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जहां महिलाओं के साथ दुष्कर्म होते, जहां महिलाओं के साथ भेदभाव होते, जो है शिकार पितृसत्तात्मक व्यवस्था की, वह जगह बड़ी दूर है।
अरे बड़ी दूर है, उन्नाव, बड़ी दूर है, हैदराबाद, बड़ी दूर है, रांची, बड़ी दूर है, वो हर जगह, जहां महिलाओं के साथ दुष्कर्म होते, जहां महिलाओं के साथ भेदभाव होते, जो है शिकार पितृसत्तात्मक व्यवस्था की, बड़ी दूर है।
पास है, मेरी बहन, पास है, मेरी दोस्त, पास है, मेरी मां, पर पास हैं, वो सारे व्यक्ति भी, जिनके मन मस्तिष्क में वासना का वास है, और वे भी जो हैं, पितृसत्तात्मक व्यवस्था के बड़े सताए, बड़े पास है।
समाज की हर एक बात, समाज में है, समाज से दूर भी, समाज के पास भी, तय हमें करना है, हमें करना क्या है? किन्हें सुधारना है, किन्हें सीखाना है, किन्हें पढ़ाना है?
पढ़ाना, जेंडर समानता की बातों को, बताना पितृसत्तात्मक व्यवस्था के नुकसानों को, सीखाना नारीवाद के बराबरी के सिद्धांत को, हमें सीखाना है।
बड़ी दूर होगी, मंजिल हमारी, पर पास, हमें लाना है। बड़ी दूर होगी, मंजिल हमारी, पर पास, हमें लाना है।
मूल चित्र: Still from Falsafa/Pocket Films, YouTube
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