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प्रेगनेंट होने के लिए सेक्स करते समय दिमाग में प्रेग्नेंट-प्रेग्नेंट का सेक्स-सेक्स की दौड़ नहीं अपितु आत्मिक, शारीरिक सुख, आनंद होना चाहिए।
बच्चे को जन्म देने की प्रक्रिया के समय का असहनीय कष्ट, यदा-कदा जटिल स्थितियों से दो-चार होकर जब एक औरत माँ बनती है तो मानो उसका दूसरा जन्म होता है परन्तु इन क्षणों के पार जब वह प्रतिरूप को अपने आलिंगन में लेती है तो सारा कष्ट बादल बन उड़ जाता है।
इस घड़ी की कल्पना ही एक औरत के मन को गुदगुदा जाती है और अगर यह स्वप्न पूरा हो जाए तो जन्म सार्थक लगने लगता है, इस खुशी के आगे संसार की सब खुशियाँ फ़ीकी सी पड़ जाती हैं।
प्रेग्नेंट होने की प्रक्रिया में परिस्थितियों के अनुसार देर भी हो सकती है और कई बार शादी के बाद जाते ही खुशखबरी सुनने को मिल जाती है परन्तु इस आधार पर एक दूसरे से तुलना ना करके, अपने स्वप्न को साकार करने में सकारात्मकता से जुट जाएं।
प्रेग्नेंट होने के लक्षण किसी में जल्द दिखाई दे जाते हैं जैसे कि पिरीयड्ज़ में देरी, जी मिचलाना, स्वाद कम होना, सूंघने के तंत्र का अधिक सक्रिय हो जाना, बार-बार मूत्र का आना, स्तनों में सूजन, भूख अधिक लगना या कम लगना, कब्ज़ हो जाना या पेट में गड़बड़ भी हो सकती है अर्थात हर शरीर के अनुसार लक्षण कम या अधिक हो सकते हैं परन्तु निश्चित तौर पर टेस्ट से ही तय हो सकता है कि प्रेग्नेंट होने का सपना साकार हुआ कि नहीं!
इस कोमल स्वप्न को साकार करने के लिए हम सब पता नहीं क्या-क्या पापड़ बेलते हैं, माथे टेकते हैं, मन्नतें मांगते हैं, डॉक्टरों के चक्कर काटते हैं और बहुत सारी सावधानी बरतते हैं।
प्रेगनेंट होने के लिए और इस समय ध्यान रखने योग्य सावधानियों को दो भागों में बांटा जा सकता है:
1) दादी-नानी की बताई सावधानियाँ 2) डॉक्टर की बताई सावधानियाँ
यह सावधानियाँ, उनके अनुभव पर आधारित हैं, रस्मी हैं। जैसे कि-
1) खानपान का ध्यान: स्वास्थ्यवर्धक खाना खाएं, चाय- कोफी, का सेवन कम करें, शराब बंद, मोटापे को घटाएँ, उछल-कूद या दौड़-भाग से परहेज करें। चप्पल फ़्लैट रखें, आरामदायक कपड़े हों। जिस चीज का मन करे वह खाना खाएं आदि और बहुत सारे घरेलू टोटके भी जो प्रेगनेंट होने के लिए मदद करें या ना करें पर तनाव का कारण अवश्य बन जाते हैं।
2) सावधानियां: उम्र कम होनी चाहिए, शादी के बाद जितनी जल्दी हो प्रेग्नेंट हो जाना चाहिए, पिरीयड्ज़ के कुछ दिन बादसेक्स का आनंद लें, सेक्स के बाद सीधे लेटना आदि, सुबह के समय सेक्स करना चाहिए, सेक्स की मिशनेरी पज़िशन आदि-आदि।
1) उम्र सीमा का महत्व: डॉक्टरों के अनुसार प्रेग्नेंट होने के लिए आदर्श उम्र सीमा 18 से 28 के बीच है, इस समय फर्टिलाइजेशन का चांस अधिक और रिस्क कम होते हैं, जबकि जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है उतने चांस कम और रिस्क अधिक होते जाते हैं। चाहे तकनीक और मेडिकल साइंस ने बहुत विकास कर लिया है परंतु इस तथ्य को कोई भी झुठला नहीं सकता।
2) गर्भनिरोधक साधनों के उपयोग का समय: सामान्यत देखने में आता है कि नवविवाहित जोड़ा आरंभ के दिनों में गर्भधारण जैसी जिम्मेदारी से बचकर, आनंद के क्षणों का भरपूर लुत्फ़ उठाना चाहते हैं और आईपिल दवाओं या अबार्शन का बेधड़क इस्तेमाल करने लगते हैं परन्तु यह चलन अगर अति पार कर ले तो अधिकतर दोनों के फर्टिलाइजेशन संबंधी स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है और भविष्य में बच्चे के स्वास्थ्य पर भी कुप्रभाव डाल सकता है।
इसी तरह से कई दम्पति बिना सोचे समझे किसी भी लूब्रिकेंट का इस्तेमाल करते हैं जिसके दुष्परिणाम भी उन्हें फिर भोगने पड़ते हैं। इसलिए इस तरह के साधनों का प्रयोग अपने डॉक्टर के सुझाव के बगैर ना करें।
3) पिरीयड्ज़ का मासिक चक्र: प्रेग्नेंट होने के लिए ऑव्युलेशन चक्र के बारे में हमें निश्चित होना चाहिए। अगर ऑव्युलेशन सही समय पर हो रहा है अर्थात वह समय जब हर महीने ओवरी एक अंडा उत्सर्जित करती है।
ऑव्युलेशन के बारे में टेक्नोलॉजी की सहायता से तैयार किट का सहारा लिया जा सकता है। इस दौरान सेक्स करने से प्रेग्नेंट होने का चांस और बढ़ जाता है।
यह तभी निश्चित होगा जब माहवारी सही समय पर आ रही है अर्थात मासिक चक्र नियमितता से चल रहा है। इससे डॉक्टर को भी ट्रीटमेंट करने में मदद मिलती है। इसलिए सबसे पहले डॉक्टर की सहायता से इस क्रम को नियमित कर लेना चाहिए।
4) स्वास्थ्य का ध्यान: यह सबसे महत्वपूर्ण सोपान है। अगर इसमें आप उत्तीर्ण हो जाते हैं तो स्वस्थ प्रेग्नेंट होने के सुख से आप दूर नहीं। इसमें बहुत सारी बातों का ध्यान रखा जाता है। जैसे:-
• खानपान: संतुलित आहार लें, फाइबर, आयरन वाली चीजों का सेवन करें। बाजार से तैयार चीजों का कम सेवन करें, पैक्ट बंद खाने से बचें। क्योंकि एक तो कोरोना काल के कारण सावधानी रखें दूसरा बाजार में हानिकारक तत्वों, मिलावटी चीजों से दूर रहना ही श्रेष्ठ होगा अन्यथा प्रेग्नेंट होने के सफर में मुश्किलें आ सकती हैं।
• मोटापा: अधिक वसा वाले खाने से दूर रहें, अधिक मोटापा भी प्रेग्नेंट होने के चांस को कम करता है जिससे कई बार बच्चेदानी का मुँह संकरा हो सकता है, फैलोपियन ट्यूब बंद हो सकती हैं और यौन सुख का आनंद लेने में भी मुश्किल आती है।
• पोषक तत्व: आयरन, कैल्शियम, फॉलिक एसिड की कमी नहीं होनी चाहिए। • नशे से दूरी: शराब, सिगरेट आदि व्यसनों से दोनों ही दूर रहें। यह मानसिक, शारीरिक स्वास्थ्य के लिए घातक है।
• हल्का व्यायाम: हल्का व्यायाम करें, सुबह-शाम की सैर करें और हाँ जिम में पसीना बहाने की जरूरत नहीं शरीर को चुस्त रखना है और सकारात्मक भी।
• मेडिटेशन: मेडिटेशन करें, ताकि शरीर मैं चुस्ती रहे तथा मन भी प्रसन्न रहे।
• अच्छी आदतें: अच्छी आदतें अपनाएं। जैसे दम्पति आरामदायक कपड़े, जूते पहनें, लैपटॉप को गोदी में रखने से बचें (इससे जननांगों का तापमान बढ़ सकता है जो कि घातक है)
• बिमारियाँ और प्रेग्नेंसी: आपको शुगर, बल्डप्रैशर, अस्थमा, थायरायड, पी.सी.ओ.एस., यूटेरिन फॉयबराइडस, डाउन सिंड्रोम, सिकल सैर रोग, थैलेसीमीया या और कोई शारीरिक परेशानी है तो घबराएं नहीं, मेडिकल साइंस ने बहुत तरक्की कर ली है अच्छे डॉक्टर के पास हर साधन है। इसलिए डॉक्टर की सलाह से ही इस प्रक्रिया का आरंभ कर लें और आगे बढ़ते जाएं। • स्वयं के डॉक्टर:- खुद अपने डॉक्टर ना बनें। आजकल के वातावरण के कारण प्रेग्नेंसी में जटिलता हो सकती है तो डॉक्टर के परामर्श पर ही चलना श्रेयस्कर रहेगा।
• गुप्त रोग:- अगर श्वेत प्रदर या जननांगों संबंधी कोई परेशानी है तो डॉक्टर को बेधड़क बताएँ ताकि स्वस्थ प्रेग्नेंसी और स्वस्थ बच्चा हो सके। • जरूरी टेस्ट:- सर्वाइकल समीयर टेस्ट भी आजकल सभी गाइनेकोलोजिस्ट करते हैं जो कि गर्भावस्था से पहले करवाया जाता है जिससे गर्भाशय ग्रीवा के स्वास्थ्य का पता लग जाता है।
यह टेस्ट हर साल करवा लेना चाहिए। परन्तु गर्भावस्था में यह टेस्ट नहीं किया जाता। इसी के साथ दम्पति की शारीरिक स्थितियों के अनुसार डॉक्टर कई तरह के टेस्ट, या इंजेक्शन के लिए गर्भधारण से पहले कह सकते हैं जो कि अच्छी शुरुआत है। इस सबसे घबराना की जरूरत नहीं।
5) मानसिक रूप से तैयारी: आजकल अधिकतर दम्पति पढ़े लिखे, नौकरी करने वाले ही हैं तो 28 से 30 तक की उम्र में ही शादी करते हैं। इसका अर्थ है कि शारीरिक रूप से तो वे नये मेहमान के लिए तैयार हैं पर उससे पहले उन्हें मानसिक रूप से भी तैयार होना अति आवश्यक है।
आजकल नौकरी, आय-व्यय, जीवन शैली आदि कई तरह की चिंताओं के कारण नये जोड़े भविष्य के प्रति अत्यधिक सजग हो जाते हैं जिससे कई बार तनाव उन्हें घेर लेता है। कई बार हम अपने आस-पास के प्रेग्नेंसी संबंधित होने वाली बातों, घटनाओं, संघर्ष की स्थितियों के बारे में जानकर उनसे अपनी स्थितियों की तुलना करने लगते हैं जो कि उचित नहीं।
प्रेग्नेंट होने के लिए मानसिक रूप से स्वस्थ होना बहुत अधिक आवश्यक है। अगर आप दिल से तैयार हैं तो सब अच्छा ही होगा, सकारात्मक होकर डॉक्टर की सलाह अनुसार आगे बढ़ते जाएं, आँगन में किलकारियां अवश्य गूंजेंगी। बस ये याद रखें कि आज मेडिकल साइंस ने बहुत तरक्की कर ली है। आप शारिरिक रूप और मानसिक रूप से तैयार हैं तो अपने आस-पास ही अच्छे डॉक्टर को कंसल्ट कर प्रेग्नेंट होने की प्रक्रिया में शामिल हो जाएँ।
वीकेंड पर घूमने निकल जाए। अगर हनीमून का आनंद ले चुके हैं तो अब कंस्पेशनमून का भी आनंद लें।
इस समय आप एक दूसरे के करीब आ रहे हैं, शरीर की एकात्मकता के साथ-साथ आत्मिक रूप से भी एक दूसरे को एक मानें, स्वयं सुख का भरपूर आनंद लें। प्रेगनेंट होने के लिए सेक्स करते समय दिमाग में प्रेग्नेंट-प्रेग्नेंट का शोर या बस दिन-रात, सुबह-शाम सेक्स-सेक्स की दौड़ नहीं अपितु आत्मिक, शारीरिक सुख के चरम क्षितिज की अनुभूति से स्वयं को एक नई दुनिया में ले जाएं।
बिना तनाव, चिंता के केवल एक दुसरे के आनंद के लिए इन क्षणों की आनंद लहरियों संग बहुत जाएं और यही नवसृजन का कारण बनेगा।
डिस्क्लेमर : इस लेख को एक समान्य जानकारी हेतु पढ़ें। ये डॉक्टरी सलाह नहीं है। समय आने पर अपने डॉक्टर की राय अवश्य लें
मूल चित्र: Still from Prega News Ad, YouTube
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