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शिकायतें

क्यों न, हम अपने शिकायती मन का मौसम बदल लें।हर नकारात्मक बात में, सकारात्मकता को ढूँढ लें।थोड़ा सा दूसरे लोगों के प्रति रहमदिल हो लें।

क्यों न, हम अपने शिकायती मन का मौसम बदल लें।हर नकारात्मक बात में, सकारात्मकता को ढूँढ लें।थोड़ा सा दूसरे लोगों के प्रति रहमदिल हो लें।

हमारी शिकायतों की फेहरिस्त बड़ी लंबी है।

जो हमारे दिल में,दिन-ब-दिन बढ़ती रहती है।
जब कोई बात,हमारे मन -मुताबिक नहीं होती
तो वह एक शिकायत में बदल जाती है।
कभी ईश्वर से शिकायत, सफलता न देने के लिए।
कभी जीवनसाथी को उलाहना, समय न देने के लिए।
कभी माता-पिता से शिकवा, हमें न समझने के लिए।

कभी बच्चों से समस्या, हमारा फायदा लेने के लिए।

कभी रिश्तेदारों से गिला एहसानमंद ना होने के लिए।

क्यों न, हम अपने शिकायती मन का मौसम बदल लें।
हर नकारात्मक बात में, सकारात्मकता को ढूँढ लें।
थोड़ा सा दूसरे लोगों के प्रति रहमदिल हो लें,
कभी अपने आप से भी उम्मीदें कम कर लें।
हर किसी में बेवजह नुक्स निकालना बंद कर दें।
कभी खुद के गुणों की भी,खुद ही तारीफ कर लें।
तो शायद मन की,इस भरी हुई शिकायत पेटी को,
कभी पूरा खाली कर सकें
और बिना शिकवे-शिकायत के,सुख से जी सकें।

मूल चित्र: Tanishq Jewellery via Youtube 

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