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आज मुंबई के फेमस ‘गुज्जु बेन ना नास्ता’ की उर्मिला अशर हमें बताती हैं कि होममेड खाने का बिजनेस कैसे शुरू करें और वो करती क्या हैं।
कोविड 19 के लॉक डाउन में आपने भी कई उम्मीदों भरी कहानियाँ सुनी होंगी कि कैसे लोग इसमें अपने हौसले से हिम्मत नहीं हारे। आज वैसी ही एक कहानी है 77 साल की महिला की जिन्होंने अपने तीनों बच्चों को खोने के बाद भी उम्मीद रखी और अपना बिज़नेस शुरू किया।
इनसे वो करती क्या है सीरीज़ की अगली कड़ी में आज जानेंगे होममेड खाने के बिजनेस के बारे में और जानेंगे कि इसमें काम कर रही महिलाओं का दिन कैसा गुज़रता है यानी वो करती क्या हैं? और ये हमें बता रही हैं हमारी गोल्डन एंटरप्रेन्योर उर्मिला अशर।
टिफ़िन सर्विसेज से लेकर अचार बेचने तक, 77 साल की उम्र में इन्होंने ‘गुज्जु बेन ना नास्ता’ नाम से स्ट्रिक्टली होममेड खाने के आइटम्स का बिज़नेस शुरू किया है। उर्मिला जमनादास अशर पिछले 25 सालों से खाना बनाने का काम कर रही हैं।
आज, गुज्जु बेन सप्ताह में 80 घंटे काम करती हैं, रोजाना सुबह के पहले ऑर्डर से लेकर रात के आखिरी ऑर्डर तक बिना ब्रेक के खाना बनाती हैं।
उर्मिला अशर ने अपने तीनों बच्चों को कम उम्र में ही खो दिया और जब उनके पोते हर्ष अशर का भी एक्सीडेंट हो गया तो लॉक डाउन में अपने परिवार की मैजिक वॉड बनकर होममेड फ़ूड सेलिंग बिज़नेस ‘गुज्जु बेन ना नास्ता’ शुरू किया और पूरे परिवार के लिए चट्टान की तरह खड़ी रहीं।
उर्मिला अशर कहती हैं, “बेशक मैं अपने बच्चों को याद करती हूँ। लेकिन मुझे लगता है कि जो अभी भी आसपास हैं उनके बारे में क्या? उनकी देखभाल कौन करेगा? यह मेरा कर्तव्य है कि मैं अपने दूसरे बच्चों को गिरने न दूं, उनकी मदद करूँ। सभी दादा-दादी चाहते हैं कि उनके बच्चे सफल हों।”
बचपन से खाना पकाने में गहरी रुचि रखने वाली उर्मिला अशर को कई देशों में खाना बनाने के लिए बुलाया जाता है। ये पिछले 14 सालों में अपने काम के ज़ुनून से 10-12 बार लंदन जा चुकी हैं। और आज भी बॉम्बे में इनके बहुत कस्टमर्स हैं जो हर पार्टी में इनके हाथ का बना खाना सर्व करना पसंद करते हैं।
लॉक डाउन में अचार बेचने से शुरू हुए बिज़नेस से उर्मिला अशर के ‘गुज्जु बेन ना नास्ता’ में अब पूरन पोली, ढ़ोकला, खांडवी, थेपला, दही बड़ा, चकली, साबूदाने की खिचड़ी आदि गर्म नाश्ते व सूखे नाश्ते मिलते हैं।
आज मुंबई के चौपाटी में इनकी एक दुकान भी है जिसमें कुकिंग का पार्ट गुज्जु बेन देखती हैं और बिज़नेस और उससे जुड़े बाकी काम उनके पोते हर्ष अशर संभालते हैं।
तो आखिर इनका दिन कैसा होता है और अगर आप होममेड फूड सेलिंग बिज़नेस शुरू करना चाहें तो आपको क्या-क्या काम करने होंगे।
77 वर्षीय उर्मिला अशर हर दिन सुबह 5.30 बजे अपना दिन शुरू करती हैं। ये अपने निज़ी काम से फ्री होकर 7 बजे से मुंबई के लोगों द्वारा दिए गए खाने के आर्डर को पूरा करने के लिए तैयारी शुरू कर देती हैं।
‘गुज्जु बेन ना नास्ता में’ दो हेल्पर भी हैं जो दादी की खाना बनाने में मदद करती हैं लेकिन दादी इनके आने से पहले तैयारी शुरू कर देती हैं जैसे आलू उबालना, मसाले तैयार करना, सब्जी काटना, साबूदाने की खिचड़ी आदि बनाना। 9 बजे तक ये हेल्पर आकर बाकी का काम शुरू कर देते हैं। इसी तरह एक दिन में 25-30 आर्डर डिलीवर हो जाते हैं।
उर्मिला अशर खाने की क्वॉलिटी में कभी कोई कोम्प्रोमाईज़ नहीं करती।
पूरे दिन में जाने वाले हर आर्डर को ये पहले टेस्ट करती हैं और अगर इन्हें पसंद नहीं आता तो खुद दुबारा बनाती हैं और बाकी लोगों को भी सिखाती हैं।
अगर देखें तो ये आम भारतीय महिला की दिनचर्या ही प्रतीत होती है जो घर पर ही खाने का बिजनेस चलाती हैं लेकिन इसमें भी कई चैलेंज सामने आते हैं। इनके लिए उर्मिला अशर ने कुछ टिप्स साझा करी है जिनसे आप भी होममेड फ़ूड सेलिंग बिज़नेस शुरू कर सकती हैं।
जब लोगों को आपके बारे में पता होगा, उन्हें आपके खाने की क्वॉलिटी के बारे में पता चलेगा तभी कस्टमर आएंगे।
अगर आप शुरू में ही सूखा नाश्ता जैसे चिवड़ा, खाखरा, चिप्स आदि या गर्म नाश्ता जैसे साबूदाना खिचड़ी, ढोकला आदि शुरू कर देंगे तो आपको नुकसान भी हो सकता है क्योंकि डिमांड कम होगी और लागत पूरी लगेगी।
गुज्जु बेन ने भी पहले टिफिन सर्विस से ही शुरू करा था। फिर धीरे-धीरे लोग टिफ़िन के साथ पापड़, चटनी, दही आदि के लिए पूछने लगे तो ऐसे होममेड टिफ़िन फ़ूड में क्वॉन्टिटी बढ़ी और सेल अच्छी हुई तो बिजनेस आगे बढ़ा।
आज एक को पता चला चलेगा कल दूसरे को पता चलेगा और ऐसे ही आपसे बहुत लोग जुड़ जायेंगे।
यकीन मानिये होममेड फूड सेलिंग का बिजनेस महिलाओं के लिए खासकर एक बेहतरीन ऑप्शन क्योंकि आजकल सब घर का खाना खाना पसंद करते हैं।
उर्मिला अशर सभी महिलाओं से कहती हैं, “मैं महिलाओं से एक ही रिक्वेस्ट करती हूँ कि खूब आगे बढ़ते जाओ और अपना हौसला मत खोना। अपनी मेहनत के दम पर सबको दिखाओं कि हम में हर काम करने की ताकत है। सभी महिलाओं को आगे बढ़ाने में एक दूसरे की मदद करो। मेरी फ्रेंड रमीला बेन मेरी हमेशा मदद करती है। एक लाइन में इसे कहूं तो – तुम कर सकती हो, और अब बस शुरू करो। कुछ भी काम करने में कोई शर्म मत करो।”
उर्मिला अशर के पोते हर्ष अशर अपनी दादी को अपनी मैजिक वॉड कहते हैं।
“जब मेरा एक्सीडेंट हुआ तो मुझे आइडेंटिटी क्राइसिस हो गया था लेकिन एक दादी ही थी जिन्होंने पूरे घर को संभाला। मेरी दादी आज मेरे साथ दूसरों को भी आगे बढ़ाने में मदद कर रही हैं। बस मैं यही चाहता हूँ कि दादी की मेहनत को जस्टिफाई करूँ। अब ये हमारे लिए एक मिशन की तरह हो गया है क्योंकि दादी की मेहनत को आगे लेकर जाना है।”
उर्मिला अशर की जर्नी से साबित होता है कि उम्र महज़ एक संख्या है। आप कभी भी अपने सपने पूरे कर सकती हैं। बस देर उस एक शुरुवात करने की है।
मूल चित्र : Provided by Interviewee, Gujju Ben Na Nasta, Instagram/Facebook, Stills from The Quint, YouTube
A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...
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