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क्या प्रिया भाभी को गालियां देने वाले और पीटने वाले ये वही अमन भाई साहब हैं जिनके शराफत के किस्से बाहर की औरतें सुनाती हैं?
पिछले कई दिनों से बीच-बीच में ऊपर वाले फ्लोर से चिल्लाने और रोने की आवाजें आने लगी थीं। जब ऐसा होता तो तन्वी का मन बेचैन हो उठता। समझ नहीं आता कि आवाज़ कहाँ से आ रही है? जब तक निकल कर पता कर पाती तब तक आवाज़ आनी बंद हो जाती। एक दो बार उसने बिल्डिंग की महिलाओं से भी पूछा पर किसी को कुछ पता नहीं था। पर आज कुछ ज़्यादा ज़ोर से आवाज़ आ रही थी। वह झट से मास्क पहन, घर से निकल सीढ़ियों की ओर बढ़ी और ऊपर वाले फ्लोर पर गयी।
पहले तो उसकी समझ में नहीं आया कि आवाज किस फ्लैट से आ रही है। एक-एक कर वह चारों फ्लैट की ओर गई। चौथा फ़्लैट प्रिया भाभी और अमन भाई साहब का था। वहां पहुंचते ही उसे पता चला कि ये प्रिया भाभी की रोने की आवाज है और अमन भाई साहब गालियां दे रहे हैं। तन्वी को अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था। उसने दोबारा फ्लैट नंबर चेक किया। प्रिया भाभी का ही घर है।
पर यह कैसे हो सकता है? प्रिया भाभी और अमन भाई साहब हमारी बिल्डिंग के आदर्श शादीशुदा जोड़ों में से एक हैं। अमन भाई साहब तो हमेशा कितनी विनम्रता के साथ सभी से बातें करते हैं। पिछले विमेंस डे पर जो बिल्डिंग में कार्यक्रम हुआ था उसमें उन्होंने महिलाओं के बारे में मन को छू लेने वाली कविता बोली थी। क्या आज इतने अपशब्द कहने वाला इंसान वही अमन भाई साहब है?
अक्सर बिल्डिंग के लोगों का मिलना जुलना होता रहता था। प्रिया भाभी और अमन भाई साहब को सभी पहचानते थे। उन्हें देखकर लगता नहीं था कि उनके बीच ऐसी कोई समस्या होगी। बिल्डिंग की महिलाएं तो अक्सर प्रिया भाभी को अमन भाई साहब जैसा आदर्श पति मिलने पर ख़ुशक़िस्मत कहा करती थीं। तारीफ़ सुन वह मुस्कुरा देती थीं पर, कभी कुछ कहा नहीं।
मुझे याद है जब हम सभी महिलाएं “थप्पड़” मूवी देखने गई थीं। मूवी के बाद सभी ने अपनी राय रखी। प्रिया भाभी ने भी कुछ कहने की कोशिश की थी पर चुप हो गयीं। एक ने कहा कि आप क्या जाने पति अगर प्यार और इज्जत ना दे तो कैसा लगता है? आप खुश किस्मत हैं जो अमन भाई साहब जैसा पत्नी को प्यार और इज्जत करने वाला पति मिला है। यह सुन प्रिया भाभी मुस्कुरा दीं। किसी ने भी नहीं सोचा होगा कि उस मुस्कुराहट के पीछे भयानक दर्द छुपा है।
फ्लैट के अंदर से आवाज़ें आनी बंद हो चुकी थी। तन्वी दुखी मन से घर वापस आ गई। तब तक उसका पति रुद्र भी बाज़ार से वापस आ चुका था। तन्वी ने रुद्र को देखते ही सारी बातें बताई। पहले तो रूद्र को विश्वास नहीं हुआ कि अमन भाई साहब ऐसा कर सकते हैं। फ़िर उसने कहा कि इसमें हमें नहीं पड़ना चाहिए। पति-पत्नी के बीच की बात है। दूसरी बात यह कि हमें तो पूरी बात का पता भी नहीं है। तन्वी, “तुम हर बात में महिला मोर्चा मत खोलने लग जाओ। फेमिनिज़्म के नाम पर, हम किसी की निजी जिंदगी में दखल नहीं दे सकते। चलो, अब खाना खाते हैं। बहुत भूख लगी है।”
तन्वी को पता था कि रुद्र उसकी बात से पूरी तरह से सहमत नहीं होगा, पर वह अब चुप नहीं रहेगी। कुछ दिनों बाद प्रिया भाभी उसे नीचे सब्ज़ी लेते दिखीं। बिना समय गवाएं वह उनसे मिलने नीचे पहुंच गई। हालचाल पूछा तो उन्होंने “सब बढ़िया” बता बात खत्म कर दी। ऐसा लग रहा था मानो वह कुछ बोलना नहीं चाहतीं।
कुछ दिनों बाद एक कार्यक्रम में प्रिया भाभी और अमन भाई साहब हमेशा की तरह एक दूसरे के साथ मुस्कुराते दिखे। पर अब तन्वी का मन प्रिया भाभी की झूठी मुस्कुराहट को पहचान चुका था। तभी रूद्र ने कहा, “देखो तो साथ में दोनों कितने खुश दिख रहे हैं!” तन्वी रुद्र का इशारा समझ रही थी, पर उसने कोई जवाब नहीं दिया।
उसी रात लगभग 11:00 बजे से चिल्लाने और रोने की आवाजें सुनाई देने लगी। इस बार तन्वी जानती थी कि आवाज कहां से आ रही है। उसने रुद्र की ओर देखा और कहा, “मुझे आज शाम नीचे कार्यक्रम में केवल अमन भाई साहब खुश दिख रहे थे, प्रिया भाभी नहीं।”
कह कर तन्वी उठकर जाने लगी तो रूद्र ने उसे रोककर कहा, “ऐसे समय पर किसी के घर नहीं जा सकते।”
तन्वी ने बड़ी ही दृढ़ता से कहा, “ऐसे ही समय पर तो हमें किसी के भी घर जाना चाहिए।”
रूद्र तन्वी को देखता रह गया। तब उसने सुझाव दिया कि इस घटना के बारे में पहले बिल्डिंग के व्हाट्सएप ग्रुप पर एक व्हाट्सएप मैसेज भेज दिया जाए। हो सकता है समस्या का कोई उचित और कारगर समाधान मिल जाए। तन्वी मान गई। व्हाट्सएप ग्रुप पर मैसेज भेजने के बाद दोनों थोड़ी देर मैसेज के जवाब का इंतजार करने लग गए। बिल्डिंग सेक्रेटरी ने ग्रुप पर मैसेज भेज कर कहा, “हमने पता कराया। यह पति-पत्नी का निजी मामला है। कुछ मुद्दे हैं, जो हर घर में होते हैं, पर उन्हें हिदायत दी गई है कि आपस में प्यार से सुलझा लें। इस मामले में इससे ज्यादा हम कुछ नहीं कर सकते।”
यह पढ़ तन्वी के सब्र का बांध टूट गया। उसने जवाब में लिखा, “घरेलू हिंसा पति-पत्नी का निजी मामला नहीं हो सकता। इसे सामान्य मत बनाएं। मैं अपनी सामाजिक ज़िम्मेदारी निभाने जा रही हूँ। उम्मीद है, मुझ जैसे और भी मिलेंगे पीड़िता के घर की घंटी बजाते।”
तन्वी अब बिना रुके घर से निकलने लगी तो रूद्र ने अपना मास्क पहन, दूसरा मास्क तन्वी की ओर बढ़ाते हुए कहा, “यह पहन लो और चलो चल कर अपनी सामाजिक जिम्मेदारी निभाएँ, प्रिया भाभी के घर की घंटी बजाएं।”
मूल चित्र: Still from Thappad Pe Disclaimer? /YouTube
Ashlesha Thakur started her foray into the world of media at the age of 7 as a child artist on All India Radio. After finishing her education she joined a Television News channel as a read more...
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