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महिलाओं में यूरिन इन्फेक्शन का एक बड़ा कारण है पेशाब रोकना लेकिन ना रोकें तो? पब्लिक टॉयलेट इस्तेमाल करते हुए इन बातों से बचना चाहिए!
ये परिस्थिति हर औरत ने झेली है कि कई बार उन्हें टॉयलेट जाना होता है लेकिन वो नहीं जा पाती हैं, क्यों? क्योंकि महिलाओं के लिए साफ़ पब्लिक टॉलेट्स मिलना असम्भव सा लगता है। वो मर्दों की तरह कहीं भी खड़ी होकर पेशाब नहीं कर सकती। कई बार लंबे सफर पर जाते हुए उन्हें घंटों किसी टॉयलेट के आने का इंतज़ार करना पड़ता है। कई बार टॉयलेट मिल भी जाए तो वो इतने गंदे होते हैं कि उन्हें बीमारी का ख़तरा हो सकता है। हम सब जानते हैं यूरिन रोकना गंभीर बीमारी को बुलावा देने जैसा है।
मैं ख़ुद इसी वजह से कभी भी बस में लंबा सफ़र नहीं कर पाती क्योंकि मुझे हर 2 घंटे बाद टॉयलेट जाने की ज़रूरत पड़ती है जो कि बहुत स्वाभाविक है। लेकिन बसें 4-5 घंटे तक रूकती ही नहीं है और रूक भी जाएं तो ज़रूरी नहीं कि वहां टॉयलेट होगा ही। ड्राइवर और कंडक्टर साइड में बस लगा देंगे और बस के सारे आदमी भी नीचे उतर कर सड़क को शौचालय बना देंगे लेकिन औरतें बस यही इंतज़ार करेंगी कि उनका सफ़र और सफ़र (suffer) कब ख़त्म होगा। घर से बाहर किसी और टॉयलेट का इस्तेमाल करने पर डर लगता रहता है। औरतों की इस समस्या को नज़रअंदाज़ किया जाता है।
सार्वजनिक शौचालय नहीं होना तो एक समस्या है ही लेकिन अगर सार्वजनिक शौचालय हों भी तो भी महिलाएं उनका इस्तेमाल ही नहीं कर पाती है और यूरीन रोकती है जिसकी वजह से बीमारियाँ होती है। पब्लिक टॉयलेट की गंदगी और उनकी हालत ख़राब होना इसका सबसे बड़ा कारण है। लेकिन इसके अलावा कई बार पानी नहीं होता है, टिशू नहीं होते हैं, दिखने में साफ़ होने के बावजूद टॉयलेट में बहुत बुरी गंध आती है, कई महिलाओं को पेड-टॉयलेट के बारे में पता ही नहीं होता है।
पेड-टॉयलेट में अगर पुरुष केयर-टेकर हो तो भी कई महिलाएं नहीं जाती। कुछ महिलाएं पुरुषों और महिलाओं के लिए एक ही कैंपस में बनाए वॉशरूम में इसलिए नहीं जाती हैं क्योंकि उन्हें असुरक्षित महसूस होता है। पिछले कुछ सालों में सार्वजनिक शौचालयों की संख्या पहले से बढ़ गई है लेकिन उनके होने का कोई फायदा नहीं है क्योंकि हाइजीन नहीं है।
पब्लिक टॉयलेट का मुद्दा आपको दिखने में छोटा लगे या बड़ा लेकिन इसके परिणाम स्वरूप हज़ारों लाखों औरतें कई गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हो जाती हैं। इसलिए ज़रूरी है कि आप इन बीमारियों को पहचान लें। ये बीमारियां मर्दों को भी हो सकती है लेकिन महिलाओं के रिप्रॉडक्टिव सिस्टम की संरचना के कारण ये समस्याएं मर्दों की तुलना महिलाओं में दोगुनी रफ़्तार से फैल सकती है।
यूरिन को कई घंटों तक रोकने से ब्लैडर की शक्ति कमज़ोर होने लगती है। आप जितना ज़्यादा पेशाब रोकेंगे उतनी देर तक ब्लैडर पर प्रेशर पड़ेगा। इसलिए हर 2 घंटे में आपको टॉयलेट चले जाना चाहिए। ब्लैडर खाली करने में 3-4 मिनट की देरी होती है तो यूरिन दोबारा किडनी में वापस जाने लगता है जिससे धीरे-धीरे पथरी की शुरुआत होती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यूरीन में यूरिया और अमीनो एसिड जैसे टॉक्सिक तत्व होते हैं जो एक जगह जमा होने पर स्टोन का रूप ले लेते हैं और स्टोन का दर्द फिर आपको कभी भी परेशान कर सकता है।
यूरिन रोकने से महिलाओं में यूरिन इन्फेक्शन/ UTI यानी यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन की संभावना बहुत ज़्यादा बढ़ जाती है। ये ई-कोलाई नाम के बैक्टीरिया से होता है जो यूरीन के रास्ते ब्लैडर में पहुंच जाता है।
आजकल यह समस्या आम हो गई है जो ज़्यादातर महिलाओं में होती है लेकिन इसका ध्यान ना रखा जाए को ये इंफेक्शन फैलकर किसी बड़ी बीमारी का रूप ले सकता है। पेशाब करते हुए जलन, दुर्गंध या दर्द महसूस होना इसके कुछ लक्षण हैं। यूटीआई, खून के रास्ते आपके शरीर के बाकी अंगों में भी इंफेक्शन फैला सकता है। आप कम पानी पीएंगी तो भी ये हो सकता है और यूरीन रोकेंगी तो भी हो सकता है इसलिए शरीर को पानी की जितनी ज़रूरत है उतना पीएं और हर 1-2 घंटे में यूरीन रिलीज़ कर दें।
किडनी फेलियर– आप शायद सोच भी नहीं सकते ही लंबे समय तक यूरीन की प्रक्रिया रोकने से धीरे-धीरे किडनी पर प्रभाव पड़ने लगता है और आख़िरकार आपकी किडनी इतनी कमज़ोर हो जाती है कि वो फेल भी हो सकती है।
यूरिन के रास्ते जब यूरिया और क्रियटनीन जैसे गैर ज़रूरी तत्व बढ़ जाएं तो वो शरीर से बाहर निकलने की बजाए जमा हो जाते हैं जिससे ब्लड की मात्रा बढ़ जाती है। रिटेंशन ऑफ यूरिनेशन से ब्लैडर की मांसपेशियां कमज़ोर हो सकती हैं।
जानी-मानी सेलिब्रेटी न्यूट्रिशनिस्ट रूजुता दिवाकर ने #publictoilets के हैशटेग के साथ इस मुद्दे पर अपनी बात रखी है।
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उन्होंने लिखा है- हम महिलाओं के लिए समय पर पानी पीना और सेमी-हाइट्रेड रहना रोज़ की बात हो गई है। शुगर क्रेविंग से लेकर UTI, बल्ड प्रेशर से लेकर सिरदर्द, किडनी स्टोन से लेकर क्रैंप, हमारे लिए कई हेल्थ रिस्क लेकर आता है। हमें औरतों के लिए और ज़्यादा पब्लिक टॉयलेट की ज़रूरत है जहां सेनेटरी पैड्स के सही डिस्पोज़ल और टॉयलेट की साफ-सुथरी व्यवस्था हो।
रुजुता की इस पोस्ट को सराहते हुए कई महिलाओं ने अपनी समस्याओं को साझा किया है। आप इस पोस्ट की कॉमेंट्स पढ़ कर ख़ुद ही समझ जाएँगे कि समस्या कितनी गंभीर है।
महिलाओं के साथ यह स्थिति तब और भी खराब हो जाती है जब उनके पीरियड्स का समय आता है। डॉक्टर्स आपको हर 3-4 घंटे में पैड बदलने की सलाह देते हैं लेकिन कई बार काम पर व्यस्त होने और रास्ते में साफ टॉयलेट्स ना होने की वजह से महिलाएं पूरा-पूरा दिन पैड नहीं बदल पाती हैं। सोचिए एक तरफ़ यूरिन रोकना और दूसरी तरफ़ पीरियड्स में पैड ना बदल पाने की समस्या मिलकर कितना विकराल रूप ले सकती हैं। ऐसे में आपको UTI, यूरीनल इंफेक्शन होने का ख़तरा और भी ज़्यादा हो जाता है।
इन सब बातों के बाद कुछ ऐसी सावधानियां हैं जो आपको पब्लिक टॉयलेट इस्तेमाल करते हुए ध्यान में रखनी चाहिए।
हम कितनी ही समानता की बात करते हैं लेकिन सच तो यही है कि औरतों के लिए ऐसी कई आवश्यक सुविधाओं का घोर अभाव है। केवल अभियान चलाने और कैंपेन करने से स्थिति में सुधार नहीं होगा। शासन, प्रशासन और हम सभी को इस दिशा में और गंभीरता से काम करना होगा।
आंकड़ों की बात नहीं करूंगी लेकिन ये हालात शहरों और गांवों दोनों जगह बदतर हैं। आख़िर में एक और ज़रूरी बात, अगर आप भी किसी सार्वजनिक शौचालय का इस्तेमाल करती हैं तो उसे साफ रखें क्योंकि महिलाओं को भी ये ख़्याल रखना होगा कि उनके बाद कोई और उसी शौचालय का इस्तेमाल करने वाला है।
डिस्क्लेमर : इस लेख में दी जानी वाली जानकारी सामान्य है, किसी की सिम्प्टम के दिखने पर अपने डॉक्टर को कंसल्ट करें।
मूल चित्र : Alexander’s images via Canva Pro
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