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माँ ने सीमा का मनपसंद बना कर खिलाया और अगले दिन कहने लगी, "देख मैं ये दवाई लाई हूँ, हमारे पुराने वैद्य से, इससे तुझे लड़का ही होगा।"
माँ ने सीमा का मनपसंद बना कर खिलाया और अगले दिन कहने लगी, “देख मैं ये दवाई लाई हूँ, हमारे पुराने वैद्य से, इससे तुझे लड़का ही होगा।”
सीमा और राहुल की अरेंज मैरिज हुई। शादी के एक महीने के भीतर ही सीमा गर्भवती हो गई थी। सामान्य परिवेश में बड़ी हुई और अधिक पढ़ी लिखी न होने के कारण उसकी महत्वकांक्षाएं ज़्यादा नहीं थी। पति और परिवार की ख़ुशी में वह भी खुश थी।
बाकी सभी टेस्ट तो सामान्य आए थे, लेकिन थाइरोइड (thyroid) थोड़ा बढ़ा हुआ था। डॉक्टर ने कहा कि घबराने की कोई बात नहीं, बस रोज़ एक गोली दवाई की लेनी है, और समय समय पर चेकअप करवाते रहिएगा।
घर आकर सासू माँ का मूड बिगड़ा हुआ था, “पता नहीं आजकल कौन कौन से टेस्ट करवाते रहते हैं। हमारे समय में तो यह सब नहीं होता था। कोई ज़रूरत नहीं है रोज़ गोली लेने की। इतनी दवाईयां बच्चे को नुकसान करती हैं। एक दिन छोड़कर ले लिया कर।”
सीमा को कुछ समझ नहीं आ रहा था, सोचा कि सासु माँ को अनुभव है इन सब बातों का, सही कह रही होंगी।
एक महीने बाद डॉक्टर की अपॉइंटमेंट थी। डॉक्टर सीमा को देखकर हैरान थी, “आप बहुत ज़्यादा कमज़ोर लग रही हैं। हीमोग्लोबिन घट गया है और थाइरोइड भी ज्यों का त्यों है। आप नियमित रूप से अपनी सारी दवाइयां लो और जितना हो सके आराम करो। आप की और आप के बच्चे दोनों की सेहत के लिए अच्छा होगा।”
सासु माँ के तेवर फिर चढ़े हुए थे, “ये क्या बात हुई कि बहु को बिस्तर पर बैठा दो। नए नए चोंचले हैं आजकल। काम करने से ही शरीर सही रहता है। हम तो खेतों के, घर के सभी काम करते थे और मोटे ताज़े बच्चे पैदा हुए थे।”
सीमा की माँ भी बार बार फ़ोन करके उसे एहतियात बरतने को कहती। कोई न कोई सलाह देती। सीमा दुविधा में रहती कि किसकी माने और किसकी नहीं। कुछ दिन बाद वह अपने मायके में रहने आई।
माँ ने खूब खातिरदारी की और सीमा का मनपसंद बना कर खिलाया। अगले दिन कहने लगी, “देख मैं ये दवाई लाई हूँ, हमारे पुराने वैद्य से, इससे तुझे लड़का ही होगा।”
“ये क्या कह रही हो माँ, ये सब दवाइयां सही नहीं रहती। लड़का या लड़की तो भगवान की मर्ज़ी से होता है।”
“तू नासमझ है। अरे! बेटा पैदा करेगी तो ससुराल में मान सम्मान बढ़ेगा तेरा, वर्ना कोई नहीं पूछेगा। मान मेरी बात।”
“नहीं माँ! ये लोग कोई वैद्य नहीं बल्कि ढोंगी होते हैं। असली वैद्य कभी इस तरह की दवाई नहीं देंगे। मैं नहीं लूँगी, बस।”
सीमा ने माँ को मना कर दिया और तय समय पर अपने ससुराल वापस आ गई। लेकिन तीसरे महीने में सासु माँ भी एक दवा ले आई, लड़का होने की और कहने लगी, “ले बहु, यह दवाई ले ले। इससे बेेटा ही जन्म लेता है।”
सीमा को आश्चर्य हुआ कि इस बारे में कोई बात नहीं करता लेकिन यह तो बहुत से घरों में आम सी बात है। उसने कहा, “नहीं माँजी, ये सब दवा बच्चे और माँ की सेहत के लिए सही नहीं होती।”
इतना सुनते ही सासु माँ ने पूरा घर सिर पर उठा लिया, “लो देखो, ये कल की आई लड़की अब मुझे सिखाएगी। तमीज़ तो सिखाई नहीं इसके माँ बाप ने। इतने पुराने वैद्य हैं वो, गलत दवा थोड़े ही देंगे। यह तो चाहती ही नहीं हमारा वंश आगे बढ़े।” राहुल को आता देख वो सुबकने लग गई।
“माँ ठीक तो कह रही हैं। ये देशी दवाईयां हैं, इनका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता। फिर माँ क्या तुम्हारा बुरा चाहेंगी। तुम उन्हें ऐसे दुखी मत करो।” राहुल को माँ की बात सही लग रही थी। दबाव में आकर सीमा ने वो दवा ले ली।
लगभग 15 दिनों के भीतर ही सीमा को तकलीफ महसूस होने लगी। पेट में अत्यधिक दर्द और रक्तस्राव होने लगा। सासु माँ ने कहा कि थोड़ी बहुत तकलीफ तो चलती रहती है, कुछ नहीं है। रात होते होते तबियत ज़्यादा बिगड़ गई तो हस्पताल लेकर भागे।
डॉक्टर ने चेकअप के बाद पूछा कि कोई घरेलू इलाज जैसी चीज़ तो नहीं दी। राहुल बताने लगा तो सासु माँ ने इशारे से उसे चुप करवा दिया और उल्टा डॉक्टर पर ही आरोप लगाने लगी, “आप ही से तो इलाज चल रहा है। आप की ही किसी दवा से कुछ हुआ होगा। हाय! मेरा पोता।”
लेकिन डॉक्टर कोई अनपढ़ तो थी नहीं। उन्होंने सासु माँ को आड़े हाथों लिया, “मुझे पता है, आपने मेरी दवाइयां सीमा को नियमित रूप से नहीं दीं। मेरे मना करने के बावजूद उससे घर का काम करवाया। पहले से ही वो कमज़ोर थी और ये लक्षण किसी देशी नुस्खे के हैं, मैं जानती हूँ। हमारे पास इस तरह के केस आते रहते हैं।
पता नहीं आप लोग कब सुधरोगे। पोते की चाह में आपने अपनी बहू की ज़िंदगी को भी दांव पर लगा दिया। सीमा की जान बचाने के लिए उसका गर्भपात करना होगा। लीजिये साईन कर दीजिए।”
राहुल ने साइन किए और हाथ जोड़ने लगा, “आप मेरी बीवी को बचा लीजिये।” जो कुछ हुआ, उसके बाद उसे बहुत पछतावा हो रहा था और सीमा की फ़िक्र भी हो रही थी।
इलाज से सीमा की जान तो बच गई लेकिन अपने दिल का टुकड़ा, अपना अजन्मा बच्चा उसने खो दिया था। रिकवरी में भी काफी समय लगा।
काश कि जैसे सीमा ने अपनी माँ को मना किया था, थोड़ी हिम्मत करके अपनी सासु माँ को भी ‘न’ कह पाती तो उसे इतनी शारीरिक और मानसिक पीड़ा से नहीं गुज़रना पड़ता। भविष्य के लिए सीमा ने ठान लिया था कि वो किसी भी तरह के अन्याय का डट कर विरोध करेगी।
पाठकगण, यह मेरी एक दोस्त, जो कि महिला चिकित्सक है, उनके पास आई एक मरीज़ की कहानी है। पात्रों के नाम मैंने बदल दिए हैं। आज भी बहुत से लोग लड़का होने के लिए कई सारे टोटके और दवाइयां इस्तेमाल करते हैं। इससे बहुत बार बच्चा अपंग पैदा होता है या माँ की सेहत पर बुरा असर होता है।
आपको मेरा लेखन कैसा लगा, कमेंट सेक्शन में अवश्य बताइएगा।
मूल चित्र : Still from Short Film, The Wedding Saree, YouTube
I am dental surgeon by profession and a writer by passion. read more...
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