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कुछ सवाल तेरे भी हैं और मेरे भी, इन उलझे सवालों का जवाब, ढूंढने निकले हैं हम किनारों पर, शायद समुंदर में चलती किश्तियों से...
कुछ सवाल तेरे भी हैं और मेरे भी, इन उलझे सवालों का जवाब, ढूंढने निकले हैं हम किनारों पर, शायद समुंदर में चलती किश्तियों से…
कुछ सवाल तेरे भी हैं और मेरे भी, इन उलझे सवालों का जवाब, ढूंढने निकले हैं हम किनारों पर। शायद समुंदर में चलती किश्तियों से, बहकर आ जाएं हमारे जवाब। समंदर की आवाज़ों का शोर, बढ़ा रहा इन ख्यालों की धड़कन। कहीं इन खामोशियों सी नागफ़नी, बींध ना दे इन रिश्तों के मायने। जवाब तो मिले इन सवालों के, इज़हार नहीं तो इशारा ही कर दो। इन खामोशियों को किनारे रख, अल्फ़ाज़ों में ही इज़हारे इश्क बयां कर दो।
मूल चित्र : ravald from Getty Images via Canva Pro
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