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राम गोपाल वर्मा ने अपनी फिल्म डेंजरस में लड़कियों के शरीर को ओबजेक्टिफ़्य करके, इसे गंदे तरीके से लोगों के सामने पेश करने की कोशिश की है।
राम गोपाल वर्मा का कंट्रोवर्सिज से एक ऐसा नाता है, जिसे वह कभी छोड़ नहीं सकते। अपने फिल्मों से ज्यादा राम गोपाल वर्मा अपने बयानों से चर्चा का विषय बने रहते हैं। राम गोपाल वर्मा की फिल्में भी ऐसी ही होती हैं, जिसे वह खुद सेंसेशनल बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ते ताकि लोगों के बीच ओछी प्रसिद्धि मिलती रहे।
हाल ही के दिनों में उन्होंने अपने टि्वटर पर अपनी फिल्म डेंजरस का पोस्टर साझा करते हुए लिखा है, “दो महिलाएं पुरुषों के साथ बेहतर संबंध नहीं होने के कारण एक दूसरे के करीब आती हैं और लोगों से बदला लेने लगती हैं। यह एक लेस्बियन क्रिमिनल माइंड पर आधारित फिल्म है।”
राम गोपाल वर्मा का ट्विट उस समय तक साधारण रहता, जब उसमें डेंजरस शब्द का इस्तेमाल एक बार या दो बार हुआ होता लेकिन दो टके की प्रसिद्धि बंटोरने के लिए डेंजरस शब्द का इस्तेमाल ही कई बार किया गया है। क्या यह एक लेस्बियन पर आधारित कहानी है इसलिए इसे सेंसेशनल बनाने का प्रयास किया गया है?
राम गोपाल वर्मा ने ना केवल एक फिल्म को प्रमोट करने के लिए लेस्बियन कपल्स को टारगेट किया है, बल्कि पूरी LGBTQ कम्युनिटी को बदनाम करने की कोशिश की है।
यह एक साधारण क्रिमिनल स्टोरी भी हो सकती थी, मगर राम गोपाल वर्मा ने लड़कियों के शरीर को ओबजेक्टिफ़्य करने के लिए इसे गंदे तरीके से लोगों के सामने पेश करने की कोशिश की है।
LGBTQ कम्युनिटी को लोग अब स्वीकर रह रहे हैं, ऐसे में राम गोपाल की ऐसी फिल्म का आना और पोस्टर का लोगों के बीच LGBTQ कम्युनिटी को लेकर नेगेटिविटी भर सकता है। फिल्मों को समाज का आइना कहा जाता है, मगर राम गोपाल वर्मा का पोस्टर लोगों के बीच गलत धारणा विकसित करेगी।
राम गोपाल का विवादों से बहुत गहरा नाता रहा है। उन्होंने श्री देवी के जांघों पर भी एक बार ट्विट करते हुए कहा था कि वह उनके जांघों की सुंदरता के लिए ही उन्हें पसंद करते हैं। वहीं अगर बात स्टारडम की आती है, तब स्मिता पाटिल भी बेहतर साबित हो सकती हैं, क्योंकि उनकी जांघे भी आकर्षक हैं।
राम गोपाल वर्मा ने मिया मालकोवा की फिल्म के पोस्टर के साथ भी ट्वीट करके कहा था कि “मैं सच में विश्वास करता हूं कि इस दुनिया में एक औरत के शरीर से ज्यादा सुंदर और याद रखने योग्य कोई जगह नहीं है।”
राम गोपाल वर्मा ने अपनी फिल्म आग की तुलना सरकार के स्वच्छ भारत अभियान से की थी और उसे बेकार करार दिया था।
राम गोपाल वर्मा एक बेहद निराशाजनक छवि वाले पुरुष हैं, जिनके लिए निराशा और विवाद ही जीने के दो पहलू हैं।
एक पुस्तक समीक्षा में मैंने उनकी किताब “Guns and Thighs” को लेकर एक फिल्म समीक्षक के शब्दों को पढ़ा था, जिसमें उन्होंने लिखा था कि राम गोपाल वर्मा किसी एक काम पर कभी भी टिक कर रहने वाला इंसान नहीं है। उसके जीवन में निराशा का पुट इतना ज्यादा है कि उसे केवल अंधकार ही नज़र आता है।
मूल चित्र: Via Twitter
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