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पुराने रिश्ते मेरी ज़िंदगी को पीछे खींचने लगे हैं…

रूऑंसे मन से अनुपमा बोली, “ऐसा लग रहा है धंसी जा रही हूँ रिश्‍ते निभाते-निभाते। इन सामाजिक रिश्‍तों की बागडोर तोड़ी भी नहीं जा सकती न?

रूऑंसे मन से अनुपमा बोली, “ऐसा लग रहा है धंसी जा रही हूँ रिश्‍ते निभाते-निभाते। इन सामाजिक रिश्‍तों की बागडोर तोड़ी भी नहीं जा सकती न?

आज अनुपमा फिर ऑफिस में देर से आई! एक तो जैसे-तैसे दैनिक आधार पर ही वेतन मिलने वाला था, पर वही तो उसके लिए जीवन जीने के लिए डूबते को तिनके का सहारा था। पति के असामयिक निधन के गहन दु:ख के पश्‍चात बहुत ही मुश्किल से संभली थी वो।

ऑफिस में आज उसका मूड कुछ उखड़ा-उखड़ा सा ही था! न जाने उसे मन ही मन कौन सी बात खाए जा रही थी। आखिर वत्‍सला ने पूछ ही लिया, “क्‍या हुआ अनुपमा दीदी? आपकी तबियत तो ठीक है न?” 

“हॉं वत्‍सला! मेरी तबियत को क्‍या हुआ? मैं तो बस इन सामाजिक बंधन के तले…”, कहते-कहते वह रूक गई।

फिर रूऑंसे मन से बोली, “ऐसा लग रहा है, मानों धंसी जा रही हॅूं सिर्फ रिश्‍ते निभाते-निभाते। इन सामाजिक रिश्‍तों की बागडोर तोड़ी भी नहीं जा सकती न? पति फौज में थे, सो वे विवाह के कुछ दिन पश्‍चात ही ड्यूटी पर वापस चले गए और मुझे मजबूरन परिवार के साथ ही रहना पड़ा।” यह कहकर वह कुछ शब्‍दों को कहते-कहते सहमकर रूक सी गई। 

वत्‍सला बोली, “दीदी कहो न, कहते-कहते क्‍यों रूक गईं? अपने दिल की बात मुझसे नहीं तो किससे कहोगी?”

इतने में अनुपमा को फोन आया। स्पीकर से आवाज़ साफ़ सुनाई दे रही थी, “मैं आया हूँ लेने। खड़ा हूँ बाहर।”

बस फिर अनुपमा चल दी और वैसे भी ऑफीस छूटने का समय भी तो हो चुका था। वत्‍सला देखने  गई कि अनुपमा किसके साथ जा रही है।

और अनुपमा के जाते ही प्रकाश सबके बीच में जोर से बोल पड़ा, “ये कौन आया अनुपमा को लेने? ये तो विधवा हैं ना? कौन है ये दोस्त जिसके पीछे बैठकर चली गई? भाई तो नहीं लग रहा!”

सुनते ही वत्‍सला ने प्रकाश को पैनी दृष्टि से देखा और करारा जवाब दिया, “क्‍यों प्रकाश हमारे समाज में किसी भी विधवा का किसी के भी पिछे बैठकर जाना मना है क्‍या? और यही स्थिति यदि किसी पुरूष की हो तो? उसे सौ गल्तियां माफ है, है न? यही कहती है न आपकी डिक्‍शनरी?”

प्रकाश नज़रें झुका, चुप्‍पी साधे हुए वहां से निकल लिया और वत्सला अभी भी अनुपमा के बारे में सोच रही  थी। ऐसा क्या था जो वो उसे बताते-बताते रुक गयी थी?

ऑथर नोट : ये कहानी का भाग 1 है, भाग 2 के लिए बस थोड़ा सा इंतज़ार…

कहानी के सब भाग पढ़ें यहां –

अनुपमा भाग 1

अनुपमा भाग 2

अनुपमा भाग 3

अनुपमा भाग  4

 

मूल चित्र: Mrunal Thakur as Sita, YouTube(for representational purpose only)

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