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अगर एक ने प्रोफाइल पिक्चर बदली और उस पर ज्यादा कमेंट और लाइक आ गए तो एक हफ्ते के अंदर-अंदर आपको भी अपनी प्रोफाइल पिक्चर बदलनी होगी...
अगर एक ने प्रोफाइल पिक्चर बदली और उस पर ज्यादा कमेंट और लाइक आ गए तो एक हफ्ते के अंदर-अंदर आपको भी अपनी प्रोफाइल पिक्चर बदलनी होगी…
आप मेरा ये लेख भी अपने मोबाइल पर ही पढ़ रहे होंगे, आपको पसंद आएगा तो आप इसे पूरा पढ़ेंगे वरना कुछ सेकंड में आप दूसरी किसी लेख, कोई दूसरी एप्लीकेशन या अपने सोशल मीडिया स्क्रोलिंग, लाइक, किसी दूसरे की जिंदगी में क्या चल रहा स्क्रॉल करते हुए नजर आएंगे।
इस साल के अप्रैल महीने में मुझे एंग्जाइटी अटैक हुआ और मैंने एक थैरेपिस्ट की मदद ली। उन्होंने मुझे एंग्जाइटी को ट्रिगर करने वाले कारणों की लिस्ट बनाने के लिए कहा, मैं हैरान थी कि उनमें से मैंने एक कारण दिन-रात मोबाइल के नोटिफिकेशन और कॉल का उल्लेख किया था और उसके बाद से मैंने एक छोटा सा शोध किया तो पाया, मेरे जैसे बहुत से लोग हैं।
मोबाइल हमारे आधुनिक जगत की एक बहुत बड़ी जरूरत बन कर सामने उभर रहा है, लॉकडाउन ने इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ा दिया है। ऑनलाइन क्लासेस से लेकर लघु उद्योग… आपका बैंक हो… या प्यार मोहब्बत से लेकर किसी बड़ी सेलिब्रिटी को फॉलो करना… या अपने शहर की न्यूज़ के बारे में लोकल न्यूज़ द्वारा जानना… दिन प्रतिदिन इसका महत्व और हमारा ऑनलाइन समय व्यतीत करना बढ़ता ही जा रहा है। तो चलिए जानते हैं कि मोबाइल की इस दुनिया में हमें फायदे के साथ-साथ क्या नुकसान हो रहा है?
इसका एहसास बहुत सारे लोगों को होता भी नहीं है। आपने अक्सर देखा लोग सोशल मीडिया से ब्रेक लेना चाहते हैं लेकिन ले नहीं पाते कारण सिर्फ इतना कि ना जाने कौन क्या अपलोड कर दें? क्या पोस्ट कर दें जिससे वो अनभिज्ञ रह जाएंगे। कौन सी नई एप्लीकेशन आई है मार्केट में? कौन सा नया ट्रेंड चल रहा है? कौन से सेलिब्रिटी के ट्विटर पर क्या पोस्ट किया गया है? मेरा बर्थडे पर किस-किस ने मुझे बधाई दी है या नही? कौन कहां घूम रहा है? मेरा कौन सा दोस्त, रिलेटिव, मेरा एक्स कौन क्या कर रहा है? मुझे इसकी जानकारी नहीं मिली तो? मैं कहां घूम रही/रहा हूं, क्या खा रही/रहा हूं? कौन से इवेंट, शादी की फोटो पोस्ट करने की एक हूक सी रहती है?
सोशल मीडिया के दोस्तों से टच में रहने का एक अलग सा आनंद है, अगर मैं ज्यादा दिन सोशल मीडिया पर नहीं दिखी/दिखा तो क्या मेरे दोस्त मुझे भूल जाएंगे? और भी ना जाने कितने अनगिनत डर और घबराहट छुपी है हमारे अंदर।
कुछ अकाउंट होल्डरस में प्रतिस्पर्धा जैसा भी शुरू हो जाता है अगर एक महिला ने प्रोफाइल पिक्चर बदली और उस पर ज्यादा कमेंट और लाइक आ गए तो एक हफ्ते के अंदर-अंदर आपको भी अपना प्रोफाइल पिक्चर बदलना ही होगा जैसी मानसिकता पनपते भी देखी जाती है। अगर एक पुरुष ने अपने घूमने या शराब की बोतलों का पिक्चर अपलोड किया है, तो उससे भी महंगी गाड़ी या महंगी शराब की पिक्चर अपलोड कर अपना स्टेटस जताना अनिवार्य समझेंगे। राजनीति और धार्मिक वाद विवाद के बारे में तो मैं बात करना भी नहीं चाहती।
अश्लील वीडियो अपलोड करना और ऐसे वीडियो को छुप-छुप कर देखना व अपने खास व्यस्क फेसबुक ग्रुप पर रीपोस्ट करना लोगों के नए मनोरंजन का साधन बन चुका है। सोशल मीडिया पर आपका समय कहां चला जाता है, पता भी नहीं लगता। माइंडलेस स्क्रोलिंग, पोस्टिंग कमेंट करने की इच्छा लगातार रहती है। कुछ लोगों को ग्रुप का एडमिन बनकर मशहूर होने का भी शौक हो जाता है, अधिकार की प्राप्ति और जाने अनजाने लोगों में मशहूर होने का नशा, ठीक उसी तरह जिस तरह बहुत सारे लोग अजनबी लोगों की फ्रेंड रिक्वेस्ट सिर्फ फ्रेंड्स / फॉलोअर्स के नंबर की खातिर करते हैं या मैं उसको भी जानता हूं और इसको भी जानता हूं कि होड़ में।
आपके निजी संबंध मैं कहीं ना कहीं दरार आने लगती है, दूर बैठे लोगों के प्रोफाइल देखना या उनसे रोचक बात करना आपको अच्छा लगने लगता है। लोग अपने मनोरंजन के लिए दूसरे लोगों से तब तक बात करते हैं जब तक उनका दिल चाहता है। फिर दूसरे इंसान को घोस्ट कर देते हैं बिना ये सोचे समझे कि सामने वाले के मन- मस्तिष्क पर इसका क्या असर होगा।
घोस्टिंग से कितने लोग विश्वासघात, आत्मविश्वास की कमी, एंग्जाइटी और डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल है। अनिद्रा देर रात तक मोबाइल यूज करने के कारण आपके स्लीपिंग पैटर्न में उतार-चढ़ाव होने लगते हैं। घबराहट ( Anxiety ), नेटवर्क का ना होने से चिड़ापन, गुस्सा, बेचैनी, डिप्रेशन देखने को मिलता है। अत्यधिक मोबाइल इस्तेमाल करने के कुछ शारीरिक नुकसान भी देखने को मिलते हैं- गर्दन में दर्द रहना, आंखों में दबाव और कार / बाइक एक्सीडेंट।
नोमोफोबिया (NOMOPHOBIA) : ये एक साइकोलॉजिकल प्रॉब्लम है जो दिन पर दिन पूरे विश्व में फैलती जा रही है, मोबाइल का खो जाना या मोबाइल का पास में ना होना का तनाव व डर लगातार बना रहता है , सोशल एनिक्सिटी और सोशल फोबिया का सामना करना पड़ता है।
फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम (Phantom Vibration Syndrome) : आपके साथ कभी ना कभी ऐसा जरूर हुआ होगा,जब हमारा फोन हमारे पास नहीं होता और हमको लगता है कि या तो हमारे मोबाइल की रिंगटोन बज रही है/ हमारा फोन कहीं पर वाइब्रेट कर रहा है ( हमारे मोबाइल की सेटिंग अनुसार)
डोपामाइन (Dopamine) : शरीर में एक हार्मोन है, मस्तिष्क में आनंद का कारण… जिंदगी में कहीं ना कहीं हम परेशान या दुखी होते हैं जॉब से, परिवार, दोस्त, अविवाहित होना या कभी विवाहित होना, तलाकशुदा होना, वही जब हम सोशल मीडिया पर आकर अपने किसी दोस्त की अच्छी बात पढ़ते हैं या सुनते हैं, कोई रील देखते, म्यूजिक / फिल्म देखते हैं, अपनी धर्म या राजनीति से जुड़े लोगों के संवाद या पोस्ट देखते हैं, किसी विपरीत लिंग के अजनबी से बातचीत करते हैं, अपने किसी भी पोस्ट पर सकारात्मक जवाब पढ़ते हैं, जिसे अगर हम पसंद करें उसकी पिक्चर देखते हैं और आपकी रुचि अनुसार अनगिनत कारण तो इस हार्मोन का हमारे अंदर संचार होता है और यही हार्मोन हमें सोशल मीडिया या ऑनलाइन पर बने रहने के लिए प्रोत्साहित करता है।
माइंडलेस स्क्रॉलिंग (Mindless Scrolling) : इसका सबसे बड़ा उदाहरण आपको अपने व्हाट्सएप की स्टोरी स्टेटस में देखने को मिलेगी। जहां मैंने अपनी निजी जिंदगी में भी पाया है कि लोग आपकी स्टोरी स्टेटस को चाहे वो बर्थडे का अपडेट हो, कोई खुशी की खबर हो या दु:ख की खबर हो उसे सिर्फ देख भर लेते हैं क्योंकि स्क्रोलिंग उनकी आदत में शुमार हो चुका है, कोई विरला ही होगा जो स्टोरी को देखने के बाद आप को मैसेज कर बधाई देगा या आपके साथ कोई अनहोनी घटना को देख आपको सांत्वना देगा या सहायता देने की कोशिश करेगा। और घंटों रील का देखना या फेसबुक या अन्य सोसल साइट्स अभी कई लोग घंटों अपना समय बिताते हुए नजर आते हैं।
डेटॉक्स (Detox) : आपका कोई लघु उद्योग है, आप कोई नए इनफ्लुएंसर हैं, नेटवर्किंग द्वारा आप अपना कोई नया बिजनेस स्टार्ट करना चाहते हैं, आप लेखक हैं/ आर्टिस्ट या किसी भी तरीके की क्रिएटिविटी में है, आप एक घरेलू महिला हैं जिसे एक ग्रुप मिला है जहां उसे अपनेपन का एहसास होता है, आप एक बहुत ही व्यस्त पुरुष है और सोशल मीडिया पर थोड़ा मनोरंजन या टाइमपास के लिए आते हैं। आपका सोशल मीडिया या ऑनलाइन रहने का कोई भी कारण हो पर क्या २४ घंटे उपलब्ध रहना सही है?
अपना समय निर्धारित करें आजकल हर सोशल मीडिया एप्लीकेशन आपने उस पर कितना समय बिताया है कि सुविधा देती है कभी आपने सोचा है कि क्यों? क्या आप में से कितने लोगों ने इस सुविधा का लाभ उठाया है? आप हैरान रह जाएंगे आप दिन या हफ्ते के कितने घंटे सोशल मीडिया पर व्यतीत कर रहे हैं।
मैं मानती हूं व्यापारी या जॉब से जुड़े हुए लोगों के लिए मोबाइल स्विच ऑफ करना आसान काम नहीं होगा क्योंकि आजकल हर कोई चाहता है कि मैं कॉल/मैसेज करूं और तुरंत उसका जवाब मिले लेकिन रात के कुछ घंटे आप अपने मोबाइल को स्विच ऑफ रख सकते हैं ना? सभी मोबाइल की सेटिंग में ये सुविधा उपलब्ध है। जहां आप अपने मोबाइल को स्वत: ही स्विच ऑफ और स्विच ऑन कर सकते हैं।
अगर आपको अपना मोबाइल ज्यादा इस्तेमाल करना हो तो बीच-बीच में आंखों की एक्सरसाइज, मोबाइल से आंख की दूरी और मोबाइल को सही पोजीशन पर रखने के कई वीडियो आपको आसानी से यूट्यूब पर उपलब्ध हो जाएंगे। उपवास जैसे शरीर के लिए अच्छा डेटॉक्स है, वैसे ही हफ्ते के एक दिन अगर आप रख सकते हैं तो, मोबाइल को स्विच ऑफ रखें।
पोस्ट देख कर अगर आपको खुशी होती है तो बहुत अच्छी बात है पर ये नशे का काम ना करने लग जाए बस इस बात का ख्याल रखना बहुत जरूरी है। प्रतिस्पर्धा, घबराहट और बेचैनी से बाहर निकलिए। प्रतिदिन पोस्ट करना अनिवार्य नहीं है अगर आप बड़े से बड़े इनफ्लुंसर को भी फॉलो करते हैं तो वो भी सप्ताह के 4 या 5 दिन ही पोस्ट करते हैं।
हां इंस्टाग्राम पर कुछ लोग दिन के दो तीन पोस्ट डालते हैं। उनकी फॉलोइंग और फॉलोअर्स अलग किस्म के हैं। दिन-रात मोबाइल से चिपके रहने वाले। बड़े बुजुर्ग कह कर गए हैं कि “अति किसी चीज की भी बुरी होती है”। आजकल दुनिया में बहुत से लोग हैं, जिन्होंने सोशल मीडिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया है। दोस्ती करें, प्यार मोहब्बत करें, क्रिएटिविटी भी करें, मशहूर हो, पैसा कमाए, उद्योग चलाएं, आवाज़ बुलंद करें, अपने जैसे लोगों से मिले, ऑनलाइन के सभी प्लेटफार्म का भरपूर फायदा ले, पर उसकी भारी कीमत कभी ना चुकायें।
ये व्यक्तिगत अकाउंट के लिए है और हां याद रखिएगा वो दोस्ती ही क्या जो आपको सिर्फ ऑनलाइन देख दोस्ती रखे। जिसको जाना है उसके पास बहाने बहुत हैं और जिसको रुकना है उसको किसी बहाने की जरूरत नहीं होती!
कई बार देखा गया है कि कुछ लोग मृतक व्यक्ति के पिक्चर्स भी अपलोड करने लगे हैं, बिना ये सोचे समझे की इसको देखने वाले के मन-मस्तिष्क पर क्या प्रभाव पड़ेगा। अपने ऑनलाइन दोस्तों के साथ सुख-दुख साझा कीजिए लेकिन अपनी निजी जिंदगी को निजी रखना भी आना चाहिए। अधिक जानकारी देना भी जानलेवा हो सकती है। ऑनलाइन होने वाली ठगी/ क्राइम से भी आप अनजान नहीं होंगे। अपनों के साथ और अपने साथ समय व्यतीत करना सीखिए। बिना पिक्चर अपलोड किए भी जीना सीखें। दिल और दिमाग दोनों का इस्तेमाल करें!
ऑनलाइन की इस दुनिया से एक नई जॉब सामने उभर कर आई है, influencer आज बहुत सारे लोग नाम और पैसे की खातिर यूट्यूब पर और इनफ्लुएंसर बनने में लगे हैं। लेकिन याद रखिएगा ये एक काम है, जॉब और काम की कुछ अपनी डिमांड होती है। कोशिश करना आपका काम है, जरूर कीजिए लेकिन कुछ बड़े लोगों से अगर आप सिर्फ प्रभावित होकर या यहां आसानी से पैसा कमा सकते हैं, ये सोचकर काम कर रहे हैं तो याद रखिएगा उन्होंने कब शुरुआत की थी और इसके पीछे कितनी मेहनत लगती है।
सोशल मीडिया/ ऑनलाइन का इस्तेमाल करें, जरूर करे बस याद रखे सोशल मीडिया/ऑनलाइन आपका इस्तेमाल ना करे!
Be Mindful!
मूल चित्र : Still from Tum Hi Humaare/KumKum Bhagya, YouTube
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