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पापा, जब आप माँ का सम्मान करते हैं…

एक लड़की जब अपने पिता को अपनी माँ का सम्मान करते हुए देखती है तभी वह लड़की अपने स्वयं के सम्मान को समझ और महत्व दे सकती है।

एक लड़की जब अपने पिता को अपनी माँ का सम्मान करते हुए देखती है तभी वह लड़की अपने स्वयं के सम्मान को समझ और महत्व दे सकती है।

उन लड़कियों के पीछे हमेशा एक मजबूत, खुले विचारों वाला, निष्पक्ष, साहसी, उदार, बड़ा दिल रखने वाला पिता होता है, जो अपवादों के खिलाफ खड़े होने और अन्याय, अपराधी के खिलाफ़ पहल करने की हिम्मत रखती हैं।

वास्तव में पिता एक बेटे और बेटी के लिए आदर्श है, क्योंकि वह अपनी पत्नी या परिवार के अन्य सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है, यह बच्चों के लिए मिसाल बन जाता है।

एक लड़की जब अपने पिता को अपनी माँ का सम्मान करते हुए देखती है तभी वह लड़की अपने स्वयं के सम्मान को समझ और महत्व दे सकती है।

पिता का धन्यवाद हमेशा बरबस ही मुंह से निकलता है

हम ऐसे परिवार में पले-बढ़े हैं जहां मेरे पिता के मूल्य, विश्वास और महिलाओं के लिए अवधारणाएं समय से बहुत आगे थीं। हमें इस तरह की निष्पक्ष शिक्षा और दृष्टिकोण प्रदान करने के लिए हमारे पिता का धन्यवाद हमेशा बरबस ही मुंह से निकलता है। जब तक किसी भी लड़की का परिवार उसके साथ अन्याय के खिलाफ खड़े होने की पहल नहीं करता है, तब तक कोई अन्य भी उनकी मदद नहीं कर सकता है।

एक बेटी को महत्व देने का मतलब यह नहीं है

एक बेटी को महत्व देने का मतलब यह नहीं है कि आप आपके बेटे को उसके उचित सम्मान और अधिकार से वंचित करें, अगर ऐसा होता है तो आप इन लड़कों को उन बेटे भविष्य में कभी भी किसी के खिलाफ असमानता, अपराध या अन्याय के खिलाफ खड़े होने का साहस नही दिखा पाएंगे।

न्याय प्रिय पिता की भूमिका बहुत अहम

संतुलन प्रकृति का नियम है। किसी परिवार के प्रत्येक सदस्य को सम्मान की आवश्यकता होती है। भारतीय परिवारों में लड़कियों के साथ बराबरी का व्यवहार अब कुछ हद तक समझ आने लगा है। आज भी कई जगह उन्हें पुरानी रूढ़िवादी, अप्रासंगिक परंपराओं का पालन करने के लिए मजबूर किया जाता है, जिसका अर्थ केवल और केवल लड़कियों के प्रति असमानता और अन्याय ही हो सकता है ऐसे में एक सशक्त, न्याय प्रिय पिता की भूमिका बहुत अहम हो जाती है।

सिर्फ महिलाओं को परोपकारी, दिव्य, दयालु, अपने बच्चों के लिए बलिदान करने के लिए, प्रकृति प्रदत्त वरदान है, जो एक स्त्री का सार भी है, इस बात को कई पिता गलत साबित कर रहे हैं।

माता पिता दोनों ऐसी बेटी और बेटों को पालते हैं जो कि भविष्य में रूढ़िवादी, असंगत , सामाजिक और सांस्कृतिक असमानता की सोच को खत्म करने के लिए आगे आ सकते हैं।

हमें “बेटी बचाओ” तो सार्थक करना है लेकिन उन्हें रूढ़िवादी सोच, उनके प्रति पूर्वाग्रहित दृष्टिकोण से भी बचाना है। ऐसा सिर्फ माता-पिता के संबल, संस्कार और प्यार से संभव हो पाता है।

माना मां का स्थान कोई नहीं ले सकता परन्तु पिता भी वह सशक्त आधार स्तम्भ है जिनके बिना कोई भी उपलब्धि, खुशी और गर्व का संबल अधूरा रहता है। मेरा मानना है कि हर बच्चे के लिए पर्वत सा अटल, अचल, सशक्त संबल है एक पिता।

मूल चित्र : Still from Father Daughter Ad/Amazon.in, YouTube

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About the Author

Dr .Pragya kaushik

Pen woman who weaves words into expressions. Doctorate in Mass Communication. Media Educator Blogger ,Media Literacy and Digital Safety Mentor. read more...

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