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आज यो-यो हनी सिंह तो कल कोई और, क्यों पढ़े-लिखे वर्गों में घरेलू हिंसा तेज़ी से बढ़ रही है? घरेलू हिंसा क्या है, क्या ये सिर्फ मार-पीट है?
पढ़े लिखे वर्ग से आए बॉलीवुड रैपर और सिंगर ‘यो यो हनी सिंह’ की पत्नी शालिनी तलवार ने उनके ख़िलाफ़ घरेलू हिंसा का केस दर्ज़ कराया है। ‘यो यो हनी सिंह’ वही सिंगर हैं जिनके गाने अक्सर विवाद में रहते हैं। इनके गानों में महिलाओं के प्रति अश्लील शब्दों का प्रयोग होता है।
शालिनी तलवार ने अपनी शिकायत में उनके साथ शारीरिक, मौखिक और भावनात्मक शोषण का आरोप लगाया है। वहीं दूसरी तरफ़ अभिनेत्री आरज़ू गोवित्रिकर ने भी अपने पति सिद्धार्थ सभरवाल पर घरेलू हिंसा का आरोप लगाया है।
दोनों ही मामलों में पीड़ित महिलाओं ने अपने साथ हुए अत्याचार का लगभग एक जैसा ही विवरण किया है। मार पीट, गाली-गलौज, धोखा, यौन हिंसा, आर्थिक धोखा, मानसिक प्रताड़नायें जैसी कई असहनीय यातनाओं को सह कर भी रिश्ता निभाने की कोशिश की। पर, हालात सुधरने की बजाए और बिगड़ते ही चले गए। आख़िर तंग आकर उन्होंने अपनी-अपनी शादी, जो उनके लिए सिर्फ दर्द का कारण बन चुकी थी, उससे आज़ाद होने का निर्णय ले लिया।
चलिए आज घरेलू हिंसा पर बात की जाए। घरेलू हिंसा क्या है? घरेलू हिंसा मतलब कोई भी ऐसा कार्य जो किसी महिला एवं बच्चे के स्वास्थ्य, सुरक्षा, आर्थिक क्षति, मानसिक यातना, जीवन पर संकट और ऐसी क्षति जो असहनीय हो तथा जिससे महिला व बच्चे को दुःख एवं अपमान सहन करना पड़े, इन सभी को घरेलू हिंसा के दायरे में शामिल किया गया है। भारत के लगभग सभी वर्गों में घरेलू हिंसा की मौजूदगी देखी जाती है।
किसी महिला को शारीरिक कष्ट पहुंचना जैसे- मारपीट करना, धकेलना, ठोकर मारना, किसी वस्तु से मारना या किसी भी अन्य तरीके से महिला को शारीरिक कष्ट पहुंचना। इसके अलावा महिला को अश्लील साहित्य या अश्लील तस्वीरों को देखने के लिये विवश करना, बलात्कार करना, दुर्व्यवहार करना, अपमानित करना और साथ ही साथ आत्महत्या की धमकी देना भी घरेलू हिंसा के रूप हैं। इनमें यह भी शामिल हैं जैसे महिला की पारिवारिक और सामाजिक प्रतिष्ठा को आहत पहुँचाना और उनके चरित्र पर उंगली उठाना। लड़की की शादी उसकी इच्छा के विरुद्ध करना और महिला से दहेज़ मांगना या उस पर अपने मायके से दहेज़ ले कर आने का दवाब डालना भी घरेलू हिंसा का ही एक भयानक रूप है।
कभी-कभी घरेलू हिंसा के कई कारण होते हैं और कभी-कभी घरेलू हिंसा को किसी भी कारण की आवश्यकता नहीं होती है। हमारे समाज में लड़की के पैदा होते ही उसके साथ भेद-भाव होना शुरू हो जाता है। लड़कियों की स्वतंत्रता को कुचल देना भारतीय पुरुषों की आदत रही है। महिलायें अगर अपनी आजादी और अस्तित्व के लिए आवाज उठाती हैं, तो उसके साथ गलत व्यवहार और मारपीट कर उसे चुप करा दिया जाता है। इतना ही नहीं अगर हमारे पुरुष प्रधान समाज को ऐसा लगता है कि कोई महिला उनके लिए चुनौती बन सकती है तो उस महिला से उसके जीने का अधिकार छीनने में वो तनिक भी देर नहीं करते हैं।
पीड़िता पर घरेलू हिंसा का प्रभाव इतना नकारात्मक होता है कि कई बार उन्हें कई साल लग जाते हैं उस प्रभाव से निकलने में और कई बार पूरी ज़िन्दगी भी काम पड़ती है। इसका मानसिक असर कितनो को हमेशा के लिए अंधकार में धकेल देता है। घर के बच्चों पर इसका प्रभाव अपरिवर्तनीय होता है। घरेलू हिंसा से आघात पहुंचे मन को किसी भी दूसरे व्यक्ति पर दुबारा विश्वास करना असम्भव सा लगता है। कई तरह की शारीरिक व मानसिक बीमारियों का सीधा कारण घरेलू हिंसा से होता है। देखा गया है कि इसका प्रभाव पूरे परिवार को बिखेर कर रख देता है।
कभी-कभी महिलाओं को अपने साथ हो रहे घरेलू हिंसा के बारे में पता भी नहीं चलता है। बहुत ही चालाकी और झूठे प्यार का सहारा ले इसे अंजाम दिया जाता है। पढ़े-लिखे वर्गों में इस तरह के घरेलू हिंसा का चलन काफी तेज़ी से बढ़ रहा है। इसे समझने में महिलाओं को कई बार सालों लग जाते हैं। ऐसे शोषण की शिकार स्त्रियां अपना आत्मविश्वास खो देती हैं और ऐसा हो भी क्यों न आखिर जिन लोगों को वो अपना परिवार समझ, उनकी हर सही ग़लत बातों को मानते आ रहीं थी, वो असल में उस भोली स्त्री को घरेलू हिंसा का शिकार बनाते जा रहे थे। हमें हमारे बच्चों और आसपास की महिलाओं को जागरूक करना चाहिए ताकी वो समय रहते समाज के ऐसे स्वार्थी भेड़ियों से खुद को बचा सकें।
इसीलिए अपनी आँखे खुली रखें और दूसरों से सहायता की आशा किए बिना अपने लिए आवाज़ उठायें। देर से ही सही, पर हिम्मत झुटाएँ और अपने जीवन की गाड़ी की स्टेरिंग अपने हाथों में लें।
मूल चित्र : Bollywood City, YouTube
Ashlesha Thakur started her foray into the world of media at the age of 7 as a child artist on All India Radio. After finishing her education she joined a Television News channel as a read more...
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