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राधे – योर मोस्ट वांस्टेड भाई में किसी भी हीरोइन का होना ज़रूरी नहीं था

ईद के मौके पर सलमान खान की ईदी उनकी फ़िल्म राधे - योर मोस्ट वांस्टेड भाई, निराश भी करती है महिलाओं के छवि को लेकर।

ईद के मौके पर सलमान खान की ईदी उनकी फ़िल्म राधे – योर मोस्ट वांस्टेड भाई, निराश भी करती है महिलाओं के छवि को लेकर।

ईद के मौके पर बालीवुड के भाई जान सुपरस्टार सलमान खान ने अपने चाहने वालों के लिए सिनेमाघरों के खुलने का इंतजार नहीं करते हुए, अपनी फिल्म “राधे” ओटीटी प्लेटफार्म जी 5 पर रिलीज किया। सलमान खान के चाहने वालों के लिए यह ईद के ईदी की तरह ही थी।

सलमान के प्रसंशकों के बीच उनकी नई फिल्म “राधे” को लेकर गज़ब का उत्साह है, जो देखते ही बनता है। यदि आप सलमान खान के फ़ैन हैं तो भी आपको राधे जैसी फिल्मों का इंतजार तो नहीं ही करना चाहिए, लेकिन अगर आपको रेस 3, दबंग 3 जैसी फिल्में पसंद आयी तो राधे भी पसंद आएगी।

इस तथ्य से कोई इंकार नहीं कर सकता है कि सलमान खान हिंदी फिल्मों के बहुत बड़े सेलिब्रेटी हैं। उनका होना ही किसी फिल्म के कामयाबी का सबसे बड़ी यूएसबी है, किसी फिल्म में उनकी मौजूदगी ही किसी फिल्म की सफलता का बहुत बड़ा प्लस प्वाइंट बन जाता है। फिर चाहे फिल्म कैसी भी हो। 

क्या है राधे की कहानी

दिल्ली से मुबंई राणा (रणदीप हुडा) दो आदमियों के साथ आता है, तीनों सनकी और बेहद हिंसक है, उनका कोई रूल नहीं है। वह मुबंई के हर जगह नशे के व्यापार से मुनाफा कमाना चाहते है।

इनसे निपटने के लिए मुबंई पुलिस एनकाउंटर स्पेशलिस्ट राधे को बुलाया जाता है जो कई एनकाउंटर कर चुका है और कई शहरों से उसका तबादला होते रहता है। राधे इन माफियाओं से भी निपटता है और अपने सीनियर अफसर (जैकी श्रांफ) की बहन दीया (दिशा पाटनी) से रोमांस भी करता है।

इस एक्शन-ड्रामा कहानी में निर्देशक प्रभु देवा ने कांमेडी, रोमांस, एक्शन और गाने सब कुछ रखा है। सलमान खान के फिल्मों का एक अपना समूह है। उनके फ़ैन को उनकी फिल्म में तमाम झोल के बाद भी, उनकी फिल्में पसंद आती हैं। वैसे ही राधे उन फैंस को ही पसंद आयेगी। 

क्या निराश करता है राधे – योर मोस्ट वांस्टेड भाई की कहानी में

राधे की कहानी सुनाने में जिस तरह से अभिनेत्री या महिला चरित्र सामने आती है वह बहुत अधिक निराशाजनक है। पूरी कहानी में दीया और एक महिला पुलिस अफिसर, दो मुख्य महिला पात्र दिखाए गए है, जो न ही अपने अभिनय से कोई प्रभाव छोड़ पाते है न ही उनका चरित्र कहानीं में सही तरीके से लिखा गया है।

दीया का चरित्र कहानी में बस हिरोइन की खाली जगह भरता है, तो महिला पुलिस आफिसर का चरित्र विलेन के हिंसक रूप को देख घबरा जाता है और पुलिस आफिसर की नौकरी छोड़ना चाहता है।

जबकि हम सभी जानते है के समान्य जीवन में एक साधारण महिला भी कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। साथ ही साथ पुलिस फोर्स में भी महिलाओं ने एक से एक बेमिसाल काम किए हैं। फिर वह फिल्म जो एक बहुत बड़े दर्शक वर्ग तक पहुंच रही है उसमें महिलाओं के चरित्र को सतह से नीचे दिखाने का औचित्य क्या है? क्या यह निराश करने वाली बात नहीं है?

सलमान खान अपनी फ़िल्मों में महिलाओं का सम्मानजनक चित्रण क्यूँ नहीं दिखा पाते? 

सलमान खान अपने फिल्मों में महिलाओं के बेमिसाल और सम्मानजनक चरित्र रखकर अपने लाखो-करोड़ों चाहने वालों के मन में महिलाओं के लिए सम्मानजनक छवि को क्यों नहीं रचना चाहते हैं? पिछले सालों इनकी जितनी फिल्में आयीं, उनमें हेरोइन का न होना ज़्यादा अच्छा रहता।  क्या इन्हें हेरोइन सिर्फ गानों के लिए चाहिए?

उन फिल्मों को छोड़ें, इसी फिल्म की बात करें तो, क्या रोल है इस फिल्म में महिलाओं का? 

इससे कभी-कभी यह लगता है कि बतौर व्यक्ति भी नैतिक रूप से वह महिलाओं के सम्मानजनक छवि के लिए ईमानदार नहीं है। अगर होते है तो अपने फिल्मों में महिलाओं के आत्मनिर्भर और सशक्त छवि को रचने और गढ़ने के प्रति भी बहुत अधिक संजिदा होते।

बीइंग ह्यूमन जैसे बड़े ब्रांड के प्रमोटर के तौर पर सलमान खान का बीइंग ह्यूमन जैसी मानवीय और संवेदनसील छवि महिलाओं के अस्मिता के प्रति भी उनके फिल्मों में भी दिखे, तो दर्शकों पर भी गहरा प्रभाव छोड़ने में शायद कामयाब होगी।  

इसलिए ईद के मौके पर सलमान खान की राधे – योर मोस्ट वांस्टेड भाई अपनी बेकार की हीरोपंती से निराश करती है खासकर महिलाओं के छवि निमार्ण को लेकर। 


मूल चित्र: Stills from movie Radhe

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