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"कोई नहीं... आप निकलिए वरना लेट हो जाएंगे आफिस के लिए", श्वेता असहज होती हुई बोली क्योंकि पड़ोसी भी बाहर निकल आए थे।
“कोई नहीं… आप निकलिए वरना लेट हो जाएंगे आफिस के लिए”, श्वेता असहज होती हुई बोली क्योंकि पड़ोसी भी बाहर निकल आए थे।
“अरे यार! तुमने मेरी वो फाईल नहीं डाली ना मेरे बैग में? मैंने कहा था ना रात में ही डाल देने को?” नीचे कार में बैठ रहे उदय ने बैग चेक करते हुए चिल्लाकर बालकनी में खड़ी श्वेता से पूछा।
“अभी लेकर आती हूँ।”
हड़बड़ाती हुयी हुई श्वेता अंदर भागी। जब तक फाईल लेकर नीचे आई उदय का गुस्सा सातवें आसमान पर था।
“एक काम भी तुमसे ठीक से नहीं होता? कसम खा रखी है क्या कि कभी नहीं सुधरोगी?”
उदय ने आग्नेय नेत्रों से श्वेता को देखा और निकल गया। सकपकाई हुई श्वेता जल्दी से अंदर आ गई कि कहीं कोई कुछ पूछ ना बैठे।
वैसे ये बिल्डिंग वालों के लिए नई बात नहीं थी। हर दूसरे तीसरे दिन ये होता था या फिर उनके घर से उदय के गुस्से में चिल्लाने की आवाजें आती थीं।
घर के कामों को निपटा कर श्वेता बैठी ही थी कि उदय का फोन आया।
“सुनो! कल रात को बाॅस और उनकी वाइफ को खाने पर बुलाया है। प्रमोशन की लिस्ट आने वाली है बहुत जल्दी, तो गुड बुक में रहना है ना। तुम एक काम करना, आज ही जरूरत की सारी चीज़ें ले आना और कोई गड़बड़ी मत करना ।तुमसे जो ना हो पाए वो मुझे बता देना, मैं लौटते वक्त ले आऊंगा।”
श्वेता और उदय की शादी को अभी ज्यादा वक्त नहीं हुआ था। अरेंज मैरिज के कारण उदय को सबसे बड़ी शिकायत ये थी कि वो श्वेता को जान ना पाया। इसके अलावा शुरू से हास्टल में रहने के कारण उदय बहुत हद तक परफेक्शनिस्ट बन गया था।
वहीं श्वेता अपने मां बाप की लाडली बेटी थी। हालांकि अपनी ओर से वो हर काम अच्छे से करती पर उदय को कहीं ना कहीं कमी दिख ही जाती और फिर उसका बोलना चिल्लाना शुरू हो जाता। वो उस समय ये भी नहीं देखता कि वो घर में है या बाहर, अकेला है या लोगों के बीच, जिससे श्वेता खुद को अपमानित महसूस करती और ये बात उसे बहुत खलती।
वैसे श्वेता भी पुरजोर कोशिश करती कि उदय को नाराज़ ना हो, पर कुछ ना कुछ हो ही जाता। इस बार वो उदय को चिल्लाने का मौका बिल्कुल नहीं देना चाहती थी। वैसे भी उसके साथ रहते रहते वो काफी हद तक जाने भी चुकी थी कि उदय को क्या पसंद है क्या नहीं।
दूसरा दिन भी काफी भागदौड़ भरा रहा। उस पर से ऐन वक्त पर बाईं नहीं आई। सारी तैयारियां करने के बाद श्वेता ने अपने लिए एक प्यारी सी पीले रंग की उदय की दी हुई साड़ी और उससे मिलता हुआ मेकअप वगैरह भी निकालकर रेडी कर लिया। आज वो अपनी तैयारियों के साथ कोई समझौता नहीं करना चाहती थी।
इधर उदय के दफ्तर में काम कम था तो उसे याद आया बहुत दिनों से उसने अपने घर बात नहीं की। फोन लगाया लेकिन हाल समाचार पूछने की बजाय मम्मी तो शुरू ही हो गई फोन पर, “नेहा पति से लड़कर आ गई है कहती है अब कभी नहीं जाएगी… निशा कल आने वाली है जापे के लिए… पापा का बीपी-शुगर अनकंट्रोल्ड चल रहा है… खुद के घुटने का दर्द चैन नहीं दे रहा…”
बिल्कुल एवरलास्टिंग स्टोरी चल रही थी उस साइड से। फोन रखने तक उदय मानसिक रूप से थक चुका था और उसे चाय की तलब हो रही थी। श्वेता के हाथ की कड़क चाय की। कैसा भी सर भारी हो, मन खराब सा हो श्वेता की चाय पीने के बाद ठीक होनी ही होनी है।
फिर श्वेता का ध्यान आते ही उसने आधे वक्त की छुट्टी ली। उसने घर फोन किया था तो श्वेता ने बताया था कि वो डस्टिंग कर रही है। बाई ने छुट्टी कर दी है आज। बाॅस को फिर से याद दिला, उसने आधे वक्त की छुट्टी ले ली और सोचा श्वेता को सरप्राइज देगा और उसकी मदद भी कर देगा।
घर पहुंचा तो श्वेता आश्चर्य चकित भी हुई और खुश भी। जब तक उदय ने कपड़े बदले वो चाय ले आई। चाय पीकर मन हल्का करने के बाद उदय ने देखा श्वेता ने सारी तैयारियां कर ली हैं। डरते डरते उसने सब उदय को दिखाया। उदय को इस बार सच में कोई कमी नहीं दिखी।
उदय सोचने लगा कि वो कितना गलत है जो सोचता है कि श्वेता परफेक्ट नहीं है, कोई भी परफेक्ट कहां होता है? उसकी खुद की दोनों बहनें, मां, आफिस कुलीग्स की पत्नियां, उसके साथ जाॅब करने वाली लड़कियां… बाकी सब और तो और वो खुद! कोई तो पूरी तरह परफेक्ट नहीं। फिर भला वो या कोई भी इंसान ये कल्पना क्यों कर बैठता है कि उसका जीवनसाथी परफेक्ट हो?
आज उदय की को अपनी सोच पर शर्मिंदगी थी। उसने प्यार से श्वेता को सोफे पे बिठाया और उसके लिए अच्छी सी काॅफी बनाकर लाया और फिर प्यार से बोला, “श्वेता मैं जानता हूं। मैंने कभी जानकर तो कभी अनजाने में तुम्हारा बहुत दिल दुखाया है। मैं वो पल वापस तो नहीं ला सकता ना ही मेरे माफी मांग लेने से तुम्हारे उस पल का दुख कम हो जाएगा। इसलिए, अपनी इस सॉरी के साथ-साथ मैं आगे जरूर कोशिश करूंगा कि तुम्हें दु:ख ना पहुंचाऊं। और उस दिन तुम कह रही थीं ना कि तुम्हें मुझसे कुछ चाहिए? तो प्लीज मेरे लिए ही सही, आज ही मांग लो मुझसे।”
श्वेता को विश्वास नहीं हुआ कि ये वही उदय है। खुद को सँभालते हुए उसने कहा, “जो मांगूंगी, देंगे? सच में?”
“बिल्कुल…”
“छठा वचन याद रखने का वादा दे दीजिए! बस मुझे और कुछ नहीं चाहिए…”
“पर…”
“आपको याद नहीं तो मैं बता देती हूं… इस वचन में कन्या वर से कहती है आप कभी भी लोगों के बीच में मेरी किसी गलती को बताएंगे नहीं। मेरा अपमान नहीं करेंगे। आपको जो भी कहना हो मुझे अकेले में कहेंगे। ये तो हुआ छठा वचन! बदले में मैं आपको अपनी तरफ से वचन देती हूं कि मैं उसे जरूर सुधारूंगी और अगली बार आपको शिकायत का मौका नहीं दूँगी।”
“वादा तो नहीं करूँगा क्यूंकि वाडे टूट जाते हैं, लेकिन कोशिश जरूर करूंगा कि इस वचन को तन मन से निभा पाऊं। पक्की वाली कोशिश। हां जब मैं भूलने लगूं तो तुम याद दिला देना। वैसे जब ये वचन मैंने तुम्हें शादी के वक्त ही दे दिया था फिर तो मैं सच में पूरी तरह गलत हूं…”
“पति पत्नी के बीच गलत सही कुछ नहीं होता, बस आपस की अंडरस्टैंडिंग अच्छी होनी चाहिए तो गलत भी सही बन सकता है। वैसे अब हमें तैयार होना चाहिए। लेट हुई तो कहीं आप फिर से छठा वचन ना भूल जाएं…”, श्वेता ने भोलेपन से कहा तो दोनों हंस पड़े और तैयारियों में जुट गए।
दोस्तों, हर इंसान गलतियां करता है और ये भी तय है कि गलतियां जानबूझ कर नहीं की जातीं, तो हर गलती करने वाले की अपेक्षा होती है कि गलत उसने किया है तो उसे अकेले में समझाया जाए ना कि सबके सामने बोल कर अपमानित किया जाए। वो भी जब रिश्ता पति पत्नी का हो!
आपकी क्या राय है, अवगत कराएं…
मूल चित्र : Still from Yaaro Yaroodi, Episode1/ Kutty Story, YouTube
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