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ये प्रेम भी बेइंतहा करती है, ध्यान तुम रखो कि तुम तैयार हो, कभी उसके स्वाभिमान को ठेस न पहुंचाने को और न उसकी आजादी पर अंकुश लगाने को...
ये प्रेम भी बेइंतहा करती है, ध्यान तुम रखो कि तुम तैयार हो, कभी उसके स्वाभिमान को ठेस न पहुंचाने को और न ही कभी उसकी आजादी पर अंकुश लगाने को…
चाहे कुछ भी हो चाहे समाज से लड़ना पड़े प्रतिभाशाली स्त्री से प्रेम करने के लिए मुझे खुद को बदलना होगा!
क्योंकि उसे जी हुजूरी करना पसंद नहीं जी हुजूरी कलंक है जीवन पर इसलिए आजाद रहना चाहिए जिंदगी में स्वाभिमान नहीं खोना चाहिए!
स्वाभिमानी स्त्री साहसी होती है वह खुद सारे कामों को अंजाम देती है खुद आगे बढ़ती है दूसरों को भी साथ रखती है!
ऐसी स्त्री ही चाहिए आज समाज को जो क्रांति में सहभागी बने समानता के लिए हर जंग लड़े इस सामज को बदलने में मेरे साथ चले!
कभी झाँसी की रानी तो कभी माँ दुर्गा तो कभी सावित्रीबाई फुले इन सब के नाम को वो भूलने न देगी
ये प्रतिभाशाली स्त्री प्रेम भी बेइंतहा करती है ध्यान तुम रखो कि तुम तैयार हो कभी उसके स्वाभिमान को ठेस न पहुंचाने को और न ही कभी उसकी आजादी पर अंकुश लगाने को
वादा करना होगा उससे कि वो आजाद रहेगी उसका साथ पा पर समाज बदल सकता हूँ क्योंकि प्यार सिर्फ अपनाने नहीं समानता का भी नाम है…
मूल चित्र : Still from Share The Load/Content Ka Keeda, YouTube
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