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बाइपोलर डिसऑर्डर क्या है और क्यों होता है? महिलाओं में द्विध्रुवी विकार के लक्षण क्या हैं? कहीं ये घातक तो नहीं? इससे कैसे निज़ात मिल सकता है?
बाइपोलर डिसआर्डर एक प्रकार की मानसिक बीमारी है। इसे मैनिक डिप्रेशन या द्विध्रुवी विकार भी कहते हैं। ये डोपामाइन हार्मोन में असंतुलन होने के कारण होती है। जिसमें मूड/मन लगातार कई हफ़्तो तक या महिनों तक या तो बहुत उदास या फ़िर बहुत खुश रहता है। ये बीमारी 20-30 की उम्र में ज़्यादा पायी जाती है।
हाँ, कई बार हम सभी इस तरह के भावों से गुज़रते हैं और 2-3 दिन में उबर जाते हैं। जबकि बाइपोलर डिसआर्डर में ऐसी स्थिति दो हफ़्तों से भी ज़्यादा दिनों तक बनी रहती है। यह अत्यधिक मूड स्विंग्स का कारण भी बनता है।
आजकल मैनिक डिप्रेशन बहुत तेजी से फ़ैल रहा है और अब महिलाओं में भी द्विध्रुवी विकार के लक्षण अधिक देखने को मिल रहे हैं। लेकिन जानकारी के अभाव में वे सही समय पर इलाज नहीं ले पाते और ये मैनिक डिप्रेशन आगे चलकर घातक रूप ले लेता है। तो जानिए महिलाओं में द्विध्रुवी विकार के लक्षण और बाइपोलर डिसऑर्डर के प्रकार, कारण। आखिर इससे कैसे निज़ात मिल सकता है। (bipolar disorder in hindi)
बाइपोलर डिसऑर्डर में कई बार मरीज में तेजी के दौरे आते हैं। इसमें मरीज ऊँची-ऊँची बातें करने लगता है। लगातार काम करता है, उसे नींद की न के बराबर ज़रूरत महसूस होती और उसके बावजूद वो चुस्त-दुरुस्त रहता है। यह लगभग 3-6 महीने तक रह सकता है। इस दौर को मेनिया कहते हैं। इस डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति कोई भी फ़ैसला बिना सोचे समझे ले लेता है। इसमें मन को एक जगह पर स्थिर रखने में मुश्किल होती है।
इस डिसऑर्डर में मरीज को बार-बार उदासी महसूस होती है। किसी काम में मन नहीं लगता, रोने का मन करता है, नींद या तो बिलकुल नहीं आती या ज़्यादा नींद आती है। शरीर में एनर्जी नहीं रहती और बिस्तर पर पड़े रहने का मन करता है। ऐसे व्यक्ति का किसी से मिलने का मन भी नहीं करता है और बहुत तनाव में आ जाता है।
100 में से तीन या पांच प्रतिशत लोगों में ये डिसऑर्डर पाया जाता है। अगर ये लक्षण आपको महसूस होते हैं तो तुरंत एक्सपर्ट से राय लें। कई बार महिलाओं में द्विध्रुवी विकार के लक्षण जानलेवा भी हो सकते हैं।
टाइप I बाइपोलर – मेनिया के लक्षण
टाइप II बाइपोलर – हाइपोमेनिया के लक्षण
डॉक्टरों के अनुसार इसके इलाज के लिए ‘मूड स्टेबिलाइज़र’ या मष्तिष्क की झिल्ली (मेम्ब्रेन) में स्टेबिलाइज़र का इस्तेमाल किया जाता है ताकि डोपमाइन की मात्रा को संतुलित किया जा सके और बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सके। आज बाइपोलर डिसऑर्डर के इलाज़ कई दवाओं और थेरपीज़ से संभव है। इसीलिए पीड़ित को जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करने के सलाह दी जाती है।
डॉक्टर से परामर्श के साथ अपनी लाइफस्टाइल में कुछ बदलावों से बाइपोलर डिसऑर्डर पर काबू पाया जा सकता है। अगर महिलाओं में द्विध्रुवी विकार के लक्षण दिखें तो भी ये अपनाएं।
बाइपोलर डिसऑर्डर को एक सामान्य तनाव की तरह न ले। यह जानलेवा है। इसलिए महिलाओं में भी द्विध्रुवी विकार के शुरुआती लक्षणों में ही डॉक्टर से परामर्श करें। (bipolar disorder in hindi)
डिस्कलेमर : विमेंस वेब आप तक कई समस्याओं से जुड़े लेख लाता है, इसे सामान्य जानकारी समझें और ज़रुरत पड़ने पर एक एक्सपर्ट की प्रोफेशनल राय लेना न भूलें।
मूल चित्र : geralt from pixabay via Canva Pro
A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...
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