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मैंने अपनी बेटी का नाम पहले ही सोच लिया था…

हर महीने उम्मीद और ना उम्मीद के बीच नैना झूल रही थी। कभी टूट जाती तो फिर ईश्वर के प्रति विश्वास से एक बार फिर से उठ कर खड़ी हो जाती थी।

हर महीने उम्मीद और ना उम्मीद के बीच नैना झूल रही थी। कभी टूट जाती तो फिर ईश्वर के प्रति विश्वास से एक बार फिर से उठ कर खड़ी हो जाती थी। 

नैना और समीर की अरेंज मैरिज थी। दोनों में प्यार और विश्वास एक दूसरे के प्रति बहुत था। समीर नैना शादी के पहले जब फोन पर बात करते थे और भविष्य के सपने संजोते थे।

तभी समीर ने नैना से कहा था, “अभी घर की सारी जिम्मेदारी मेरे ऊपर हैं। इसलिए जब जिम्मेदारियां थोड़ी कम हो जाएगी, तभी हम बच्चे के लिए सोचेंगे। जिससे हम बच्चे की परवरिश बहुत अच्छे से कर सकें और बच्चे की हर जरूरत को भी पूरा कर सकें।”

शादी के बाद भी समीर ने नैना को यही समझाया था। परिस्थितियों को देखते हुए नैना को भी समीर की बातें सही लग रही थी। इसलिए वह समीर की बात मान गई थी।

पर कुछ साल बाद ही नैना की सास उसे ताने देने लगी थी। तब एक दिन नैना ने भावुक होकर समीर से कहा, “आजकल माँजी बच्चे के लिए मुझे बहुत ताना मारने लगी है। उन्हें लगता है मैं अपने फैशन के चक्कर में बच्चा नहीं पैदा कर रही हूँ। तुम ही बताओ शादी के बाद कौन सी महिला होगी जो माँ नहीं बनना चाहती। मेरा मानना है कि यह तो हर महिला के जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव है।

माँ बनने की मेरी कितनी इच्छा है। वह मैं ही जानती हूँ। अब तो मेरी सहेलियों को भी बच्चें हो गये हैं। मेरी बहन जिसकी शादी मेरी शादी के डेढ़ साल बाद हुई है उसको भी बच्चा हो गया है। सब को देख कर मेरा भी दिल बच्चे के लिए तड़प उठता है। समीर अब बहुत हो गया, मुझे भी माँ बनना है। मुझे भी अपना बच्चा चाहिए।”

नैना को रोते देख कर समीर को बहुत दुख हुआ कि आज उसकी वजह से नैना इतना सब झेल रही है। तब समीर ने नैना से कहा, “मैं शादी के बाद तुम्हारा कोई भी सपना पूरा नहीं कर पाया हूँ। पर अब हम बच्चे के लिए प्लानिंग करेंगे।”

समीर और नैना को प्लानिंग करते हुए एक साल बीत गए थे, पर नैना प्रेग्नेंट नहीं हुई थी। और अब तो उनकी शादी को भी 4 साल हो गए थे। तब दोनों ने डॉक्टर से इलाज कराना शुरू किया। रोज नए-नए टेस्ट और दवाइयां के बाद भी नैना प्रेग्नेंट नहीं हुई थी।

कहीं से भी कोई डॉक्टर पता चलता था, दोनों तुरंत वहां इलाज कराने चले जाते है। दु:ख और परेशानी में इंसान हर उपाय करता है कुछ छोड़ना नहीं चाहता है। लगता है शायद कहीं से सब ठीक हो जाये। 

नैना को तो वैसे भी कोई रास्ता सूझ नहीं रहा था। बहुत इलाज के बाद भी नैना प्रेग्नेंट नहीं हुई थी। तब डॉक्टर ने उसे आईवीएफ के लिए रेफर कर दिया था। उसके बाद नैना ने आई वी एफ कराया। सबको उम्मीद थी इस बार सब कुछ अच्छा होगा। नैना को डॉक्टर के इलाज के साथ-साथ ईश्वर पर भी बहुत विश्वास था।

एक दिन नैना ने अपनी माँ से कहा, “मम्मी, अगर मैं प्रेग्नेंट हो गई तो मुझे बेटी होगी।”

मम्मी ने कहा, “तुम्हें ऐसा क्यों लग रहा है कि तुम्हें बेटी ही होगी?”

नैना ने कहा, “मम्मी मुझे लगता है कि भगवान मेरे कष्ट काटेंगे और मेरी भी एक प्यारी सी बेटी होगी। और मैं उसका नाम सीता जी के नाम पर ही सिया रखूंगी।”

माँ ने कहा, “बेटा भगवान पर विश्वास रखो, सब अच्छा होगा सीता जी ही आएंगी।” 

पर कुछ दिनों बाद रिपोर्ट नेगेटिव आई थी। उसके बाद भी उन्होंने इलाज कराना बंद नहीं किया था। फिर भी नैना प्रेग्नेंट नहीं हुई थी। इतने सालों से इलाज के चक्कर में भाग दौड़ के दोनों पति पत्नी थककर टूट गये गए थे। नैना तो हर पल शारीरिक और मानसिक यातनाएं झेल रही थी।

सामाजिक प्रताड़नाएं भी कम ना थी। नैना दुख से टूट कर बिखर रही थी। इसलिए उसका कुछ पलों के लिए ही सही पर ईश्वर पर से विश्वास डगमगा गया था।

कुछ दिनों बाद फिर से अपने सारे दुख ईश्वर के हवाले करके एक बार फिर से नैना ने इलाज कराना शुरू कर दिया था। नैना और समीर के पास कोई और रास्ता भी तो नहीं था।

हर महीने उम्मीद और ना उम्मीद के बीच नैना झूल रही थी। कभी टूट जाती तो फिर अपनों के साथ और ईश्वर के प्रति विश्वास से एक बार फिर से उठ कर खड़ी हो जाती थी। 

इसी बीच एक बार नैना अपनी सबसे छोटी बहन के पास, एक डॉक्टर के बारे में पता चला था उसी से इलाज कराने गई थी। उस समय नैना की छोटी बहन प्रेग्नेंट थी।

एक दिन उसकी बहन के पति ने कहा, “अगर बेटी होगी तो उसका नाम सिया रखेंगे।”

यह सुनकर नैना की आंखों में आंसू आ गए। पर वह कुछ बोल ना पाई थी। कहती भी क्या, जिसके माँ बनने की उम्मीद खत्म हो रही थी और उसने बेटी का नामकरण कर रखा था।

तभी छोटी बहन ने अपने पति से तुरंत कहा, “हम अपनी बेटी का नाम कुछ और रखेंगे। दीदी के बेटी का नाम सिया होगा।” और उस समय दोनों बहनों के आंखों में आँसूँ आ गए थे।

पर कहते हैं ना ‘दुख भरी रात के बाद सवेरा भी होता है।’ 

जिस डॉक्टर से नैना इलाज कराने आई थी। उन्होंने ने भी नैना से कहा था, “हमारा काम इलाज करना है हम वह अच्छे से अच्छा करेंगे, आगे फिर ऊपर वाले के हाथ में है।”

आखिर कार उन्हीं डॉक्टर के इलाज से नैना शादी के 7 साल बाद प्रेग्नेंट हो गई थी। और यह खुशखबरी उन्हें 8 मई 2016 मदर्स डे के दिन मिली। उस दिन नैना समीर और उनके परिवार खुशी के आंसू रोये थे।

नैना की माँ नैना का ध्यान रखने के लिए तुरंत उसके पास आ गई थी। और कुछ महीनों बाद अपने पास (मायके) लेकर चली आई थी। नैना का परिवार दिन रात उसका बहुत ध्यान रखता था। अपनी तरफ से कोई कमी नहीं रखना चाहता था।

7 महीने बीत जाने पर नैना के भाई बहन उससे बोले, “बेटी होगी तो उसका नाम तो सिया ही होगा। पर अगर बेटा हो गया तो, इसलिए एक बेटे का नाम भी खोज लेते हैं। हॉस्पिटल में बर्थ सर्टिफिकेट के लिए बच्चे का नाम बताना पड़ेगा।”

नैना ने कहा, “मुझे पूरा विश्वास है कि मुझे बेटी ही होगी। मेरी सिया ही आएगी। तुम लोगों को खोजना है तो खोज लो।” भाई बहनों ने बेटे के कई नाम खोजें पर नैना को एक भी पसंद नहीं आये। आखिर में उन लोगों ने भी खोजना बंद कर दिया।

नैना की प्रेगनेंसी को साढ़े 8 महीने ही हुए थे कि एक दिन नैना को कुछ दिक्कत हो गई उसे जल्दी से हॉस्पिटल में एडमिट कराना पड़ा। डॉक्टर ने बताया कॉम्प्लिकेशंस बहुत ज्यादा है इसलिए ऑपरेशन करना पड़ेगा।

ऑपरेशन थिएटर में नैना को गये बहुत टाइम हो गया था। पूरा परिवार बहुत डरा हुआ था। बहुत देर बाद उन्हें बताया गया कि बच्चा हो गया है और थोड़ी देर बाद नर्स बच्चे को परिवार को दिखाते हुए तुरंत एनआईसीयू में लेकर चली गई थी। बच्चे को भी कुछ कॉम्प्लिकेशन थे। उधर नैना की हालत भी बहुत अच्छी नहीं थी। 

और जब कई घंटो बाद नैना की हालत थोड़ी सुधरी। तब उसे प्राइवेट रूम में शिफ्ट किया जा रहा था। तब नैना थोड़ा होश में थी उसकी आंखें हल्की सी खुली हुई थी। वह बस अपने बच्चे के बारे में जानना चाहती थी।

तभी नैना का भाई नैना के पास आकर बहुत भावुक होकर रोते हुए बोला, “दीदी आपकी सिया आ गई। आपको बेटी ही हुई है।”

यह सुनते ही नैना की आंखों से आंसू बह चले थे उसने सुकून से अपनी आंखें बंद कर ली थी। आज जाकर उसे बहुत सुकून मिला था। वह माँ बन गई थी। आज वह अपने आप को पूर्ण महसूस कर रही थी।

कुछ दिन बाद जब हॉस्पिटल से नैना अपनी बेटी सिया को गोद में लेकर अपने घर आई थी। तब भाई बहनों ने पूरे घर को दिये और फूलों से सजा रखा था। ऐसा लग रहा था जैसे आज ही दीपावली का त्यौहार है। नैना की माँ ने नैना की बेटी के साथ आरती उतारी थी।

परिवार और पड़ोसी सब आए थे। महिलाएं गाना गा रही थी। भाई बहन सबको लड्डू खिला रहे थे। दोस्त यार पटाखे फोड़ रहे थे। नैना समीर और उसके परिवार के लिए वह दिन त्यौहार से भी बढ़कर था। 

 

 

मूल चित्र: Still from PregaNews Ad, YouTube

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