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क्यों मनिका बत्रा और मीराबाई चानू का टोक्यो ओलंपिक्स में बेहतरीन प्रदर्शन करना काफ़ी नहीं है? सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय कुछ और ही है...
क्यों मनिका बत्रा और मीराबाई चानू का टोक्यो ओलंपिक्स में बेहतरीन प्रदर्शन करना काफ़ी नहीं है? सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय कुछ और ही है…
भारत की स्टार महिला वेट लिफ्टर मीराबाई चानू टोक्यो ओलंपिक गेम्स के पहले दिन मेडल जीतने वाली पहली महिला बन गई हैं। मीरा बाई ने सिल्वर जीतकर भारत का भारोत्तोलन स्पर्धा में मेडल जीतने का 21 साल लंबा इंतजार खत्म किया।
वहीं भारत की स्टार टेबल टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्रा ने बेहतरीन खेल का प्रदर्शन करते हुए टोक्यो ओलंपिक के महिला सिंगल्स इवेंट का अपना दूसरे दौर का मुकाबला जीत लिया। जैसे ही ये खबरें मीडिया पर आयीं वैसे ही बिना अपना “बहुमूल्य समय” गवाए हमारे “मीमस मेकर” लग गए नफ़रत फैलाने के कार्य में।
टोक्यो ओलंपिक्स में अपने हुनर का लोहा मनवा रहीं भारतीय बेटियों ने जहाँ हमारा सर गर्व से ऊँचा कर दिया है, वहीं हमारे देश के दूषित मानसिकता वाले लोग इस जश्न के माहौल को घटिया मोड़ देने की कोशिश में लगे हैं।
कैसे एक महिला की जीत को दूसरी महिला की हार बताई जाये, इसमें ये वर्ग महारथ हासिल करने की ओर लगा रहता है। ऐसा लगता है मानो वह अपने जीवन की कमियों को ऐसी घटिया “मीम्स” बना समाज में नफ़रत फैलाने से पूरी कर रहें हैं।
मीराबाई चानू को शेरनी बताते हुए कंगना रनौत की फोटो को टैग कर उन्हें असली शेरनी का मतलब समझाता एक मीम मेरी नज़रों के सामने आया। इस मीम मेकर ने कंगना रनौत का मज़ाक उड़ाते हुए यह नहीं सोचा होगा कि यह मीम कंगना की नहीं बल्कि उनकी अपनी सोच को दर्शाता है। कुछ मीमस में मीराबाई चानू को भारतीय नारी बता कर, भारत की महिलाओं को आदर्श नारी का पाठ पढ़ाते दिखे ये मीम मेकर्स। खास कर भारतीय अभिनेत्रियों को आदर्श नारी का उदहारण देते दिखे ये “आदर्श भारतीय पुरुष ”।
दूसरी ओर टेबल टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्रा को बधाई देते एक मीम मेकर ने मनिका को स्वरा भास्कर और तापसी पन्नू से ज़्यादा सुन्दर और कहीं ज़्यादा टैलेंटेड बताया है। क्या मनिका बत्रा की प्रशंसा बिना तापसी पन्नू और स्वरा भास्कर को नीचा दिखाए नहीं हो सकती थी?
यह कैसी सोच जहाँ एक महिला की प्रशंसा दूसरी की निंदा कर के ही की जाती हो?
तापसी पन्नू ,स्वरा भास्कर जैसे कई बड़े नाम अक्सर सोशल मीडिया पर ट्रोल होते रहते हैं। बात चाहे किसी के बारे में भी हो रही हो ट्रोल्स के निशाने पर ये चर्चित अभिनेत्रियां रहतीं हीं हैं। उसका कारण है उनकी बेबाक़ और समाज की कुरीतियों को चुनौती देतीं फिल्में। साथ ही साथ उन सभी का सोशल मीडिया पर अपने विचारों को खुल कर रखने की आदत उन्हें ट्रॉल्स का मनपसंद शिकार बनातीं हैं। पर जैसा की हम सभी जानते हैं,आज की महिलाएं न डरने वाली हैं और न ही चुप बैठने वाली। हर महिला “शेरनी” है।
क्यों मनिका बत्रा और मीराबाई चानू का टोक्यो ओलंपिक्स में बेहतरीन प्रदर्शन करना आज हमारे सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय ना हो कर उनके कपड़े, शारीरिक सुंदरता और दूसरी महिलाओं से तुलना ज़्यादा ट्रेंड हो रहा है? क्या हमारा समाज महिला खिलाड़ियों को अन्य खिलाड़ियों जैसा केवल उनके खेल लिए प्रशंसित नहीं कर सकता?
इक्कीसवीं सदी के भारत से ऐसी उम्मीद नहीं करता है यह विश्व। हर महिला खिलाड़ी अपनी पूरी ताक़त लगा देश का नाम ऊँचा करने में लगी रहतीं हैं। बेहतर होगा अगर उन्हें उनके खेल के लिए जाना जाए और उनके खेल के बारे में ही लिखा जाए।
यहाँ एक बात मैं बताना चाहूँगी कि ऐसा करके मीम मेकर्स कुछ अनोखा या महान काम नहीं करेंगे बल्कि यह हर एक महिला खिलाड़ी का हक़ है।
मूल चित्र: Still from Twitter, Olympics, newslaundry and MTV India from Youtube
Ashlesha Thakur started her foray into the world of media at the age of 7 as a child artist on All India Radio. After finishing her education she joined a Television News channel as a read more...
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