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अब घरवाले उसकी शादी की तैयारी कर रहे थे। जैसे-तैसे उसने अपने माँ-पिता को बहुत अच्छे से समझा कर दो साल शादी न करने के लिए मना लिया।
रीता अपनी बेटी रोज़ी को सीमा में रहना सिखाती, जन्म से ही बेटी होने का पाठ पढ़ाती। लेकिन रोज़ी बस स्वच्छंद उड़ना चाहती। खुले आसमान की ख्वाहिश, उसे कोई सीमा रोक ही न पाती थी।
रोज़ी चुपके-चुपके भाई की किताबों, चाचा के यहाँ जाकर तो, किताब की दुकान के भैया की सहायता से और कभी अपने दोस्तों की मदद से पढ़ते रहती।
चाहे लाख कोई अड़चन बने उसकी उड़ान में, पर वह आसमाँ की ख्वाहिश लिए बस उड़ती जा रही थी। कहल-कूद में भी वह काफी अच्छी थी और घर के काम तो वह चुटकियों में पूरा कर लेती थी। उसके गीत-संगीत के तो लोग दीवाने थे। मतलब हर क्षेत्र में अग्रणी रहनेवाली रोज़ी को कहाँ मुमकिन था रोक पाना?
पर रोज़ी का परिवार लड़कियों को एक बोझ समझता था। लड़कियों की शादी ही परिवार वालों का अंतिम लक्ष्य था।
माँ भी बस रोज़ी को घर के कामों में निपुण हो यही चाहती थी। पर रोज़ी तो आसमान में छा जाना चाहती थी।
आसमान की ख्वाहिश लिए वह अकेले ही संघर्ष करती रही और जैसे-तैसे करके उसने दसवीं अच्छे नम्बर से पास किया। साथ ही आगे की पढ़ाई भी जारी रखी।
अब घरवाले उसकी शादी की तैयारी कर रहे थे। उसने माँ-पिता को बहुत तरीकों से समझा कर दो साल शादी न करने के लिए मना लिया। फिर दो साल बाद शादी तो होनी ही थी। सो हो गई, पर तब तक वह काफी परिपक्व और घर में ट्यूशन देकर कुछ पैसे कमाने लगी थी और इसके साथ पढ़ाई में और भी अच्छी हो गई थी।
शादी के बाद भी उसने पति को मनाकर प्राइवेट से पढ़ाई जारी रखा और ससुराल में घर के कामों के अलावा ट्यूशन भी लेती। इससे उसे आर्थिक मदद के साथ जानकारी भी काफी सुदृढ़ हो रही थी।
अंत में उसकी मेहनत रंग लाई और उसने राज्य पब्लिक सर्विस कमीशन की पीटी पहली बार में पास कर ली। पर मेन्स में उसे और मेहनत की जरूरत थी। दुबारा उसने हिंदी मिडियम में तैयारी कर, SDO का पद प्राप्त किया।
आज उसे लग रहा था, आसमान छूने की ख्वाहिश सिर्फ़ रखने से नहीं करने से पूरी होती है।
रोज़ी की माँ आज कह रही थी, “मेरी बेटी को बचपन से ही आसमन छूने की ख्वाहिश थी जिसे हम लोगों ने मिलकर पूरा किया।”
वैसे हर किसी में आसमान छूने की ख्वाहिश होती है। पर पूरा कोई कोई ही कर पाता है…
मूल चित्र : Still from Web Series Mom and Me/Awesome Machi, YouTube
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