती है या ये रिश्ता सिर्फ पति की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए बनाया गया?
“प्लीज़ रुद्र आज मेरा मन नहीं है।”
प्राची के इतना कहते ही रुद्र ने उसका हाथ झटक दिया और बड़बड़ाते हुए बिस्तर के दूसरी तरफ़ पलटा।
फिर अचानक ग़ुस्से में उठा और प्राची के साथ ज़बरदस्ती करने लगा। आख़िर अपने मन की करके ही वो फिर आज सोया।
सन्न सी रह गई प्राची! दो साल में कितनी बार मना करने पर भी रुद्र अपने मन की करता है। ना चाहते हुए भी वो उसे हटा नहीं पाती। पर क्या उसे इतना भी अधिकार नहीं है कि एक दिन उसके थके होने पर या इच्छा ना होने पर उसका पति उसकी भावनाओं की कद्र करे।
क्या ये बलात्कार नहीं है?
शायद ये केवल प्राची की समस्या नहीं है। भारत में शारीरिक सुख के लिए महिलाओं की इजाज़त कभी कोई विषय ही नहीं रहा है क्योंकि प्राचीन काल से ही ये मान लिया गया है कि इस विषय पर महिलाओं की राय या इच्छा का कोई महत्त्व नहीं है।
ये पूरी तरह पुरुषों का अधिकार है कि वे किसी भी समय मर्ज़ी या बिना मर्ज़ी के अपनी पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बना सकते हैं। या सीधे शब्दों में कहूँ तो उनके साथ कभी भी बलात्कार कर सकते हैं।
इस विषय पर लिखने या बोलने वालों की निर्लज्ज ही समझा जाता है क्योंकि भारतीय समाज के अनुसार यह कोई समस्या ही नहीं है।
सभी स्वीकार करते हैं कि बलात्कार का संबंध सेक्स से कम और नारी पर अपनी शक्ति के प्रदर्शन से अधिक है।
यह पति–पत्नी संबंधों में अपनी सत्ता के अधिपत्य से कहीं ना कहीं जुड़ा है और इसका एकमात्र उद्देश्य यही दिखाना है कि पति हर हाल में पत्नी का स्वामी होता है। अक्सर इस प्रकार के वैवाहिक बलात्कार की शिकार पत्नियाँ पति की शारीरिक और मानसिक हिंसा को झेलने के लिए भी बाध्य होती हैं।
भारतीय समाज में सेक्स के लिए क्या स्त्रियों की मर्ज़ी चलती है? क्या उनको ना करने का अधिकार है?
हमारे समाज में घरेलू हिंसा एक गंभीर समस्या है और कुछ वर्षों से इसमें बढ़ोतरी ही हुई है।
पत्नी की इच्छा के विरुद्ध संबंध बनाना या सीधे कहें तो वैवाहिक बलात्कार भी घरेलू हिंसा का ही एक रूप होता है। भारत में आज भी इस कृत्य को अपराध की श्रेणी में नहीं रखा गया है हालाँकि विश्व के सौ से अधिक देशों में वैवाहिक बलात्कार को एक जघन्य अपराध माना गया है।
महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई बदलाव आपराधिक कानूनों में किये गए हैं लेकिन आज भी भारत में परंतु वैवाहिक बलात्कार को एक अपराध ना मानना स्त्रियों की मर्यादा तथा उनके अधिकारों का हनन ही है।
भारत में एक पुरुष और एक स्त्री के विवाह होने का अर्थ है कि वे संभोग के लिए सहमत हैं और उनके संबंध में विरोध हो ही नहीं सकता है।
पर बिना स्त्री की सहमति के हम उसके शरीर पर अधिपत्य नहीं जमा सकते यह बात सभी पुरुषों को समझ लेनी चाहिए और इस सत्य को स्वीकार करना चाहिए कि अब रिश्ते में पत्नी की सहमति भी आवश्यक है फिर चाहे वो घर का इंटीरियर हो, सोफों और पर्दों का रंग का चुनाव हो या शारीरिक संबंधों की बात हो।
मूल चित्र : Still from Short Film, Teen Talaaq/PocketFilms, YouTube
I am Shalini Verma ,first of all My identity is that I am a strong woman ,by profession I am a teacher and by hobbies I am a fashion designer,blogger ,poetess and Writer . मैं सोचती बहुत हूँ , विचारों का एक बवंडर सा मेरे दिमाग में हर समय चलता है और जैसे बादल पूरे भर जाते हैं तो फिर बरस जाते हैं मेरे साथ भी बिलकुल वैसा ही होता है ।अपने विचारों को ,उस अंतर्द्वंद्व को अपनी लेखनी से काग़ज़ पर उकेरने लगती हूँ । समाज के हर दबे तबके के बारे में लिखना चाहती हूँ ,फिर वह चाहे सदियों से दबे कुचले कोई भी वर्ग हों मेरी लेखनी के माध्यम से विचारधारा में परिवर्तन लाना चाहती हूँ l दिखाई देते या अनदेखे भेदभाव हों ,महिलाओं के साथ होते अन्याय न कहीं मेरे मन में एक क्षुब्ध भाव भर देते हैं | read more...
Please enter your email address