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समय से पहले पैदा हुए प्रीमैच्योर बच्चे की घर पर देखभाल कैसे करें?

समय से पहले पैदा हुए यानि प्रीमैच्योर बच्चे के जन्म के समय से ही माँ और बच्चे दोनों को शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक सहयोग ज़रूरी है।

समय से पहले पैदा हुए यानि प्रीमैच्योर बच्चे के जन्म के समय से ही माँ और बच्चे दोनों को शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक सहयोग ज़रूरी है।

हर माँ और शिशु का संबंध गर्भ से ही शुरू हो जाता है। या ये कहा जाय कि ये संबंध तब से ही शुरू हो जाता है जब एक महिला मानसिक तौर पर खुद को माँ बनने के लिए तैयार कर लेती है।

यह तो हम सभी जानते हैं कि हर शिशु का जन्म नौ महीने बाद ही होता है, लेकिन कुछ शिशु मेडिकल अवस्था के कारण नौ महीने पूरे होने से पहले ही जन्म ले लेते हैं। ऐसे बच्चे को प्रीमैच्योर बेबी या समय पूर्व जन्मे शिशु कहा जाता है।

प्रीमैच्योर बेबी (अपरिपक्व शिशु) का जन्म एक माँ को बहुत तरह से प्रभावित करता है। माँ शरीर के साथ साथ मानसिक तौर पर भी कमजोर हो जाती है। इस समय माँ और बच्चे दोनों को शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक तीनों ही सहयोग की आवश्यकता होती है। 

ऐसे में जब आप बच्चे को घर ले आएं तो आपको किन बातों का ख्याल रखना चाहिए?

तो आइए जानते हैं प्रीमैच्योर बच्चों/ प्री टर्म बच्चों / अपरिपक्व शिशु की देखभाल के कुछ सुझाव:-

समय से पहले पैदा हुए बच्चे (premature baby) के इंफेक्शन से बचाव के उपाय

प्रीमैच्योर बच्चों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, इसलिए उन्हें इंफेक्शन जल्दी हो सकता है। इसलिए हमे सामान्य बच्चों की अपेक्षा प्रीमैच्योर बच्चो के ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है।

  1. अपने प्रीमैच्योर शिशु को कम से कम गोद में उठायें और बच्चे को बार बार नहीं छूना  चाहिए।
  2. प्रीमैच्योर बच्चों को छूने से पहले और दूध पिलाने से पहले हर बार अपने हाथों को साबुन या हैंडवाश से अच्छी तरह धो और सूखा लेना चाहिए।
  3. ऐसे बच्चों को कम से कम बाहरी लोगों के सम्पर्क में आने दे इसलिए बच्चे से मिलने घर आने वाले मेहमानों की संख्या सीमित कर दे।
  4. प्रीमैच्योर शिशु को बार बार किस ना खुद करे ना ही किसी को चूमने दें।

प्रीमैच्योर शिशु के लिए कमरे का तापमान

प्रीमैच्योर शिशु में अपने शरीर के तापमान को स्थिर रखने की क्षमता कम होती है। इसलिए हमें कमरे का तापमान थोड़ा अधिक रखना चाहिए।

  1. प्रीमैच्योर बच्चे का शरीर अच्छे से ढँककर रखना चाहिए। सिर पर टोपी और पैर में मोजे पहनाकर रखने चाहिए।
  2. प्रीमैच्योर शिशु के कपड़े अच्छे से धोकर धूप में सुखाने चाहिए। धूप ना हो तो कपड़े को आयरन कर दे। क्योंकि इससे कीटाणु नष्ट हो जाते हैं।
  3. अधिक ठंड में प्रीमैच्योर शिशु को हल्के गुनगुने पानी से सिर्फ स्पंज कर देना चाहिए। और सप्ताह में केवल एक या दो बार ही नहलाना चाहिए।
  4. प्रीमैच्योर शिशु को जितना हो सके माँ अपने पास सुलाये क्योंकि बच्चें के लिए अपनी माँ का शरीर बच्चे के शरीर अनुसार उचित गर्मी देने वाले स्रोत का कार्य करता है।

सबसे ज्यादा जरूरी है प्रीमैच्योर बच्चे में भावनात्मक लगाव की शुरुआत 

वैसे तो हर नवजात शिशु बहुत संवेदनशील होते हैं। लेकिन प्रीमैच्योर शिशु उन बच्चों से ज्यादा संवेदनशील होते हैं  और माता-पिता द्वारा प्रदान की गई भावनात्मक देखभाल से वो खुद को सुरक्षित महसूस करते है।

  1. माँ अपने बच्चे को गोद मे लेकर या सुलाते समय भी प्यार से उसके सिर और पीठ पर सहलाये। उसे लोरी गुनगुना कर सुनाएँ। 
  2. मातापिता शिशु को अपने हाथ में लेकर उससे प्यार करे प्यार से पुचकारे एवं बच्चे को प्रोत्साहित करें ताकि बच्चा आपसे आँख से आँख मिलाएँ।
  3. प्रीमैच्योर बच्चों के लिए चमकदार रंगीन लटकाने वाले खिलौने लाएँ, जिसे इनकी चारपाई या झूले के ऊपर लटकाया जा सके।
  4. प्रीमैच्योर बच्चे के विकास से सम्बंधित हर गति विधि को मातापिता पूरी सावधानी से देखे, कोई भी आशंका मन मे उत्पन्न होने या कोई असामान्य गतिविधि दिखने पर तुरंत अपने डॉक्टर से सम्पर्क करें
  5. प्रीमैच्योर शिशु के लिए माँ का दूध सर्वोत्तम होता है। जितना हो सके उसे माँ का दूध पिलाये। लेकिन यदि किसी कारण वश आप को पर्याप्त दूध नही हो रहा तो डॉक्टर द्वारा दिये गए फार्मूला मिल्क का ही इस्तेमाल करे।

कंगारू केयर (kangaroo care)

कंगारू केयर माता या पिता की देखभाल एक ऐसी विधि है जिसमें शिशुओं को त्वचा से त्वचा के संपर्क में लाया जाता है। ये स्पर्श बच्चे के लिए और उसके वजन के लिए बहुत सुखदायक है।

यह उन्हें शांत और अधिक सुरक्षित रहने में मदद करता है, जब भी माँ स्तनपान करा रही हो, तो कंगारू मदर केयर तरीके का इस्तेमाल करें तो बच्चे के लिए अच्छा रहता है।

तो ये कुछ उपाय थे प्रीमैच्योर बच्चे की देख रेख के जो हर कई कर सकता है।  उम्मीद है मेरे साझा किया टिप्स आपके काम आएंगे। 

डिस्क्लेमर:-ये सिर्फ एक सामान्य जानकारी है कृपया इसे चिकित्सक की राय ना समझे। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श या सलाह अवश्य करें।

 

मूल चित्र: Aditya Romansa via Unsplash

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