आशु सबके बीच में आया और अपनी माँ का नाम लेकर बोला, "निधि अभी देखना दादी तुम्हें कैसे पीटती है, तब तुम्हें समझ में आएगा कि आशु भूखा है।"
आशु सबके बीच में आया और अपनी माँ का नाम लेकर बोला, “निधि अभी देखना दादी तुम्हें कैसे पीटती है, तब तुम्हें समझ में आएगा कि आशु भूखा है।”
सुबह का समय निधि को बहुत पसंद था। किचन के सामने वाले बरामदे में डाइनिंग टेबल पर बैठकर उसके सास ससुर अखबार पढ़ रहे थे और निधि के बेटे आशु के साथ खेल भी रहे थे।
निधि चाय बना रही थी। आशु अभी बोलना सीख रहा था। छोटे-छोटे वाक्य भी बोलने लगा था। निधि के ससुर ने जोर से कहा, “निधि चाय जल्दी लाओ।”
आशु भी उनकी नकल करके अपनी तोतली बोली में बोला “निधि चाय जल्दी लाओ!”
यह सुनकर उसके सास-ससुर ठहाका मारकर हंस पड़े और उससे बार-बार कहने लगे जरा निधि को डांट के चाय मंगाओ। आशु को समझ में आ गया कि बाबा दादी को उसकी बात अच्छी लग रही है तो वह भी बार-बार वही वाक्य कहने लगा। इसके बाद तो अक्सर यही होने लगा।
निधि के सास-ससुर आशु से प्यार के साथ मजाक में कहते थे, “देखो हमें खाना नहीं मिला” या और कुछ।
सुनते ही आशु जोर से कहता, “निधि यह काम करो।” निधि को बुरा लगता था क्योंकि बच्चा मैनर्स नहीं सीख रहा था, अपनी मां को मां कहकर नहीं बुलाता था, उसका नाम लेता था। पर बाबा-दादी को यह बहुत अच्छा लगता था।
एक बार निधि के पति अजय ने ऑफिस जाने की जल्दी में कोई चीज ना मिलने पर निधि को डांटते हुए कह दिया, “तुम्हारे बस का तो कोई काम ही नहीं है।”
आशु ने यह सुन लिया और किसी बात पर निधि से डांटकर बोला, “तुम्हारे बस का तो यह काम ही नहीं है।”
यह सुनकर तो सास-ससुर के साथ अजय भी जोर से हंसने लगे। निधि को अपमान के साथ बुरा भी लगा कि आशु ठीक से बात करना नहीं सीख रहा। बाबा, दादी और अजय का तो यह खेल हो गया कि हंसी मजाक के साथ आशु को उकसाना कि निधि से कहो ऐसा करें।
आशु डरते हुए कोई बात निधि से कहता था और घर के बड़े हंसते थे तो उसे लगता था कि वह अच्छी बात कह रहा है। निधि ने अजय से कहा भी कि इस तरह तो आशु बिगड़ जाएगा। तब अजय कहने लगे, “तुम क्या बात करती हो? वह अभी छोटा है, धीरे-धीरे सीख जाएगा। इतने से बच्चे की बात का क्या बुरा मानना?”
निधि चुप हो गई, सास ससुर से तो कुछ कहना ही बेकार था क्योंकि वह तो कुछ सुनकर बवाल मचा देते।
एक दिन निधि से टकराकर आशु गिर गया और रोने लगा। निधि की सास निधि के हाथ पर अपना हाथ रख कर दूसरे हाथ से मार कर बोली, “क्यों तुमने मेरे बच्चे को भी गिराया? लो अब देखो मैं तुम्हें कैसे पीटती हूं।”
हाथ की आवाज सुनकर आंसू को लगा की दादी ने मां को मारा है तो वह चुप होकर हंसने लगा।
निधि इन बातों से बहुत परेशान थी। सास ससुर, आशु की हर बात पर खुश होते थे। आशु कभी-कभी बाबा-दादी को भी मारता था तो वह उसके हर थप्पड़ पर हंसते थे। निधि या अजय को नाम लेकर बुलाता था, तब भी उन्हें बहुत हंसी आती थी।
निधि को यह चिंता थी कि इस तरह से आशु कभी बड़ों का सम्मान करना नहीं सीखेगा। अभी वह छोटा है, पर धीरे-धीरे उसकी आदत पड़ जाएगी बड़ों का अपमान करने की। ऐसे ही सब चल रहा था।
इसी बीच निधि की बहन का विवाह तय हो गया। सभी लोग सपरिवार विवाह में गए।
निधि अपने मायके वालों के साथ बात करने में व्यस्त थी और आशु को भूख लग रही थी। सास ने निधि को बुलाकर कहना चाहा कि आशु भूखा है, पर निधि का ध्यान बातों में था इसलिए वह सुन ना सकी।
आशु सबके बीच में आया और जोर से बोला, “निधि अभी देखना दादी तुम्हें कैसे पीटती है, तब तुम्हें समझ में आएगा कि आशु भूखा है।”
सबके बीच में उसके ऐसा कह देने से निधि के माता पिता के चेहरे पर गुस्सा दिखाई देने लगा और निधि के चेहरे पर शर्मिंदगी। उसकी सास भी अवाक रह गई कि निधि के मायके वाले यही सोच रहे होंगे कि वह निधि को पीटती हैं।
निधि और उसकी सास बार-बार सफाई देने लगी कि आशु बिगड़ गया है जाने कैसे उसने ऐसे बोलना सीख लिया है। पर सबके चेहरे से संदेह का भाव नहीं जा रहा था।
शादी से लौटने के बाद निधि के साथ ससुर को समझ में आ गया था कि बच्चे को शुरू से ही तमीज से बोलना सिखाना चाहिए और उसकी गलत बातों पर हंसना नहीं चाहिए।
कई घरों में ऐसा ही होता है। बच्चे की तोतली बोली में कही गई गलत बातों को सुनकर सब बहुत खुश होते हैं। यह नहीं सोचते कि ऐसा करके वह बच्चे को बिगाड़ रहे हैं। बच्चा धीरे-धीरे ऐसे ही बोलना सीख जाएगा और यह बच्चे के लिए तो बुरा होगा ही, पूरे परिवार के लिए अपमान का कारण बनेगा।
मूल चित्र : Still from Bollywood Movie English Vinglish, YouTube