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भाभी के आने से मेरा घर बदला हुआ लगता है…

एक बात बताओ जब यही सब कुछ तुम्हारे भाई की शादी के बाद तुम्हारी भाभी के आने के बाद हो रहा है तो तुम्हें बुरा क्यों लग रहा है?

एक बात बताओ जब यही सब कुछ तुम्हारे भाई की शादी के बाद, तुम्हारी भाभी के आने के बाद हो रहा है तो तुम्हें बुरा क्यों लग रहा है?

“अरे मम्मी! यह क्या खाने में बैंगन बना दिए हैं पापा तो बैंगन नहीं खाते है ना?”

“हाँ नैना, लेकिन अब खाते हैं .दरअसल उन्हें बैंगन का भर्ता पसंद नहीं था इसीलिए बैंगन खाते ही नहीं थे पर तले हुए बैंगन जरूर खा लेते हैं और वैसे भी साथ में अरहर की दाल तो है ही इसीलिए चिंता नहीं है।”

“अरे वाह सही है, सब बदल रहे हैं धीरे-धीरे।”

अपनी बेटी के द्वारा मजाक में ही कही गई यह बात अनीता जी को चुभ गई थी क्योंकि वह समझ चुकी थी कि नैना के भाई यानी कि अनीता जी के बेटे राघव की शादी के बाद घर में जो परिवर्तन आया है उसे कहीं ना कहीं नैना नकारात्मक तरीके से देख रही है।

दरअसल नैना अनीता जी की इकलौती और लाडली बेटी है‌ उसकी शादी से पहले और बाद में भी अनीता जी के घर में जो भी कुछ होता था वह नैना की मर्जी से ही होता था। फिर चाहे वह घर की सजावट हो, पर्दे हो, घर में बनने वाले व्यंजन हो या फिर कोई भी छोटा बड़ा डिसीजन सब कुछ नैना की मर्जी से ही होता था।

हालांकि नैना की शादी के बाद बदलाव आ चुका था क्योंकि नैना भी अपने परिवार में खुश थी और अच्छे तरीके से रच बस गई थी‌। जिसके चलते उसे इन सब बातों के लिए ज्यादा समय भी नहीं मिल पाता था।

नैना की शादी के एक साल बाद ही उसके भाई राघव की शादी हो गई और भाभी सलोनी घर में आ गई। सलोनी एक पढ़ी-लिखी, संस्कारी, सुंदर और हर तरीके से निपुण लड़की है जहां एक तरफ हो पति के साथ उनके बिजनेस में मदद करती है वहीं दूसरी तरफ घर के सारे काम भी बड़ी ही फुर्ती से निपटा देती है लेकिन कहते हैं ना कि हर किसी के काम करने का तरीका अलग होता है।

इसीलिए अब घर में काफी कुछ धीरे-धीरे बदल भी रहा था फिर चाहे वह कोई रेसिपी हो या सजावट का सामान हो त्यौहार सेलिब्रेट करने का तरीका हो या फिर और कुछ परिवर्तन तो संसार का नियम है। लेकिन नैना इसे नकारात्मक तरीके से ले रही थी। इसीलिए अनीता जी ने अपनी बेटी को अपने कमरे में बुलाया।

“नैना तुम्हें याद है मैं बेसन के गट्टे की सब्जी बनाती थी और मैंने तुम्हें सिखाई भी थी। लेकिन आजकल न जाने क्यों वैसी बनती ही नहीं है एक बार तुम बनाकर खिलाओ ना मुझे।” 

“अरे मम्मी वो रेसिपी तो मुझे भी याद नहीं है दरअसल हमारे यहां गट्टे की सब्जी दूसरे तरीके से बनाते हैं तो मुझे भी उसी की आदत हो गई है मेरा तरीका तो चेंज हो गया है। लेकिन यह वाली भी अच्छी बनती है मैं आज रात को ही बनाती हूँ।”

“वह तो ठीक है, बनती होगी अच्छी लेकिन मुझे तो वही वाली खानी थी तुमने न जाने क्या-क्या चेंज कर दिए होंगे मुझे पसंद नहीं आएगी।”

“अरे मम्मी चेंज किए हैं तो क्या हुआ एक बार ट्राई तो कर के देखो और वैसे भी थोड़ा बहुत चेंज तो हो ही जाता है ना। अब देखो पहले मेरी सास अरहर की दाल खाती ही नहीं थी लेकिन अब उन्हें मेरे हाथों की अरहर की दाल बहुत पसंद है और ऐसे ही मेरी शादी से पहले मम्मी जी केवल सलवार सूट ही पहनती थी अब उन्होंने साड़ी पहनना शुरू कर दिया है और जानती हो इतनी सुंदर लगती है, हाँ पहले उन्हें थोड़ी दिक्कत हुई थी लेकिन अब तो एकदम बढ़िया साड़ी बांधती है।”

“अरे वाह बेटा तो तुम्हारे कहने का यह मतलब है कि तुम्हारे जाने के बाद तुम्हारे ससुराल में थोड़ा बहुत परिवर्तन आया है फिर चाहे वह खाने पीने का तरीका हो रहन-सहन हो या आप घर के छोटे-मोटे काम हो या और कुछ और ही परिवर्तन आया है।”

“क्योंकि यह दो परिवारों का मिलन है यहां के संस्कार यहां की संस्कृति खानपान सब कुछ तुम्हारे साथ-साथ उस घर में गया है और इसलिए यह परिवर्तन आया है, यह सही भी है, होना भी चाहिए। नई-नई चीजें नई-नई बातें अगर हम ट्राय नहीं करेंगे तो कुछ नया परिणाम कैसे मिलेगा।”

“तो फिर एक बात बताओ जब यही सब कुछ तुम्हारे भाई की शादी के बाद तुम्हारी भाभी के आने के बाद हो रहा है तो तुम्हें बुरा क्यों लग रहा है? जिस तरीके से तुम अपना खानपान अपनी संस्कृति उस परिवार की संस्कृति में मिला रही हो वह भी वही कर रही है तो फिर तुम सही और वह गलत कैसे हो सकती है?

हां पहले तुम्हारे पापा बैंगन नहीं खाते थे और अब खाते हैं क्योंकि उन्हें तुम्हारी भाभी के हाथ के तले हुए कुरकुरे बैंगन पसंद है, पहले मैं कभी जुड़ा नहीं बनाती थी लेकिन अब बनाती हूं क्यों क्योंकि पहले मुझे बनाना नहीं आता था लेकिन अब तुम्हारी भाभी ने मुझे बहुत ही सिंपल तरीके से बनाना सिखा दिया है और इसी तरीके से पहले पर्दे हो या चादरें,  क्रोकरी हो या सजावट का सामान सब तुम्हारी पसंद का आता था लेकिन अब तुम्हारी भाभी की पसंद भी मायने रखती है इस घर में क्योंकि वह इस घर की बहू है ठीक वैसे ही जैसे तुम उस घर की बहू हो।

जैसे तुम्हारे ससुराल वालों ने तुम्हारे उस घर में आने के बाद घर में आए परिवर्तनों को सकारात्मक रूप से लिया है उनका सम्मान किया है वैसे ही हमें और तुम्हें भी मिलकर इस घर में आने वाले परिवर्तन को अपनाना होगा तभी वो भी तुम्हारी तरह ससुराल में लाडली बहू बन जाए।”

“बिल्कुल सही कहा मम्मी। वैसे एक बात तो है बच्चे चाहे कितने भी बड़े हो जाए माँ उनके दिल की हर बात समझ लेती है और सही गलत सब कुछ इतने अच्छे तरीके से समझा देती है कि कोई और तो यह काम कर ही नहीं सकता। थैंक्यू मम्मी!”

मूल चित्र: Still from Meezan cooking oil ad via Youtube 

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