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होती हैं ये सब किस्मत की बातें,मैं भी यही सोचा करती थी। है अगर यही मेरी क़िस्मत तो, मैं किस्मत से भी लड़ जाऊंगी।
होती हैं ये सब क़िस्मत की बातें,मैं भी यही सोचा करती थी। है अगर यही मेरी क़िस्मत तो, मैं क़िस्मत से भी लड़ जाऊंगी।
हैं पंख घायल तो क्या मेरे, मैं उड़ना तो नहीं भूल जाऊंगी। मेरे हिस्से की ज़मीं नहीं तो क्या, मैं आसमां को मंजिल बनाऊंगी।
गिर कर फिर उठ पड़ती हूँ, टूटती हूं पर बिखरती नहीं। चुन चुन कर टुकड़े खुद अपने, मैं फ़िर से खड़ी हो जाऊंगी।
होती हैं ये सब क़िस्मत की बातें, मैं भी यही सोचा करती थी। है अगर यही मेरी क़िस्मत तो, मैं क़िस्मत से भी लड़ जाऊंगी।
हों हौसले अगर बुलंद तो, फ़िर मन में ये डर कैसा। मैं बिन पंखों के ही देखना, आसमां की उड़ान भर आऊंगी।
मूल चित्र: Still from Reliancefresh Ad Via Youtube
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