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मैं माँ बनना चाहती हूँ, लेकिन एक बच्चा गोद ले कर…

अगर आज वो तन्मय और उसके परिवार के खोखले विचारों को अपनाकर बच्चा पैदा कर लेती और किसी को गोद ना लेती तो शायद खुद को कभी माफ़ नहीं कर पाती।

अगर आज वो तन्मय और उसके परिवार के खोखले विचारों को अपनाकर बच्चा पैदा कर लेती और किसी को गोद ना लेती तो शायद खुद को कभी माफ़ नहीं कर पाती।

लीना को इस बात का अफ़सोस नहीं था कि दूसरे लोग क्या कह रहे हैं, उसे तो इस बात से शिकवा था कि उसने जिस इंसान से प्यार किया, शादी की वो भी उस दिन चुप था। घरवाले तन्मय की दूसरी शादी के लिए तो तैयार थे लेकिन लीना के बच्चा गोद लेने से उन्हें गुरेज़ था। आख़िर क्यों? लीना बार-बार यही सवाल पूछती थी कि क्यों वो बच्चा गोद नहीं ले सकती।

उसने तन्मय से कई बार इस बारे में बात की। वो लीना की बात से सहमत तो था लेकिन घरवालों के सामने उसकी ज़ुबान पर मानो ताला लग जाता था।

लीना और तन्मय की लव मैरिज को 4 साल हो गए थे। घरवाले कई अरसे से बच्चे की रट लगाए बैठे थे, मानो जैसे शादी के बाद एकमात्र उद्देश्य बच्चा पैदा करना ही हो। लीना ने शादी से पहले ही तन्मय को ये बात साफ कर दी थी कि वो बच्चा नहीं चाहती। ऐसा नहीं था कि वो मां नहीं बनना चाहती थी लेकिन वो खुद प्रेग्नेंट नहीं होना चाहती थी और एक बच्चे को गोद लेना चाहती थी।

शादी से पहले तन्मय ने बड़े कॉन्फिडेंस से लीना को हां की थी कि वो उसे अपना बच्चा करने के लिए ना ही कभी दवाब डालेगा और घरवालों को भी समझा लेगा। अपने प्यार पर विश्वास करते हुए लीना ने तन्मय से शादी कर ली। एक बार उसका मन था कि वह तन्मय के घरवालों से खुद इस बारे में बात कर ले ताकि बाद में कोई परेशानी ना हो लेकिन तन्मय उसे हर बार ये कहकर मना कर देता था कि वो अपने तरीके से अपने घरवालों से बात कर लेगा।

लीना और तन्मय शादी के एक महीने बाद ही अपने फ्लैट में शिफ्ट हो गए थे। वो दोनों ही बड़ी-बड़ी कंपनियों में अच्छी पोस्ट पर थे। लीना प्रोजेक्ट हेड थी और तन्मय आर्किटेक्ट। अपने लिए वो दोनों कम ही समय निकाल पाते थे। बीच-बीच में समय मिलता तो वह घरवालों से मिल आते थे।

शादी के दो साल सब बढ़िया और अच्छा चल रहा था लेकिन उसके बाद तो हर बार घर जाने पर सिर्फ बच्चा-बच्चा ही होने लगा। लीना हर बार हंसी में बात टाल देती। वो जब भी तन्मय से पूछती की तुमने घरवालों से बात नहीं की क्या? तो तन्मय कहता था कर ली है वो तो बस यूं ही कहते रहते हैं।

आख़िरकार लीना से ये सब बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने तन्मय के घरवालों को सब बता दिया। तन्मय के घरवाले भौचक्के रह गए। उन सबके माथे पर शिकन की लकीरें देखकर लीना को धक्का लगा क्योंकि उसे लगा था तन्मय सब कुछ बता चुका है लेकिन ऐसा नहीं था।

लीना की पूरी बात सुने बिना, उसकी भावनाएं जाने बिना ही उसके सास-ससुर और ननद ने हंगामा कर दिया। उन्होंने तरह-तरह की बातें और तानें सुनाए, “बांझ ने मेरे बेटे से शादी कर ली”, “तुम्हें बच्चा नहीं करना था तो पहले बताती”, “हम किसी और का ख़ून अपने घर में नहीं लाएंगे, जाने किसका पाप हमारे घर में आ जाएगा” और भी जाने क्या-क्या? बात इतनी बढ़ गई कि लीना की सास ने तो तन्मय के दूसरे रिश्ते की बात भी कर दी। तन्मय वहां खड़ा सब सुन रहा था लेकिन उसने कुछ नहीं कहा।

लीना भी बिना कुछ कहे वहां से निकल गई और तन्मय से अलग रहने लगी। उधर तन्मय की मम्मी तो उसके लिए रिश्ते ढूंढने लगी और उससे लीना से तलाक लेने की सलाह देती रही। तन्मय ने अपने घरवालों को समझाया कि यह फ़ैसला लीना ने अकेले नहीं बल्कि उसकी सहमति से लिया है और वो खुद बच्चा गोद लेना चाहता है। लेकिन उसके घरवालों को ये सब झूठ लगा, उन्हें तो बस यही लगा कि लीना मां नहीं बन सकती।

तन्मय के घरवालों को ना तो अपने बेटे और बहू की ख़ुशियों की पड़ी थी और ना ही उन्हें ये बात समझ आ रही थी कि बच्चा करने या नहीं करने का फैसला सिर्फ और सिर्फ मां-बाप का हो सकता है किसी और का नहीं। ज़िंदगी में अपने करियर में इतना सक्सेसफुल होने के बाद भी लीना खुद को छोटा महसूस कर रही थी। उसे लग रहा था उसका वजूद सिर्फ एक पत्नी और मां का ही है और कुछ नहीं।

तन्मय उस भंवर में था जहां एक तरफ़ उसका प्यार था और दूसरी तरफ़ परिवार लेकिन ये परिस्थितियां उसकी खुद की बनाई हुई थी। अगर वो शादी से पहले ही सब कुछ बता देता तो आज शायद ये सब ना होता।

कई दिन गुज़र जाने के बाद तन्मय, लीना से मिलने पहुंचा और रोते हुए उससे घर वापस आने की गुज़ारिश करने लगा। लीना घर तो आना चाहती थी लेकिन वो अपने बच्चा गोद लेने की बात पर डटी हुई थी। वो नहीं चाहती थी कि एक बार फिर से अपने प्यार के लिए वो अपनी ज़िंदगी का सबसे बड़ा फ़ैसला नकार दे। अगर आज वो तन्मय और उसके परिवार के खोखले विचारों को अपनाकर बच्चा पैदा कर लेती और किसी को गोद ना लेती तो शायद खुद को कभी माफ़ नहीं कर पाती। आख़िर क्यों ये ज़रूरी था कि औरत ही हर बार अपने फ़ैसलों का गला घोंट कर सबको ख़ुश रखे?

एक दिन तन्मय की बहन रोती हुई घर आई तो मां ने तुरंत फोन करके तन्मय को घर बुलाया। जब तन्मय की बहन निकिता ने उसे सारी बात बताई तो वह दंग सा अपनी मां की ओर देखता रहा। दरअसल निकिता की डॉक्टर ने उसे बताया कि कुछ हेल्थ इश्यूज़ की वजह से वो कभी मां नहीं बन सकती और निकिता के ससुराल वाले इस बात से बहुत नाखुश थे।

तन्मय को तब हैरानी हुई जब उसकी मां ने निकिता से बच्चा गोद लेने की बात कही। आज अपनी मां की बातों से वह सकते में था। एक पल में उसकी सारी दुनिया इधर से उधर हो गई और बिना देर किए वो लीना के पास पहुंच गया।

वो लीना को साथ लेकर घर वापस आया और अपनी मां के सामने खड़ा करके सवाल पूछा, “आज आपकी बेटी मां नहीं बन सकती तो आप बच्चा गोद लेने के लिए कह रही हैं लेकिन जिसे आप बेटी कहकर घर लाए उसके ऐसा करने से आपको परेशानी है? अगर अपने खून से इंसान को इतना अंधा प्यार हो जाता है कि वो दूसरों को देखना भूल जाए तो मुझे कभी अपना खून चाहिए ही नहीं।”

तन्मय के परिवारवालों की आंखों में आज पश्चाताप के आंसू थे और लीना के चेहरे पर आत्मसम्मान की मुस्कान। आख़िरकार लीना और तन्मय ने एक बच्ची को गोद लिया और उसका नाम रखा “आस”।

मूल चित्र : Still from Short Film Apnao, YouTube 

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