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पापाजी, मैं शगुन के नाम से दहेज़ नहीं लूँगा…

रस्म अदायगी हुई और फिर नवल और उसके परिवार वालों के लिए लाए गए उपहार देने का सिलसिला शुरू हुआ जो खत्म होने का नाम ही न ले रहा था।

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रस्म अदायगी हुई और फिर नवल और उसके परिवार वालों के लिए लाए गए उपहार देने का सिलसिला शुरू हुआ जो खत्म होने का नाम ही न ले रहा था।

आज घर में रौनक थी, जोर-शोर से तैयारी चल रही थी। नवल का तिलक समारोह था।

पूजा की तैयारी हो चुकी थी। रश्मि के घर वाले ठीक समय पर पहुंच गए थे। मेल मिलाप की औपचारिकता पूरी होने के बाद तिलक का कार्यक्रम शुरू हुआ।

रस्म अदायगी हुई और फिर नवल और उसके परिवार वालों के लिए लाए गए उपहार देने का सिलसिला शुरू हुआ जो खत्म होने का नाम ही न ले रहा था।

फल, मिठाइयाँ, मेवे, कपड़े आदि के बाद, रश्मि के पापा ने एक थाल जो लाल कपड़े से ढका था नवल को सौंपा और नवल के पापा जो पास ही थे, उन्हे धीरे से मुसकुराते हुए कहा “जी पूरे पाँच लाख हैं।” पिता पुत्र असमंजस में एक दूसरे को देखने लगे।

नवल को तुरंत रश्मि की बात याद आ गई जो उसने सुबह ही फोन पर कही थी की, “इकलौती बेटी हूँ इसलिए सब कुछ खास होगा, आप देखिएगा।”

रश्मि का यह आशय होगा उसने सोचा भी न था। हद तो तब हो गई जब रश्मि के पापा ने एक खूबसूरत बॉक्स से कार की चाबी निकालकर बड़े गर्व से नवल की ओर बढाते हुए कहा, “रश्मि की इच्छा है, आप इसी कार पर दूल्हा बनकर आएँ।”

उनके चेहरे पर मुस्कान थी, पर नवल एक झटके से उठा और क्रोध को दबाते हुए बड़े संयत शब्दों में कहा, “मुझे यह सब अस्वीकार है।”

नवल के पिता ने भी कहा, “शर्मा जी जब हमने आपसे पहले ही कह दिया था कि हमें कोई दहेज नहीं चाहिए, तो यह सब क्या है? नवल ठीक कह रहा है।”

शर्मा जी ने घिघियाते हुए कहा, “पर बेटे यह दहेज नहीं यह तो शगुन है। हम स्वेच्छा से दे रहे हैं और आप योग्य हैं इसके तभी तो।”

नवल ने बात काटते हुए कहा, “अगर मैं योग्य हूँ, तो भरोसा रखिए कि आपकी बेटी को सदा सुखी रखूंगा बिना आपके सहयोग के और हाँ, शगुन का नाम देकर दहेज जैसी घिनौनी परंपरा को हवा मत दीजिए। जरा सोचिए समाज में और भी बेटियाँ हैं जो योग्य है खूबसूरत हैं पर उनके पिता तगड़ा दहेज नही दे पाते, उनका क्या होगा? सिर्फ आप जैसे लोग इसे परंपरा बना रहे हैं।”

“अगर आपकी बेटी मेरे साथ बिना दहेज के आना चाहे तभी मैं यह विवाह करूंगा अन्यथा।”

शर्मा जी ने लपककर कहा, “अरे रे रे नही बेटा इतना हीरा सा लड़का हमें भाग्य से मिला है, हम ही बिटिया के सुख के मोह में अंधे हो गए थे। कहते हुए उनकी आंख भर आई।”

उन्होंने नवल को गले से लगाकर हृदय से आशीर्वाद दिया, “बेटा आज तुमने जिस परंपरा की नींव डाली है ईश्वर करे वह खूब फले फूले।”

मूल चित्र: Photo by Aastha Bansal on Unsplash

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