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जब माँ, बहन, बेटी और पत्नी का किरदार बखूबी निभा सकती हूँ, तो मैं खुद क्या हूँ? क्या अपना ही परिचय नहीं बता सकती हूँ?
मेरी सहनशीलता का यूँ बार-बार,तू इम्तिहान न लिया कर।
मर्यादा में रह, काली बनने पर बार-बार,मुझे यूँ मजबूर न किया कर।
सम्मान चाहिए तो सम्मान देना भी सीख,इन्सानियत को यूँ शर्मसार न किया कर।
सब बना लेते छवि मेरी एक फेमिनिस्ट की,जब नारी पर कुछ लिख देती मेरी कलम।
मेरी कलम आज़ाद है, बेताब हैै लिखने को ,क्यूँकि मस्तिष्क की ज़ुबान होती है कलम।
जब माँ, बहन, बेटी और पत्नी का किरदार बखूबी निभा सकती हूँ,तो मैं खुद क्या हूँ? क्या अपना ही परिचय नहीं बता सकती हूँ?
मर्यादा भी जानती हूँ और अपनी सीमाएँ भी,मैं बँधी हुई दोनों कुलों के संस्कारों में,मेरा नज़रिया, मेरा व्यक्तित्व झलकता है, मेरे उन्मुक्त विचारों में!
मूल चित्र : Still from Short Film Kash, YouTube
Samidha Naveen Varma Blogger | Writer | Translator | YouTuber • Postgraduate in English Literature. • Blogger at Women's Web- Hindi and MomPresso. • Professional Translator at Women's Web- Hindi. • I like to express my views on various topics read more...
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