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"अरे भाई! पायल को अपने पति पर नज़र रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी, वरना आजकल के सुंदर लड़के ना जाने क्या-क्या करते हैं।"
“अरे भाई! पायल को अपने पति पर नज़र रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी, वरना आजकल के सुंदर लड़के ना जाने क्या-क्या करते हैं।”
“राजीव! कितना प्यारा है। उसको पाकर तो हमारे भाग्य खुल गए। बस अपनी बिटिया को लेकर हर माँ को जो चिंता होती है, उससे मैं उबर चुकी हूँ आज।”
“मैंने कहा था ना माँ, राजीव आप सबको पसंद आएंगे। वो हैं ही ऐसे, बहुत ही खुशमिजाज और जिंदादिल। उनमें मुझे बिल्कुल पापा की झलक मिलती है। जैसे पापा चुटकियों में सारी समस्या का हल निकाल देते हैं। वैसे ही राजीव भी हैं और हमेशा अपने आस-पास सभी को खुश रखते हैं।”
“हाँ! भई अब राजीव आ गया तो अपने पापा को कौन पूछेगा। हमें तो सबने भुला दिया उसके आगे।” हंसते हुए सुधीर जी अपनी बेटी पायल से बोले।
पायल अपने माता-पिता सुधीर और स्नेहलता जी की इकलौती बेटी है। पायल को उसके माता-पिता ने अच्छे संस्कारों से पाला है। अभी पायल विदेश से अपना तबादला करा कर भारत अपने माता-पिता के साथ रहने आई है। राजीव से उसका मिलना एक क्लाइंट मीटिंग में हुआ था। दोनों को एक-दूसरे का साथ पसंद आया। फिर ये मिलने का सिलसिला ऐसा बढ़ा कि बात शादी तक आ गई।
अगले महीने पायल की शादी की तारीख निकाली गई। राजीव के माता-पिता भी उसी की तरह नेकदिल हैं। पायल के साथ उनका व्यवहार बिल्कुल अपनी बेटी जैसा है। शायद यही कारण है, जो पायल राजीव और उसके परिवार को इतना पसंद करती है।
इधर सभी रिश्तेदारों को निमंत्रण जा चुका था। शादी के सिर्फ दस दिन ही बचे थे और मेहमानों का आना भी शुरू हो गया था। सभी ने अभी तक राजीव को सिर्फ फोटो में ही देखा था। इसलिए बस हर कोई दबी ज़बान से उसके नैन-नक्श को लेकर बातें कर रहा था।
जैसे ही शादी वाला दिन आया, पायल के रिश्तेदारों ने राजीव को देख खुसर-पुसर चालू कर दी।
“अरे रिंकी दीदी! लड़का देखा कितना काला है और नैन-नक्श भी कोई अच्छे नहीं।”
तभी पायल की बुआ सुधीर जी से बोलीं, “देख छोटे! अभी तक फोटो में देखा था इसलिए लगा शायद सामने से ठीक होगा। पर ये क्या? ये तो अपनी पायल के सामने कुछ नहीं। अपनी पायल के लिए क्या लड़कों की कमी थी जो इसको पसंद किया? ना शक्ल ना सूरत। अरे लड़का तो सुंदर देखते शादी के लिए। चार लोगों के सामने अपनी बच्ची की तो नाक ही कट जाएगी।”
“पर रमा दीदी! ये पायल की ही पसंद है और शक्ल सूरत से क्या राजीव बहुत अच्छा लड़का है। एक बार मिलो तो उससे, खुद समझ आ जाएगा।”
हर कोई राजीव को लेकर अपने ही व्यंग्य बाण चला रहा था। पायल की कजिन्स निमिता और समीरा भी मजे लेने में पीछे नहीं थीं।
“जीजा जी से तो अच्छा देखने में ये पास्ता है। जिसे देखकर और खाकर सुकून तो मिल रहा। भगवान जाने पायल दीदी की आंखों में तो जैसे ताले लगे थे जो ऐसा लड़का पसंद किया।”
धीरे-धीरे ये बात पायल तक पहुंच गई। उसे बुरा तो लगा पर वो शांत रही शायद सही समय का इंतजार कर रही थी। फेरों के बाद दरवाज़े रोकने की रस्म में सभी मस्ती कर रहे थे कि शशि मामी तपाक से बोलीं, “अरे भाई! पायल को अपने पति पर नज़र रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ये सही दिमाग लगाया अपनी पायल ने, वरना आजकल के सुंदर लड़के ना जाने क्या-क्या करते हैं।”
तभी पायल बोली पड़ी, “हाँ मामी सही कहा आपने जैसे आपकी बेटी मंजू के पति ने किया। क्या हुआ मंजू आई नहीं? उसके पति तो बहुत सुंदर और केयरिंग थे। यही कहा था ना आपने हम सबसे?
और हां निमिता और समीरा सही कहा पास्ता अच्छा दिख रहा। तभी तो अभी तक इतने लड़के तुम लोगों की हरकतों से तुम लोगों को छोड़ चुके। क्यूंकि तुम लोग रिश्तों और खाने में कोई फर्क नहीं रखते।”
“रमा बुआ! क्या इंसान अच्छा सिर्फ अच्छी शक्ल से होता है? आप राजीव को कितना जानते हैं? आपने तो सुंदर लड़का देख वत्सला दीदी की शादी कराई थी। टूट गयी न? क्या हुआ वो छोड़कर चला गया दीदी को? तो सुंदरता लेकर करना क्या है अगर इंसान ही अंदर से अच्छा ना हो?
कम से कम राजीव के लिए मैं दावे के साथ ये बोल तो सकती हूँ। वो सीरत से भी काफी सुंदर हैं। सबसे बड़ी बात मैं उनके साथ खुश हूँ। ये बात एक लड़की के माता-पिता के लिए काफी बड़ी होती है। ज्यादातर तो इसी में घुटकर रह जाते हैं क्योंकि उनकी बेटी को सही घर नहीं मिल पाता।
मेरे माता-पिता को कम से कम इस बात की तो तसल्ली है। बस मुझे और क्या चाहिए? एक समझदार और केयरिंग पति और उतना ही सुंदर मेरा ससुराल जहां मुझे अपने माता-पिता जैसे मां-बाप मिलेंगे। वैसे भी मैं खुश हूँ और मुझे फ़र्क नहीं पड़ता कि दूसरे क्या सोच रखते हैं?”
सुधीर और स्नेहलता जी ने अपनी प्यारी बेटी पायल को प्यार और स्नेह से विदा किया। आज उनको अपने दिए हुए संस्कारों पर गर्व हो रहा था।
मूल चित्र: Still from Phuljhadi/Blush,YouTube
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