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आज देश को जरूरत है कि न केवल मुक्केबाज़ लवलीना बोरगोहेन को जाने, बल्कि उनकी मेहनत, उनके संघर्ष और उनकी लगन के बारे में भी जाने।
लवलीना बोरगोहेन का नाम देश के आम लोगों के बीच खोया हुआ एक आम नाम है। आम लोगों के भीड़ से खास लोगों की जमात का हिस्सा बनने के लिए लवलीना जो संघर्ष आज कर रही है वह भारत जैसे देश में उन करोड़ों युवाओं खासकर लड़कियों के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है, जो संसाधनों के आभाव में नाउम्मीद हो जाते है और जिंदगी में संघर्ष करना छोड़ देते हैं।
लवलीना बोरगोहेन एक बॉक्सर है जिसने बाक्सिंग के बारे में बचपन में अखबारों में मोहम्द अली की खबर से जाना, जिसे उसके पिता टिकेन बोरगोहेन ने बताई थी।
गांधी जंयति के दिन 2 अक्टूबर को लवलीना बोरगोहेन का जन्म असम के गोलाघाट जिले के बारूमुखिया गांव में पिता टिकेन और माँ ममोनी के घर हुआ।
स्कूल के दिनों में ही लवलीना मार्शल आर्ट में बेहतर करने लगी थी। पिता की आमदनी इतनी नहीं थी कि वह लवलीना को स्पोट्स में कुछ करने के लिए प्रोत्साहित कर पाते।
तीन बहनों के बीच पली-बढ़ी लवलीना बोरगोहेन की माँ ने हमेशा तीनों बहनों को यह समझाया कि अपनी जिंदगी बेहतर करने के लिए सब को मेहनत करनी होगी। उन्होने समाज के इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि लड़कियां कुछ नहीं कर सकती।
नवीं क्लास में स्कूल के टीचरों ने लवलीना के अंदर छुपी हुई नर्सैगिक प्रतिभा को पहचाना और बाक्सिंग के परंपरागत ट्रेनिग देने के लिए स्पोट्स आथिरिटी आंफ इंडिया के कैंम्प भेज दिया। जहां लवलीना ने अपने डर पर काबू पाना सीख लिया।
लवलीना का हाथ थोड़ा लंबा है इस नैसर्गिक प्रतिभा का इस्तेमाल वह अपने बाक्सिग गेम्स में अलग तरीके से कर सकती है यह बात लवलीना ने ट्रेनिग के दौरान ही जाना।
अब तक लवलीना राज्य और देश के स्तर पर कई मेडल जीत चुकी है। इसके पहले भी वह ओलपिंक खेल चुकी है पर अभी तक वह सम्मान नहीं पा सकी है, जिसका इतंजार हर खिलाड़ी को होता है।
ओलपिंक गोल्ड उनका मुख्य़ लक्ष्य है। वह चाहती हैं एक बार ओलपिंक गोल्ड उनके नाम से साथ लग गया, तब वह देश के आम लोगों के भीड़ से अपने आप अलग हो जाएँगी। उनको हमेशा याद भी रखा जाने लगेगा। उनका यह सपना उनको और कड़ी मेहनत करने की प्रेरणा देता है।
बकौल लवलीना की माँ ममोनी बताती हैं कि, “लवलीना के अंदर शुरुआत में डर काफी है जिसको हटाने में थोड़ा वक्त लगा। अच्छी ट्रेनिग मिलने से लवलीना ने अपने बाक्सिग में काफी सुधार कर लिया है। अब उनके अंदर जीतने की भूख भी धीरे-धीरे बनने लगी है।”
टोक्यो ओलम्पिक के लिए क्वालीफाय कर चुकीं बाक्सर लवलीना अपने संघर्ष की कहानी बताते हुए कहा है कि, “उन्होंने बॉक्सिंग की शुरुआत की थी तब बहुत लोगों ने उन्हें कहा था कि ये लड़कियों का खेल नहीं है। लेकिन लवलीना ने अपना फोकस बनाए रखा और आज वो ओलोपिंक में दावेदार हैं और गोल्ड मेडल जितनी की पूरी तैयारी कर रही हैं।”
ओलंपिक के लिए लवलीना बाक्सिग के दांवपेंच में इन साइड खेलने का प्रैक्टिस कर रही हैं। साथ ही साथ उन तमाम दाव-पेंच का अभ्याद कर रही हैं जिसकी जरूरत ओलपिंक गेम्स के दौरान बन सकती है।
आज देश को जरूरत है कि न केवल लवलीना बोरगोहेन को जाने, बल्कि उनकी मेहनत, उनके संघर्ष और उनकी लगन के बारे में भी जाने जिसकी कोशिश वह नंवी क्लास से ही कर रही हैं।
देश वासियों का भरोसा और विश्वास लवलीना का आत्मविश्वास तो बढ़ायेगा ही लवलीना अगर अपनी कामयाबी दर्ज कर पाती है तो राष्ट्रीय गौरव का सम्मान हर भारतीयों के लिए बढ़ जाएगा।
मूल चित्र: lovlina borgohain via Twitter
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