कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
माँ के इस छोटे से शब्द में पूरी सृष्टि समाजाएं, माँ की महिमा को कौन शब्दों में बांध पाएं। ममता को देख भगवान भी माँ में समाएं।
सीने से लगा जो हर घड़कन में छिपी बात को अपने शिशु की समझ लेती हैं,उस माँ को में किन शब्दों में बयान करूं?जो शब्दों के सार को एक पल में समझ लेती है।
माँ की महिमा उस ख़ुदा से भी महान हैं,जिसने यह संसार बनाया।माँ ने अपने शिशु के साथ गर्भ से ही अनोखा प्यार का रिश्ता निभाया।
माँ ने अपने खून से सिंच कर एक एक पौधा उगाया,उसे एक वटवृक्ष बनाने के लिए अपना पूरा जीवन लगाया।भूल कर अपने को अपने शिशु में वह रम जाएं,उसे उस में अपना कृष्णा और रहीम नज़र आएं।
माँ की ममता लोरियां बन कानों में जब गूंजे,आंखें फिर सपनों की गलियों में घूमे।चांद भी बादलों में छिप कर सो जाएं,पर माँ सिरहाने पर बैठ लोरियां ही गाएं।
भूल थकावट को अपनी, पूरा दिन साखी बनमन अपने शिशु का बहलाएं,पेट उसका भरने के लिए रोज – रोज नए तरीके आजमाएं।कभी रोटी को चंदा मामा बता उसे खिलाएं,
तो कभी परियों की कहानी सुना- सुना कौर वह खिलाएं।
माँ ही ईश्वर के प्रथम दर्शन अपने शिशु को कराएं,बन गुरु, माँ शिशु को ज्ञान से अवगत कराएं।हर समस्या का समाधान उसकी, माँ तुरंत बताएं,हिम्मत और हौसला हर माँ अपने शिशु को घुट्टी में घोलकर पिलाएं।
जीवन के कठोर पथ पर चलने के लिए मां शिशु को शूरवीर बनाएं ,हर मंदिर – मस्जिद की दहलीज पर मां अपने शिशु की खुशी की झोली फैलाएं।
फलता -फूलता देख कर संतान अपनीमाँ हर गम को अपने भूल जाएं,कामयाबी के लिए उसकी,माँ दुआओं की सीढ़ी बनाएं।
जीवन पूरा देकर अपना माँ उसे एक इंसान बनाएं,जब आंख मूदें अपनी संतान सामने चाहे।ऐसी ममता को देख भगवान भी माँ में समाएं।
माँ के इस छोटे से शब्द में पूरी सृष्टि समाजाएं,ऐसी माँ की महिमा को कौन शब्दों में बांध पाएं।मातृत्व के आगे जो नर-नारी अपना शीश झुकाएं,उसे ईश्वर इसी धरती पर मिल जाएं।
मूल चित्र: ParleG via YouTube
read more...
Please enter your email address