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सजा के खिलाफ आरोपी ने हाईकोर्ट में नई अर्जी डाली और सवाल किया कि थाइज के गैप के बीच पेनेट्रेशन रेप कैसे हो सकता है।
ट्रिगर : इस लेख में बाल यौन शोषण/बलात्कार का विवरण है जो पढ़ने वालों को परेशान कर सकता है
केरल हाई कोर्ट ने बुधवार को एक ‘ऐतिहासिक’ फैसले में कहा कि आरोपी द्वारा पीड़िता के थाइज यानी जांघो पर सेक्सुअल एक्ट करने पर उसे भी भारतीय दंड संहिता में मौजूद धारा 375 के तहत परिभाषित बलात्कार के समान ही माना जाएगा।
जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस ज़ियाद रहमान एए की बेंच ने कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं है कि जब पीड़ित के शरीर से पेनेट्रेशन के लिए छेड़छाड़ की जाती है तो वो बलात्कार के अपराध में ही आता है। जब इस प्रकार जांघो के बीच पेनेट्रेशन किया गया है तो यह निश्चित रूप से धारा 375 के तहत परिभाषित “बलात्कार” के बराबर होगा।
कोर्ट ने कहा कि धारा 375 में योनि, यूरेथ्रा, एनस या शरीर के किसी भी अन्य हिस्से, जिससे एक छिद्र की भावना या सनसनी पाने के लिए छेड़छाड़ की जा सके, सभी प्रकार के पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट को शामिल किया जाएगा।
2015 में 11 साल की बच्ची पेट दर्द की शिकायत के कारण अपनी मां के साथ सरकारी मेडिकल कैंप में गई थी। जांच के दौरान नाबालिग ने डॉक्टर को बताया कि एक पड़ोसी ने उसका यौन शोषण किया है।
जब डॉक्टर ने लड़की की मां से आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए कहा तो समाज के डर के कारण उन्होंने चुप रहने का फैसला किया। वह आदमी लड़की के परिवार को जानता था इसलिए उसने परिवार को चुप रहने के लिए मजबूर किया।
हालांकि, चाइल्डलाइन अधिकारियों से कॉल आने के बाद, महिला ने आखिरकार आरोपी व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपी पर बलात्कार, यौन उत्पीड़न, एक बच्चे के खिलाफ यौन अपराध करने (पॉक्सो) का आरोप लगाया गया था।
पीड़िता के वकील के अनुसार, दोषी ने नाबालिग का कई तरह से यौन उत्पीड़न किया था – “जननांगों को पकड़कर रखना, अश्लील चित्र दिखाकर, पीड़ित के मुंह में अपना लिंग डालने का प्रयास, जांघों के बीच पेनेट्रेशन, आदि।” आरोपी इस मामले में दोषी पाया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
इसी पर कोर्ट ने कहा कि जब पीड़ित के शरीर से पेनेट्रेशन के लिए छेड़छाड़ की जाती है तो वो बलात्कार के अपराध में ही आता है। और आरोपी की आजीवन कारावास की सजा बाकयदा रहेगी।
दिल्ली में 9 साल की बच्ची की दुष्कर्म और हत्या के मामलें में राजनीति सक्रिय हो गयी है। आरोप-प्रत्यारोपों का खेल शुरू हो गया है। इसी बीच भारत सरकार ने बुधवार को संसद को सूचित किया कि देश में 2015 और 2019 के बीच बलात्कार के कुल 171000 हजार मामले सामने आए।
यानी 171000 महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ। (ये सिर्फ रिपोर्टेड केस हैं।) इसमें राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र टॉप राज्यों में हैं।
ऐसे में केरल हाई कोर्ट की धारा 375 के तहत परिभाषित बलात्कार पर ये टिप्पणी महत्वपूर्ण है। ये एक उम्मीद देती है कि हमारे कानून में संशोधन हो रहे हैं और आरोपियों को सजा मिल रही है।
अब कोई आरोपी फिर से ये कहने की हिम्मत नहीं रखेगा कि उनके द्वारा किये गए गलत कार्य तो रेप की परिभाषा में आते ही नहीं हैं।
हम भारत के बलात्कार कानून में सभी ऐतिहासिक संशोधनों के बारे में बात कर सकते हैं, लेकिन अगर इस देश में पुरुषों को लगता है कि वे किसी भी तरह से महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार कर सकते हैं, तो क्या ये फैसले महत्वपूर्ण हैं?
जिस देश में न्यायपालिका ये कह सकती है कि त्वचा से त्वचा का सम्पर्क ही यौन शोषण है, जिस देश के नेता ये कहते हैं कि हम हर एक लड़की के लिए पुलिस तो तैनात नहीं कर सकते, जहां लड़की को मोबाइल फ़ोन देने, रात में घर से बाहर निकलने के कारण रेपिस्ट को सपोर्ट किया जा सकता है वहां महिलाओं के लिए कानून का क्या फायदा!?
और बता दूँ, सरकार द्वारा जारी किये आंकड़े पर बहस का मुद्दा ये है कि किस राजनीतिक पार्टी के क्षेत्र में केसेस ज्यादा आये हैं। तो मुझे अब ऐसे कभी-कभार लिए जाने वाले फैसले ‘ऐतिहासिक’ तो बिलकुल नहीं लगते हैं। क्योंकि ये 2021 है जहां हर घंटे 4 रेप हो रहे हैं। (आंकड़ों के मुताबिक)
मूल चित्र : Getty Images Signature/Pro via Canva Pro
A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...
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