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जिन्हें यह लगता है कि पति के हाथों की कठपुतली बनना ही प्रत्येक पत्नी का कर्तव्य है, वे वेब सीरीज़ महारानी न ही देखें तो बेहतर है।
इस सप्ताहांत सोनी लिव पर बहुप्रतीक्षित वेब सिरीज़ “महारानी” देखी। शनिवार और रविवार का थोड़ा सुकून और महारानी का साथ, मिलाकर एक बेहतर परिणाम।
हमारे देश ने दोनों तरह की राजनीति देखी है, राजतंत्र व प्रजातंत्र।
आज़ादी से पूर्व हमने राजतंत्र देखा, जब शासन की बागडोर राजाओं, महाराजाओं या इंग्लैंड की क्वीन के हाथों में थी तथा आज़ादी के पश्चात प्रजातंत्र, जब सत्ता की बागडोर प्रजा के लिए प्रजा द्वारा चुने गए जन प्रतिनिधियों या नेताओं के हाथ में है।
हमारे देश में राजनीति और अपराध सदा से ही एक दूसरे के पूरक रहे हैं। इसे यूँ समझा जा सकता है कि राजनीति में उतरने वाले, कितने(ये आप सब जानते हैं) ही सफ़ेदपोश लोगों के हाथ अपराध की कालिख से रंगे होते हैं।
राजनीतिक भ्रष्टाचार व अपराध पर पहले भी कई फ़िल्में व वेब सिरीज़ बन चुकी हैं, इसलिए महारानी का विषय तथा कथावस्तु नवीन नहीं है। परन्तु यहाँ राजनीतिज्ञों के छद्म चरित्र को जिस साहसिक तरीक़े से प्रस्तुत किया गया वह अवश्य ही नवीन है।
हमारे देश में राजनीति किस प्रकार केवल जातिगत समीकरणों पर आधारित होती है, वेब सीरीज़ महारानी में इसका बख़ूबी चित्रण किया गया है। इसके साथ ही राजनीति में सभी राजनीतिक पार्टियाँ किस प्रकार ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार में लिप्त होती हैं और वे किस प्रकार भ्रष्टाचार करती हैं, यह पहलू भी इस वेब सिरीज़ में भली भाँति समझाया गया है ।
महारानी कहानी है बिहार की राजनीति की। इस देश में पोषित अगड़ों व पिछड़ों की राजनीति की। उच्च जाति व निम्न जाति के बीच पिसती निरीह जनता की। उच्च जाति के लोगों की गिरी हुई मानसिकता की और निम्न जाति के लोगों द्वारा नक्सली आतंकवाद को बढ़ावा देने की।
मेरे मानना है कि वेब सीरीज़ महारानी आधारित है, लालू यादव की दलित राजनीति पर। राबड़ी देवी के मुख्यमंत्री बनने की कहानी पर तथा इन परिस्थितियों से उपजे घटनाक्रमों पर। हालाँकि वेब सिरीज़ के निर्देशक करण शर्मा ने हमेशा की तरह एक डिस्क्लेमर लगाया है कि कहानी के सभी पात्र काल्पनिक हैं।
वैसे ये कुछ हद तक यह सही भी है क्योंकि इतना इमानदार और रानी भारती की तरह साहसिक शायद कोई लीडर है ही नहीं। किसने किसकी कठपुतली बन सरकार चलाई है यह तथ्य किसी से भी छुपा हुआ नहीं है।
हाँ, तो यह कहानी है एक गाँव अनपढ़ गृहणी रानी भारती की।
रानी का पति बिहार का मुख्यमंत्री है परन्तु वह अपनी गँवार पत्नी को अपने साथ मुख्यमंत्री आवास में नहीं रखता। एक नाटकीय घटनाक्रम में मुख्यमंत्री के घायल होने पर रानी मुख्यमंत्री पद की शपथ लेती है। अनपढ़ गँवार साधारण गृहणी से एक आत्मविश्वास से परिपूर्ण मुख्यमंत्री तक तथा रानी से महारानी बनने का सफ़र है यह वेब सिरीज़ महारानी।
रानी के पात्र को हुमा क़ुरैशी ने बख़ूबी उकेरा है। उनकी अभिनय क्षमता कई स्थानों पर प्रभावित करती है । एक और चीज़ जो प्रभावित करती है, वो है महारानी के डायलॉग्स।
इसमें एक स्थान पर प्रजातंत्र को एक कहानी के द्वारा बहुत अच्छे से समझाया गया है । मैं उसे यहाँ उद्धृत कर रही हूँ।
“यदि किसी मेंढक को गर्म तेल से उबलती कढ़ाई में डाला जाता है तो तुरन्त ही अपनी जान बचाने के लिए कढ़ाई से बाहर की ओर छलाँग लगाता है। परन्तु यदि किसी मेंढक को एक कढ़ाई में साधारण तापमान के पानी में रखा जाता है तो वह कढ़ाई से बाहर जाने का प्रयास नहीं करता।
फिर जब धीरे धीरे कढ़ाई के पानी का तापमान बढ़ाया जाता है। मेंढक बढ़ते तापमान के साथ अपने शरीर को अनुकूल बनाने का प्रयास करने लगता है। तापमान जब और बढ़ता है और पानी खौलने लगता है तो मेंढक कढ़ाई से बाहर छलांग नहीं लगा पाता क्योंकि उसकी सारी ऊर्जा, सारी ताक़त तो अपने शरीर को पानी के अनुकूल बनाने में ख़र्च हो चुकी होती है। फिर वह मेंढक उसी उबलते पानी में मर जाता है।”
इसी प्रकार का व्यवहार प्रजातंत्र में हमारे नेताओं ने जनता के साथ किया है। उन्होंने जनता को उसकी परेशानियों में उलझाए रखने का कार्य किया है जिससे जनता रूपी मेंढक कभी भी परेशानियों से बाहर निकल ही न पाए।
एक और स्थान पर रानी भारती कहती हैं, “मैं अनपढ़ हूँ इसके लिए मैं ज़िम्मेदार नहीं, ज़िम्मेदार वो सरकारें हैं जो प्रत्येक गाँव में स्कूल नहीं खोल पाईं।”
या फिर, “ जो औरत अपना घर चला सकती है वो कोई भी सरकार चला सकती है।”
कुल मिलाकर “महारानी” एक ऐसी वेब सिरीज़ है, जो उन्हें अवश्य देखनी चाहिए जिन्हें भारतीय राजनीति को समझने में रुचि है। साथ ही उन्हें भी, जिन्हें एक अनपढ़, ग्रामीण परन्तु एक दबंग महिला से साक्षात्कार करना हो। जहाँ तक मैं समझती हूँ ऐसी महिलाएँ अधिक ताक़तवर होती हैं और अन्य पुरुषों के साथ-साथ अपने पति को भी बखूबी समझती हैं और उन्हें उनकी सही औकात दिखाती हैं।
हाँ, जिनके मन में रोती बिसूरती गाँव की औरतों की छवि हो, उन्हें निराशा ही हाथ लगेगी। जिन्हें यह लगता है कि पति के हाथों की कठपुतली बनना ही प्रत्येक पत्नी का कर्तव्य है, वे यह सिरीज़ न ही देखें तो बेहतर है।
हाँ, एक महत्वपूर्ण बात और आपसे विनम्र अनुरोध है कि कृपया इस पोस्ट को अपना राजनीतिक चश्मा उतार कर पढ़ें। यह मेरे व्यक्तिगत विचार हैं।
यदि मुझे नम्बर देने हों तो मैं “महारानी” को दूँगी दस में सात नम्बर (7/10)
मूल चित्र : Still from Web Series Maharani/SonyLiv, YouTube
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