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सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट क्या है? इससे जुड़ी कुछ आसान बातें संगीता वेंकटेश बताती हैं हमारी यूटूब सिरीज़ सस्टेनेबल लिविंग विद संगीता में।
हम सभी रसोई में काम करते हैं और बहुत सारा कचरा उत्पन्न करते हैं जिसे हम लापरवाही से फेंक देते हैं लेकिन इसके साथ बहुत कुछ किया जा सकता है। इसी कूड़े का फिर से उपयोग कर हम बहुत काम की चीजें बना सकते हैं और सस्टेनेबल लिविंग की और बढ़ सकते हैं।
सस्टेनेबल लिविंग क्या है? विकिपीडिया के अनुसार सस्टेनेबल लिविंग एक जीवन शैली का वर्णन करता है जो किसी व्यक्ति या समाज के पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधनों, और किसी के व्यक्तिगत संसाधनों के उपयोग को कम करने का प्रयास करता है।
जीवन में बदलाव लाना सोचने में तो बहुत मेहनत भरा और भारी काम लगता है। लेकिन असलियत में हम अपने घरों से शुरुआत कर छोटे, सस्ते और प्रभावशाली कदम ले सकते हैं, जो आगे जाके बड़े पैमाने पर ग्लोबल वॉर्मिंग, वॉटर पॉल्युशन जैसे ख़तरों को कम कर सकता है।
ऐसे ही कुछ आसान और छोटे पर प्रभावशाली कदम संगीता वेंकटेश बताती हैं हमारी यूटूब सिरीज़ सस्टेनेबल लिविंग विद संगीता में। इस सिरीज़ में संगीता स्रोत अलगाव, बायोएंजाइम क्लीनर, स्थायी फैशन, स्थायी मासिक धर्म जैसे मुद्दों पर बात करेंगी।
संगीता वेंकटेश द वेस्ट इश्यू, जो सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पर स्कूली छात्रों के लिए एक इंटरैक्टिव वर्कबुक है, की सह-लेखक हैं। 21 वर्षों तक स्वतंत्र लेखक के रूप में उन्होंने एजुकेशन वर्ल्ड, लाइफ पॉजिटिव, क्लीन इंडिया जर्नल जैसी पत्रिकाओं और डेक्कन हेराल्ड, डेक्कन क्रॉनिकल और टाइम्स ऑफ इंडिया जैसे अखबारों में योगदान दिया है।
वह वैदिक इकोलॉजी में गहरी रुचि रखती है। उन्होंने एक किताब “सेलब्रेटिंग द अर्थ- स्टोरीज़ अबाउट पृथ्वी” प्रकाशित की है ।
इसी नाम की साइट पर अपना ब्लॉग भी लिखती हैं।
पहले एपिसोड में, संगीता सूखे और गीले कचरे को अलग करने के बारे में बताती है।
हमारे घर से जुटे हुए कूड़े को हम बिना सोचे फ़ेक देते हैं, लेकिन इसी कूड़े को फिर से इस्तेमाल कर ऐसी बहुत सी चीजें है जो हम बना सकते हैं, और साथ ही ससटेनेबल लिविंग में भागीदार बन सकते हैं।
गीले कचरे के बारे में बात करते हुए वह बताती हैं कि गीला या ऑर्गनिक कचरा जो हमारी रसोई से आता है जैसे फलों के छिलके, सब्जी के छिलके, अंडे के छिलके आदि काफ़ी उपयोगी होते हैं।
उन्हें फेंकने के बजाए हम उनका उपयोग हम कई और जगह में कर सकते हैं। वह गीले कचरे को सूखे कचरे जैसे पेपर, बॉक्स, रैपर इत्यादि से एक अलग डस्टबीन या बाल्टी में रखने का सुझाव देती हैं।
वह इस एपिसोड में कई सवालों के जवाब हमें बताती है जैसे सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट क्या है? स्रोत अलगाव क्यों महत्वपूर्ण है? आप अपने घर से निकलने वाले कचरे के साथ क्या क्या कर सकते हैं?
दूसरे एपिसोड में संगीता सिखाती हैं कि कैसे गीले कचरे जैसे संतरे, निम्बू के छिलके या गुलाब की पंखुड़ी से आसानी से बायो एंजाइम बनाया जा सकता है। इनका उपयोग फर्श क्लीनर, बाथरूम क्लीनर, हैंडवाश आदि के रूप में किया जा सकता है।
बायो एंजाइम क्लीनर ओर्गानिक क्लीनर होते है। ये क्लीनर कचरे, मिट्टी, दाग और खराब गंध को ख़त्म करने के लिए अच्छे बैक्टीरिया का उपयोग करते हैं। बायो एंजाइम जल चक्र और ईकोसिस्टम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
इस एपिसोड में संगीता प्रीति राव से भी मिलती हैं। प्रीति राव बेंगलुरु की इको-एंटरप्रेन्योर हैं। वह सॉयल एंड सोल की संस्थापक हैं, जो एक संस्था है जो सस्टेनेबिलिटी के बारे में जागरुकता लाने में लगी हुई है। वह जल चक्र और उसमें बायो एंजाइम की भूमिका के बारे में बताती हैं।
वे इस बात पर चर्चा करते हैं कि कैसे हम अपने ड्रेन पाइप के माध्यम से निकलने वाले पानी के प्रति सचेत न होकर जल चक्र प्रक्रिया में बाधा डालते हैं और कैसे केमिकल क्लीनर हमारे जल निकायों में अच्छे बैक्टीरिया को बाधित करते हैं।
संगीता वेंकटेश के दिए उपायों से अब हम कचरा बिना सोचे समझे फ़ेक नहीं देंगे बल्कि उसमें से कई चीजों का फिर से उपयोग कर एक ससटेनेबल जीवन जी सकेंगे, जिससे ना ही सिर्फ़ हमें फायेदा होगा पर पृथ्वी को भी।
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