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नूरी का खुशी का ठिकाना नहीं था, आज नूरी की पहचान की जिम्मेदार उसकी सास थी। कुछ दिनों में नूरी को पूरा शहर पहचानने लगा
नूरी का खुशी का ठिकाना नहीं था, आज नूरी की पहचान की जिम्मेदार उसकी सास थी। कुछ दिनों में नूरी को पूरा शहर पहचानने लगा।
रीति-रिवाजों से परे सुमन हर रस्मों को बखूवी निभा रही थी। छःमहीने पहिले ही व्याह कर आई थी पढ़ी लिखी समझदार थी और मन की सच्ची।
देवर की शादी अचानक तय हो गई और घर में एक के बाद एक रस्में। घर में बङी बहू के नाते घर का सारा काम देखना पङ रहा था घर में कोई आता कहता, “भाभी सामान दे दो भैया मंगा रहे हैं।”
वक्त ऐसा था की खाने का भी समय नहीं था। उसी समय ननद रानी आ गई, “भाभी आज आपको संगीत में डांस करना होगा।”
सभी को पता था नूरी को डांस करने का बहुत शौक था अब क्या करे।
“दीदी मैं नहीं कर पाऊगीं मुझे बहुत काम है।”
“भाभी पर आपको तो बहुत शौक है। आप कह भी रही थी सोहन की शादी में डांस करूँगी।”
“नहीं, मैं अभी करना नहीं चाहती छवि तुम कर लो।”
सास सारी बातें सुन रही थी भाभी और ननद की। सास सुमन नेबहू से कहा, “नूरी सारा काम छोड़कर छवि के साथ चली जाओ। मैं सब संभाल लूँगी तुम दोनों मिलकर संगीत की तैयारी करो संगीत जोरदार होना चाहिए।”
नूरी और छवि ने मिलकर संगीत को एक नयी जान दे दी। संगीत के लिए नूरी ने सभी रिश्तेदारों को डांस सिखाया और एक नया महौल बना दिया।संगीत ने नूरी को एक पहचान दिला दी। नूरी के शौक को सुमन ने दिनचर्या में ला दिया। सुमन ने नूरी के लिए एक डांस स्कूल खुलवा दिया।
नूरी का खुशी का ठिकाना नहीं था, आज नूरी की पहचान की जिम्मेदार उसकी सास थी। कुछ दिनों में नूरी को पूरा शहर पहचानने लगा। एक नयी पहचान ने सास बहू को माँ बेटी के रूप में बदल दिया।
मूल चित्र: Wide Angle Films via YouTube
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