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मैंने दहेज़ में कुछ नहीं माँगा…

मां ने बताया कि अमन के घर वालों ने ऑफिस के पास एक बड़ा फ्लैट देख कर रखा है, ताकि शादी के बाद नेहा और अमन को ऑफिस आने-जाने में सुविधा हो।

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मां ने बताया कि अमन के घर वालों ने ऑफिस के पास एक बड़ा फ्लैट देख कर रखा है, ताकि शादी के बाद नेहा और अमन को ऑफिस आने-जाने में सुविधा हो।

अपने डेस्क पर काम कर रही नेहा का ध्यान ऑफिस में हो रहे शोरगुल की ओर गया। उसने देखा कुछ पुलिस वाले एक लड़के को हथकड़ी लगा कर ले जा रहे थे।

गौर से जब नेहा ने उस लड़के की ओर देखा तो चौंक गयी। यह तो अमन है। उसके मन में कई सवाल उठने लगे। पुलिस अमन को कहाँ और क्यों ले जा रही है? ऐसा क्या कर दिया उसने? ऐसे ही कई सवाल मन में लिए वो अमन की ओर बढ़ी, पर तब तक पुलिस अमन को लेकर ऑफिस बिल्डिंग से निकल गयी। 

तभी नेहा का ध्यान पास खड़े कुछ ऑफिस एम्प्लाइज की बातों पर गया। आपस में बातें करते हुए वो कह रहे थे कि अमन की पत्नी ने अमन और उसके परिवार के खिलाफ एफआईआर दर्ज़ कराई है। एफआईआर में उसने घरेलू हिंसा व दहेज उत्पीड़न की बातें कही हैं। यह सब सुन नेहा पूरा मामला समझ गयी। दिल को दुखाने वाली कई पुरानी यादें मानो आँखों के सामने नाचने लग गयी हों। अतीत की उन यादों में नेहा खोती चली गयी। 

बात बीते दिनों की है, जब नेहा और अमन कॉलेज में एक साथ इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे। नेहा पढ़ाई में अच्छी थी। कई क्लासमेट्स पढ़ाई में उसकी मदद लिया करते थे। उनमे से एक अमन भी था। अक्सर वह नेहा के नोट्स लेकर पढ़ाई किया करता था और अगर फिर भी कोई मुश्किल आती तो नेहा उसे समझा दिया करती।

धीरे-धीरे वो एक दुसरे को पसंद करने लगे। संयोग से नेहा और अमन की कैंपस प्लेसमेंट एक हो कंपनी में हुई। दोनों बहुत खुश थे और उनके प्यार और शादी के फैसले को दोनों परिवारों ने स्वीकृति दे दी। फिर क्या था, अच्छा मुहूर्त देख दोनों की सगाई हो गयी।

शादी की तारीख कुछ महीनों बाद की निकली। नेहा के माता-पिता बहुत खुश थे। बेटी की जितनी अच्छी नौकरी, उतना ही अच्छा लड़का। सोने पर सुहागा यह की उनकी लाडली को लड़के का अच्छा परिवार भी मिला। नेहा ने भविष्य के लिए कई सुनहरे सपने संजोने शुरू कर दिए थे। शादी की तैयारियां शुरू हो गई।

एक दिन अमन नेहा को लेकर अपने परिवार के साथ शादी की खरीदारी कराने ले गया। साड़ी की एक दुकान पर अमन का परिवार उन दोनों का इंतजार कर रहा था। अमन की मां और बहनों ने कई साड़ियां निकाल कर रखी थीं। उन्होंने नेहा से साड़ी ट्राई करने को कहा। और उनमें से एक साड़ी अमन के परिवार वालों ने फाइनल कर दी।

नेहा को वह साड़ी पसंद नहीं आई, पर अमन के परिवार वालों का मान रखते हुए उसने वह साड़ी रख ली। उसके मन में यह बात खटक रही थी कि किसी ने भी उसकी पसंद- नापसंद एक बार भी नहीं पूछी? यहां तक कि अमन ने भी नहीं? जबकि अमन को पता है कि नेहा को वो रंग बिल्कुल पसंद नहीं है। लेकिन ताज्जुब यह कि उसने परिवार वालों के सामने ने कुछ नहीं कहा।

यह सोचते-सोचते नेहा सब के साथ दुकान से निकल कार पार्किंग एरिया में आ गई। अमन की गाड़ी में सब के बैठने लायक जगह नहीं थी। यह देख नेहा ने कहा वो कैब से घर चली जाएगी। उस पर अमन के पिता ने नेहा की ओर देखते हुए एक नई गाड़ी खरीदने की बात कह डाली। नेहा वहीं खड़ी उनकी बात का अर्थ समझने की कोशिश करने लग गई।

अगले दिन शाम में ऑफिस से जब नेहा घर पहुंची तो पता चला अमन के माता-पिता घर आए थे। शादी की तैयारियों से जुड़ी बातें करने। बातों बातों में मां ने बताया कि अमन के घर वालों ने उसके ऑफिस के पास एक बड़ा फ्लैट देख कर रखा है, ताकि शादी के बाद नेहा और अमन को ऑफिस आने-जाने में सुविधा हो। पर, फ्लैट इतना महंगा है कि चाहते हुए भी वे लोग उसे नहीं खरीद पा रहे हैं। इसीलिए नेहा के पापा ने भी होम लोन लेने का फैसला लिया है।

यह सुन नेहा का माथा ठनका। उसे यह बात ठीक नहीं लग रही थी। कल अमन के घर वालों ने नई गाड़ी की बात की और आज घर की। नेहा ने तय किया कि वह मौका देखकर अमन से बात करेगी।

अगले दिन ऑफिस के बाद अमन नेहा को लेकर कार के शोरूम गया। वहाँ उसने अपनी पसंद की हुई गाड़ी की ओर इशारा करते हुए कहा, “शादी के दिन तुम्हें इसी गाड़ी से लेने आऊंगा।”

यह सुन नेहा ने पूछा, “इसे खरीदने के पैसे कहाँ से आएंगें?”

अमन बोला, “तुम चिंता मत करो इसका इंतजाम हो गया है।” यह कहते हुए नेहा को ले, वह शोरूम से निकल गया। 

नेहा ने कई बार कोशिश की अमन से बात करने की पर, वह हर बार नेहा की बातों को टाल देता। नेहा ने भी यह सोचकर बात छोड़ दी कि अगले एक-दो दिन में मौका देख कर बात करेगी। ये सब सोचते हुए नेहा घर पहुंची तो देखा कि उसके माता-पिता शादी के खर्चे की लिस्ट बना रहे थे। नेहा ने उनसे लिस्ट देखने को मांगी तो वह आना-कानी करने लगे। उसने ज़िद्द कर लिस्ट उनसे ले ली।

लिस्ट देखते ही नेहा सन्न रह गई। उसमें फ़्लैट और उसकी सजावट के सामान, गहने, कपड़े, नेहा के होने वाले ससुराल वालों के लिए कीमती उपहार, पूरी शादी और बारात का खर्चा वगैहरा था। लिस्ट के अंत में एक और चीज जोड़ी गई थी – वह गाड़ी, जो अमन ने आज नेहा को दिखाई थी।

नेहा के पिता ने उसके मन में चल रहे तूफान को समझ लिया और कहने लगे, “शादी में ऐसे खर्चे तो होते ही हैं। हमारे पास सब इंतज़ाम है और ये सब हम अपनी ख़ुशी से तुम दोनों को देना चाहते हैं। वैसे भी जैसे तुम, वैसा अमन! अमन बहुत अच्छा लड़का है और तुम दोनों बहुत खुश रहोगे।”

लिस्ट लेकर नेहा, “कुछ काम है” कहकर घर से निकल गई। उसके मन में कई सवाल चल रहे थे, जिनका जवाब तुरंत खोजना आवश्यक हो गया था।

अमन के घर पहुँच उसने अकेले में बात करने की मांग रखी। अमन परेशान हो गया और जल्दी से उसे अपने कमरे में ले गया और उसने पूछा, “बात क्या है? सब ठीक तो है? तुम इतनी परेशान क्यों लग रही हो?”

नेहा ने लिस्ट उसे थमाते हुए पूछा, “नहीं कुछ ठीक नहीं है! यह सब क्या है?”

पढ़कर बड़ी सहजता से वापस करते हुए अमन ने कहा, “मैं तो डर ही गया कि पता नहीं क्या बात हो गयी। अरे! ये तो शादी के खर्चे की लिस्ट है, जो हमारे घरवाले देख रहे हैं। इसमें हमारा कोई काम नहीं है। ये उन्हें आपस में देखने दो।”

हैरानी से नेहा ने पूछा, “तुम्हें यह लिस्ट ठीक लग रही है?”

“यह लिस्ट हमारे घर वालों की मर्जी से तय हुई है, इसमें हमें नहीं पड़ना चाहिए”, अमन ने कहा।

“माना कि मर्जी घरवालों की है पर तुम्हें तो उन्हें समझाना चाहिए था?” नेहा ने कहा।

“मेरे घर में छोटों को बड़ों के मामलों में बोलने की मनाही है, वैसे भी मेरे घर वालों ने कुछ भी नहीं मांगा है। तुम्हारे माता-पिता अपनी इच्छा से यह सब दे रहे हैं। जब उन्हें कोई आपत्ति नहीं है तो हम कौन होते हैं उन्हें उनकी बेटी को गिफ्ट्स देने से रोकने वाले?” अमन ने नेहा को समझाते हुए कहा।

“अगर यह गिफ्ट है, तो दहेज क्या होता है?” नेहा ने आश्चर्य से पूछा।

यह सुन अमन नाराज हो गया। गुस्से में उसने नेहा से कहा, “मेरा परिवार समाज के शिक्षित और प्रतिष्ठित परिवारों में से है। दहेज लेने और देने के वह सख्त खिलाफ हैं। तुम्हारे माता-पिता अपनी खुशी से तुम्हें शादी में कुछ देना चाहते हैं तो हम क्या करें? हर माता-पिता की तरह उन्हें भी तुम्हारे भविष्य को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने का अधिकार है। मुझे इसमें कोई परेशानी नहीं दिखती है। आखिर वह हमारे भविष्य के लिए ही तो सोच रहे हैं।”

नेहा अमन की निर्लज्जतापूर्ण बातें सुन दंग रह गई। खुद को संभालते हुए उसने कहा, “तुम्हारे और मेरे जैसे शिक्षित और प्रतिष्ठित परिवार के लोगों ने ही दहेज का नाम बदलकर गिफ्ट रख दिया है। मुझे नहीं पता था कि मैं एक ऐसे परिवार में शादी करने जा रही थी। अभी इसी वक्त मैं यह शादी तोड़ती हूँ। और एक बात, बड़ों को गलती करते देख चुप रहना उनकी गलती में साथ देने जैसा ही है।”

यह कह, सगाई की अंगूठी और लिस्ट अमन के हाथ पकड़ा, नेहा वहां से चली गई।

कुछ महीनों बाद अमन ने दूसरी जगह शादी कर ली। अब वो उसी गाड़ी से ऑफिस आता था जो उसने नेहा को शोरूम में दिखाई थी। उसने घर भी ऑफिस के पास ले लिया था। कई बार ऑफिस के लोगों के सामने वो अपनी भव्य शादी के चर्चे किया करता था।

अतीत में खोई नेहा पुलिस कार के सायरन की आवाज़ सुन वर्त्तमान में वापस आ गयी। सही समय पर अमन को अपने जीवन से निकाल फेंकने के निर्णय से नेहा को जैसे एक बड़ी तसल्ली-सी मिल रही थी।

मूल चित्र : Still from short film Pinki Ki Shaadi/Natak Pictures , YouTube

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Ashlesha Thakur

Ashlesha Thakur started her foray into the world of media at the age of 7 as a child artist on All India Radio. After finishing her education she joined a Television News channel as a read more...

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