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जब ऋतू ने पूछा तो निशा जी ने मुस्कुरा कर कहा, "पृथा को कुछ काम था ऑफिस का तो अपने कमरे में है, अभी आती ही होगी।"
जब ऋतू ने पूछा तो निशा जी ने मुस्कुरा कर कहा, “पृथा को कुछ काम था ऑफिस का तो अपने कमरे में है, अभी आती ही होगी।”
आज निशा जी के घर उनके सोसाइटी की महिलाओं की किट्टी थी। उनके बेटे नितिन की शादी के बाद पहली किट्टी थी निशा जी के घर पर, तो सभी औरतों के बीच एक ही कौतुहल का विषय था कि देखें कैसी है निशा की बहू पृथा कैसी है और कैसा अरेंजमेंट किया होगा आज की किट्टी का नई बहू ने।
शाम को चार बजे किट्टी का टाइम था। निशा जी ने सबको बता दिया साथ में थीम भी बता दी, ‘रंगीला राजस्थान’, जिससे सब वैसे ही रेडी हो कर आयें। कॉलोनी की औरतों से चार बजे का इंतजार ही नहीं हो पा रहा था। सब बेसब्र हो रही थीं कि कब जाएं निशा जी के घर और अपनी पैनी नजरों से पृथा की गलतियों को ढूंढ अपने गॉसिप के मज़े ले सकें।
घर तोड़ने और सास बहु को लड़वाने में माहिर इन औरतों ने पिछली दो किट्टि में निशा जी को बहुत भड़काने की कोशिश की लेकिन अपनी बहु के खिलाफ एक शब्द निशा के मुँह से नहीं निकला था। चार बजने का इंतजार भी नहीं हुआ और सब समय के पहले ही निशा के घर पहुंच गईं। देखा तो बैठक बहुत सुन्दर से सजा था बिलकुल थीम के अनुसार रंगीला राजस्थान। सुन्दर सुन्दर बांधनी के कुशन कवर सोफों की शोभा बढ़ा रहे थे तो वही रंग बिरंगी कठपुतलियां, बांधनी दुपट्टे से और सुन्दर सूंदर डिज़ाइन वाली पेंटिंग से दीवारे खूबसूरती से सजे थे और कोने में ढेरों रंगों से सजी एक छोटी सी रंगोली सब कुछ बहुत सुंदर लग रहा था।
“वाह! घर तो बहुत सुन्दर से डेकोरेट किया निशा तूने!” ऋतू ने कहा।
“और मैं कैसी लग रही हूँ?” जब निशा ने कहा तो सबकी नज़रे कमरे की डेकोरेशन से हट निशा पे चली गई।
बहुत ही खूबसूरत गुलाबी बांधनी साड़ी पहने निशा जी कमाल लग रही थीं। सब ने खूब तारीफ की और बैठ गए। निशा ने सबको वेलकम ड्रिंक पिलाया जो कि राजस्थानी मसाला छाछ थी।
“ये क्या निशा! बहु आ गई फिर भी तू ही किचन में काम कर रही है? और तेरी बहु कहाँ है? हमें भी तो मिलवा पृथा से।”
“देख निशा! बुरा मत मनाना ये ऑफिस का काम ये सब तो बहाने होते हैं। थोड़ा लगाम कस के पकड़ अपनी बहु का नहीं तो किचन से छुट्टी नहीं मिलेगी तुझे।”
जब ऋतू ने कहा तो सभी औरतें हँसने लगीं। निशा जी को बहुत बुरा लगा कि आते ही ये सब शुरू हो गईं। बाकि की औरतें भी अपने अपने तरीके से निशा जी को लगीं उलटी-सीधी पट्टी पढ़ाने। सबकी बात सुन निशा जी को गुस्सा तो बहुत आ रहा था, लेकिन सब उनके घर पर आयी थीं तो लिहाज कर चुपचाप सबकी सुने जा रही थीं।
तभी पृथा आयी नारंगी रंग की बांधनी साड़ी पहने सिर पर सुन्दर सी राजस्थानी बोर (मांग टिका) और चेहरे पे सुन्दर सी मुस्कान सजाये। सबको नमस्ते कर पृथा ने अपनी सास को मुस्कुरा कर देखा।
अपनी बहु को सबसे मिलाते हुए निशा जी ने कहा, “आओ पृथा! इनसे मिलो ये सभी मेरी किट्टी की सहेलियां है और आप सब, ये मेरी प्यारी बहु पृथा है। बड़ी सी आईटी कंपनी में जॉब करती है मेरी बहु। फिलहाल, घर से काम कर रही है ताकि मेरे साथ कुछ समय बीता सके। ये जो डेकोरेशन देख आप सब वाह-वाह कर रहे थे, वो इसने ही रात के दो बजे तक जाग के की है।
हमने सारा खाना-पीना सुबह ऑफिस शुरू होने से पहले बना लिया और मुझे किसी भी तरह की थकान इसने महसूस नहीं होने दी। अकेले-अकेले करने में हम दोनों ही थक जाते इसलिए हमने मिल कर सब कर लिया। और जो गिफ्ट्स आपको अभी मिलेंगे, ये भी ऑनलाइन इसी ने मंगवाई है आप सब के लिये।
अभी इसकी एक मीटिंग थी, उसे फॉर्मल कपड़ों में अटेंड कर, जल्दी से साड़ी पहन कर आ गई नीचे जिससे ये भी थीम का ही हिस्सा लगे। ज़रुरत पड़ने पर घर और ऑफिस दोनों मोर्चो पे बिलकुल परफेक्ट है पृथा।”
निशा की बात सुन सारी औरतों के मनसूबे पे पानी फिर गया। यहां उनकी बातें चलने नहीं वाली थीं। ये घर तो आपसी प्रेम और विश्वास की नींव पर बना था जहाँ दूसरों की बातों को सुन अपनों से रिश्ता नहीं बिगाड़ा जाता। फिर तो सबने पार्टी का आनंद लेने में अपनी भलाई समझी।
जाते जाते सबको खूबसूरत तोहफ़े पृथा ने दिये और सबने निशा को ढेरों बधाई दी, ऐसी प्यारी बहु के लिये। पृथा के दिल में भी अपनी सास के लिये इज़्ज़त बढ़ गई।
मूल चित्र : Still from Biba Ad, YouTube
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