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तिल खाने के फायदे की बात करें तो, बचपन से हमने सुना है कि इसे खाने से पेट साफ रहता, बाल कम झड़ते हैं, पर तिल खाने के फायदे और भी हैं...
तिल खाने के फायदे की बात करें तो, बचपन से हमने सुना है कि इसे खाने से पेट साफ रहता, बाल कम झड़ते हैं, पर तिल खाने के फायदे और भी हैं…
तिल एक तरह की औषधी हैं जिसका उपयोग हमारे पूर्वज सालों से करते आ रहे हैं और आज भी किसी शुभ काम में इसका इस्तेमाल किया जाता है। तिल का उपयोग वैसे तो खाने से लेकर मिठाईयों तक सभी में होता है पर उत्तर और दक्षिण भारत में इसका एक अपना महत्तव है।
ठंड की शुरुआत से ही तिल डाल कर खाना खाने का रिवाज सालों से हमारे घरों में चला आ रहा है। मकर संक्रांति की तैयारी में सफेद और काले तिल का बड़ा योग्यदान रहता है। भारत में इनका उपयोग सबसे ज़्यादा होता है।
तिल एक पुष्पिय पौधा है, जिसकी ऊँचाई एक मीटर के करीब होती है, दुनिया के सभी गर्म देशो में इसकी खेती होती है। इसकी पत्तियाँ तीन से आठ ऊंगली तक लंबी होती है। इसके फूल गिलास आकार में होते है। भारत में इसकी खेती करीब 4000 वर्षो से हो रही है।
तिल के बीजो से खाद्ध तेल भी निकाला जाता है। वैसे तो यह वार्षिक तौर पर 30 से 60 से.मी. ऊँचा होता है। इसके फूल सफेद एंव बैगनी रंग के पाये जाते है पर कुछ मामलों यह काले बैगनी, नीले पीले रंग के भी हो सकते है।
भारत में तिल दो प्रकार के होते है सफेद और काले। इनकी दो तरह की फसले उगाई जाती है- कुवारी और चैती। कुवारी फसल बरसात के वक्त उगाई जाती है और चैती कार्तिक के वक्त बोई जाती है।
वैसे तो तिल के अपने फायदे हैं पर इसका स्वरुप तीखी, मधुर, स्वादिष्ट एंव गर्म तासीर का होता है और आयुर्वेद के अनुसार दोनों तिल के गुणों का वर्णन किया गया है। दोनों ही के अपने औषधीय गुण हैं पर सफेद तिल के मुकाबले काले तिल की औषधिक गुण ज़्यादा हैं।
अब तिल के फायदों के बारे में बात करते हैं वैसे तो बचपन से हमने सुना है कि इसे खाने से पेट साफ रहता, बाल कम झड़ते है। पर जितना हम जानते हैं, उतने ही फायदे हैं या और कुछ भी हैं?
सर्दियां में तिल का इस्तेमाल ज़्यादा किया जाता है क्योंकि इसकी तासीर गर्म होती है पर ठंड में यह शरीर को गर्म रखता है। काले तिल को चबा कर खाने के बाद ठंडा पानी पीने से बावासीर जैसी समस्या कम हो सकती है। तिल से बनी चीजों को खाने से कब्ज से राहत मिलती है।
ठंड में खासी की समस्या आम है और यह ज़ल्दी न जाने वाली बीमारी है। इससे बचाव के लिए तिल के साथ मिश्री खायेँ तो आपकी खाँसी दूर हो जाएगी।
तिल के तेल में लहसुन की एक कली डालकर हल्का गर्म कर कान में डालने पर कान का दर्द दूर हो जाता है और उसे शरीर में लगाने से शरीर का दर्द कम हो जाता है।
तिल में मौजूदा मोनो-सैचुरेटड फैटी एसिड शरीर से बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और गुड कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ता है। इससे हार्ट अटैक का खतरा कम होता है।
बाल हम सभी को प्यारे होते पर उनका वक्त से पहले सफेद होना और झड़ना हमारे लिए एक बड़ी समस्या है। तिल के तेल का इस्तेमाल करने से बाल काले और झड़ने कम हो जायेगे।
तिल का पेस्ट लगाने से चेहरे की रौनक बढ़ जाती है। तिल के कुछ दाने दूध में डाल कर पेस्ट बना ले और उसका इस्तेमाल करने से चेहरे में रौनक आ जाती है। इसके अलावा आप तिल के तेल से चेहरे की मालिश करगे तो त्वाचा स्वस्थ रहेगी।
अभी तक आपने सिर्फ तिल के शारीरिक गुण पढ़े हैं पर यह सिर्फ शरीर को ही नही बल्कि दिमाग को आराम पँहुचाता है। तिल को सही मात्रा में खाने से चिंता, अवसाद, तनाव कम होता है और दिमाग चुस्त दुरुस्त रहता है।
भारत में विभिन्न संस्कृतिया बसती है। उसी तरह हमारी भाषा भी हर 20 किलोमीटर पर बदल जाती है। भारत के विभिन्न राज्यों तिल के नाम भी अलग-अलग तरह से बोले जाते है-
उड़ीया- खसू
कन्नड़- एल्लू
गुजराती- तल तिल
तेलगु- नुव्वलु
तमिल- एब्लु नूव्वलु
बंगाली- तिलगाछ तिल
मलयालम- एल्लू
मराठी- तील तिल
तो देर किस बात की? जल्दी से तिल को अपनी ज़िन्दगी का हिस्सा बनाइये और इसके गुणों का फायदा उठाइये!
डिस्क्लेमर : यहां दी गयी जानकारी बहुत सामान्य है। अपने जीवन शैली में किसी भी बड़े बदलाव को लाने से पहले एक एक्सपर्ट की राय लेना ना भूलें।
मूल चित्र: healthifyme.com
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