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कैसे बनें क्रिमिनल लॉयर? क्या आपने दीपिका सिंह राजावत, करुणा नंदी और मीनाक्षी अरोरा का नाम सुना है? क्या आप अपना नाम यहां देखना चाहती हैं?
क्या आपने भारत की कई निडर और तेज़-तर्रार महिला वकीलों जैसे दीपिका सिंह राजावत, करुणा नंदी और मीनाक्षी अरोरा का नाम सुना है?
अगर नहीं, तो आप भारत की कई निडर और तेज़-तर्रार महिला वकीलों को नहीं जानते जो क्रिमिनल लॉ प्रेक्टिस करती हैं।
जनवरी 2018 में कठुआ में नाबालिग के साथ बलात्कार कांड में पीड़िता की वकील के रूप में दीपिका सिंह राजावात का नाम मशहूर हुआ था। जिस तरह उन्होने इस केस में साहस और अपनी योग्यता का परिचय दिया वो उन परिस्थितियों में अन्य किसी पुरुष वकील से अपेक्षित नहीं हो सकता था।
वकालत एक आम रोज़गार है पर भारत में यहाँ भी पुरुषों का ही वर्चस्व माना जाता है। हालांकि समय के साथ महिलाएँ अब इस क्षेत्र में भी अपनी योग्यता सिद्ध कर रही हैं। वकालत एक सम्मानीय पेशा है और अगर जम जाए तो आर्थिक रूप से बेहद फायदेमंद भी।
वकालत की पढ़ाई हर अन्य क्षेत्र की पढ़ाई की तरह ही है, जिसे मुश्किल लगे उसके लिए मुश्किल और जिसका जुनून ही वकील बनना हो उसके लिए बेहद आसान। सफ़ेद वर्दी उसपर काला कोट, जेब में एक पेन और हाथ में एक बस्ता, बस यही है एक वकील की पहचान। एक वकील वो है जो सिर्फ़ कानून की पढ़ाई ही नहीं करता बल्कि उसका उचित उपयोग को निश्चित करता है।
वैसे तो वकालत की पढ़ाई करने के लिए आपको पहले से किसी भी विधा में स्नातक (graduate) होना आवश्यक है और उसके बाद ही आप किसी भी विश्वविद्यालय से 3 वर्ष का एल.एल.बी (bachelor of law and legislation) डिग्री कोर्स कर सकती हैं। पर यदि आपने 12वीं पास की है और इसके बाद ही आप वकालत की पढ़ाई शूरु करना चाहती हैं तो आप 5 वर्षीय integrated law degree कोर्स कर सकती हैं।
यह integrated law डिग्री कोर्स भारत के कुछ विश्वविद्यालयों में अब B.A./B.Com/BBA/B.Sc LLB की विधाओं में उपलब्ध हैं। किसी भी कोर्स में एडमिशन से पहले प्रवेश परीक्षा देना और उत्तीर्ण करना आवश्यक होता है।
वकालत की पढ़ाई के अंतर्गत आपको कई विषय विस्तार और गहनता से पढ़ने होते हैं। क्योंकि हमारी न्यायपालिका के लिए किसी भी रूप में कार्य करना एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी का काम है जिस पर समाज और देश की न्याय व्यवस्था टिकी है।
विषय इस प्रकार हैं:
ज्यूरिस्प्रुडेंस (Jurisprudence)
कॉन्स्टीट्यूशनल लॉ (Constitutional law)
कॉन्ट्रैक्टस (contracts)
हिन्दू विवाह अधिनयम (Hindu Marriage law)
मुस्लिम पर्सनल लॉ (Muslim Personal Law)
सी.आर.पी.सी (Code of criminal procedure)
सी.पी.सी (Code of civil procedure)
लेबर लॉ (Labor law)
एडमिनिसट्रेटिव लॉ (Administrative Law)
कॉर्पोरेट लॉ (Corporate law)
टैक्सेशन (Taxation)
लॉ ऑफ टोर्ट्स (Law of Torts)
अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून (International law of Human Rights)
लॉ की डिग्री पूरी करने के बाद सबसे पहला काम होता है अपने प्रदेश के संबंधित बार काउंसिल में अपना पंजीकरण। डिग्री पूरी करने के बाद आपको वकालत शुरू करने से पहले अपने आप को बार काउंसिल में वकील के रूप में पंजीकृत कराना आवश्यक है। जिसके लिए उस प्रदेश के बार काउंसिल का फ़ॉर्म और फ़ीस भरकर अपने सभी आवश्यक ओरिजिनल डॉकयुमेंट जमा करने होते हैं।
पंजीकरण में कई माह का समय लगता है और एक बार आप संबंधित बार काउंसिल में पंजीकृत हो जाते हैं तो आपको पहचान पत्र के साथ सभी डॉकयुमेंट वापस लौटा दिये जाते हैं। इस पंजीकरण के बाद आप प्रदेश के अंतर्गत किसी भी जिले में प्रैक्टिस कर सकती हैं।
अपने प्रदेश के जिस जिले की कचहरी में आप प्रैक्टिस करना चाहें उस जिले की बार काउंसिल में भी फ़ॉर्म ओर फ़ीस भरकर पंजीकरण आवश्यक है। साथ ही यहाँ आपको प्रदेश बार काउंसिल से मिला पहचान पत्र ओर पंजीकरण संख्या दर्ज कराना होगा। इस पंजीकरण के बाद ही किसी केस में अपना वकालतनामा लगाया जा सकता है।
सन 2010 के पहले एलएलबी की परीक्षा पास कर लेने और बार काउंसिल में पंजीकरण के बाद ही वकालत की प्रैक्टिस की जा सकती थी। पर 2010 के बाद से ऑल इंडिया बार एसोसिएशन ने 2010 के बाद लॉ की डिग्री पाने वाले सभी नए वकीलों के लिए एक लिखित परीक्षा अनिवार्य कर दी है जिसे उत्तीर्ण किए बिना वकालत नहीं की जा सकती।
इस परीक्षा को बार काउंसिल ऑफ इंडिया वर्ष में दो बार आयोजित करती है और इसे ऑल इंडिया बार एक्ज़ाम कहते हैं। यह एक ओपन बुक परीक्षा होती है और इसमें सभी प्रश्न बहू विकल्पीय (multiple choice) होते हैं।
इस परीक्षा को आप बार-बार दे सकते हैं जब तक उत्तीर्ण न कर ली जाए। इस परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया से आपको भारतवर्ष में कहीं भी वकालत की प्रैक्टिस कर सकने का प्रमाण-पत्र प्राप्त होता है।
वकालत शुरू करने से पहले आपको अपने मन और मस्तिष्क में यह स्पष्ट होना चाहिए कि आप वकालत की कौन सी विधा को अपनाना चाहती हैं। आप क्रिमिनल (फ़ौजदारी), सिविल (दीवानी), टैक्सेशन, कॉर्पोरेट में से कोई भी विधा अपना सकती हैं।
लॉ की पढ़ाई और पंजीकरण आदि के बाद आप चाहें तो वकालत अपनी जिला कचहरी में किसी अनुभवी वकील की जूनियर की तरह शुरू कर सकती हैं। पढ़ाई करके भी कचहरी की प्रक्रिया और वकालत के गुर सीखने ज़रूरी होते हैं और यह आपको कोई मँझा हुआ अनुभवी वकील ही सिखा सकता है।
अगर आप किसी बड़े शहर से हैं या जा सकती हैं तो आप किसी अच्छी लॉ फ़र्म में आवेदन कर सकती हैं। वहाँ चयनित होने पर कुछ समय इंटर्न के रूप में काम करना होता है और यदि आप अपनी योग्यता साबित कर पाते हैं तो आपको वहीं वकील के रूप में नियुक्त कर लिया जा सकता है।
इस सबके अलावा आप चाहें तो किसी बड़ी कंपनी के लिए कॉर्पोरेट लॉयर पद के लिए आवेदन कर सकती हैं। बैंक में भी वकीलों की नियुक्ति के लिए परीक्षा होती है जिसे पास करके नियुक्ति पाई जा सकती है।
एलएलबी करने के बाद एक और विकल्प खुलता है। वह है न्यायपालिका में जज बनने का मौका। इसके लिए UPPSC एक परीक्षा आयोजित करता है जिसे PCS J कहते हैं। यहाँ J का अर्थ judiciary। यह परीक्षा 3 चरणों में होती है। पहले प्री फिर मेंस और फिर एक इंटरव्यू।
अगर आपने अब तक इस ओर नहीं सोचा है तो अब सोचिए। क्रिमिनल लॉयर बनकर नाम कमाइए या जज बनकर। अगर आपको अपनी आवाज़ उठाने से डर नहीं लगता और आपमें बहस करने की अच्छी क्षमता है तो देर किस बात की। यह प्रोफेशन आपको पैसे और शौहरत से सराबोर कर सकता है।
ऑथर नोट : यह लेख पूरी तरह से मेरी निजी जानकारी और अनुभवों पर आधारित है। बीते समय के साथ कुछ जानकारियों में थोड़ा-बहुत परिवर्तन की संभावना हो सकती है।
मूल चित्र: Still from Show Criminal Justice
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