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मैं आज यहां अपनी बेटी की वजह से पहुंची हूँ…

श्रुति ने कहा, “क्यों नहीं? आप सब कुछ कर सकते हो। हम लोग जहां पर हैं वह आपकी वजह से ही तो हैं। आप भी सब कुछ कर सकते हैं माँ, कुछ भी!"

श्रुति ने कहा, “क्यों नहीं? आप सब कुछ कर सकते हो। हम लोग जहां पर हैं वह आपकी वजह से ही तो हैं। आप भी सब कुछ कर सकते हैं माँ, कुछ भी!”

कुछ करने के लिए उम्र आपकी कोई बाधा नहीं होती। आप किसी भी उम्र में कुछ भी कर सकते हैं। उम्र तो केवल एक संख्या है, जो आप की जीवन रेखा की पहचान है।

जैसे किसी बेल को आगे बढ़ने के लिए एक सहारे की जरूरत होती है, वैसे ही अकसर लोग सोचते हैं कि पौढ़ अवस्था में अब हमें किसी के सहारे ही जिंदगी आगे बढ़ेगी। लेकिन ऐसा नहीं है…

मैं आपको अपनी एक कहानी बताती हूं।

मैं उम्र के उस पड़ाव पर हूं, जब बच्चे मेरे बड़े हो गए हैं। लेकिन समय का चक्र पीछे चल पड़ा है क्यूंकि मेरे माता-पिता बूढ़े हो गए हैं। अब उनकी सेवा करते करते, मेरे सपने फिर से पीछे रह गए। कुछ सामाजिक जिम्मेदारियाँ और कुछ घर की, इस चक्कर में मैं तो भूल गई कि मेरा भी कुछ अस्तित्व है।

फिर एक दिन मेरी बेटी श्रुति ने बड़ा कहा, “मां तुम तो लिखती थीं, अब क्यों नहीं?”

मैंने कहा, “बेटा! पता नहीं इस उम्र के पड़ाव में क्या मैं कुछ कर पाऊंगी या नहीं?”

श्रुति ने कहा, “क्यों नहीं? आप सब कुछ कर सकते हो। हम लोग जहां पर हैं वह आपकी वजह से ही तो हैं। आप भी सब कुछ कर सकते हैं माँ, कुछ भी!”

लेकिन मन में बहुत से विचार चल रहे थे कि लोग क्या कहेंगे? लेकिन मन में यह भी चल रहा था कि समाज के लिए कुछ तो काम करना है, क्योंकि किसी को नहीं पता कि मेरे अंदर क्या प्रतिभा है।

मेरी बेटी ने बहुत विश्वास दिलाया कि मां आप कर सकते हो! जैसे एक बेल को चढ़ने के लिए के लिए सहारे की जरूरत होती है, आज मेरी बेटी मेरे लिए वही सहारा बन गयी।

फिर एक दिन मेरी बेटी ने मुझे विमेंस वेब के बारे में बताया। मैंने उसको फॉलो करना शुरू किया। फिर हम लोगों ने मिलकर उस आवेदन पत्र को भरा। बहुत ही कम उम्मीदों के साथ कि कुछ करने को मुझे भी मिलेगा। लेकिन, मेरी बेटी को पूरा विश्वास था कि मैं जरूर उसमें सेलेक्ट हो जाऊंगी।

आज मैं जो भी उस में एक छोटा सा काम करना शुरू किया है, वही एक मेरी छोटी सी पहचान है!

शायद एक दिन मैं भी एक छोटी सी नन्ही कलम बनकर कुछ कर पाऊंगी, इस समाज के लिए, दबी-कुचली महिलाओं के लिए, जिनकी आवाज मैं बन सकूं और शायद अपने सपनों के लिए।

इसलिए मैं आज कह सकती हूं कि उम्र की कोई सीमा नहीं होती, बस आपको एक हौसले की ज़रूरत होती है। आप कभी भी कुछ किसी भी उम्र में कर सकते हैं। उम्र तो एक संख्या है।

जब मैंने सोचा कि चलो कहानी लिखी जाए तो कंप्यूटर तो चलाना आता था, लेकिन वर्ड डॉक्यूमेंट पर कैसे काम करते हैं, वह नहीं आता था। तब मेरी बेटी ने मुझे वर्ड पर कैसे काम करते हैं वह सिखाया। थोड़ी बहुत दिक्कतें आई पर किसी तरह लगन से सीख ही लिया।

आज मेरी पहली कहानी विमेंस वेब पर प्रकाशित हो चुकी है और उस कहानी को बहुत प्यार मिला! किसका कितना शुक्रिया अदा करूँ… शायद मेरे शब्द कम पड़  रहे हैं…

यह मैंने कभी सोचा ही नहीं था कि मैं ऐसा कुछ कर पाऊंगी। लेकिन मैंने कर दिखाया! उम्र कोई बाधा ना बने इसलिए कह सकते हैं, जहां चाह वहां राह।

ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्होंने उम्र की सीमाओं को तोड़कर, हर वह काम करके दिखाया है। अकसर जो काम युवा करते हैं वह काम मैंने इस उम्र में कर दिखाया। 

जैसे कि के.एफ.सी के मालिक हरलैंड सैंडर्स रिटायरमेंट के बाद जब कि उनकी उम्र 60 साल थी, उन्होंने छोटे से रेस्टोरेंट की शुरुआत की जो कि आज पूरे विश्व में धूम मचा रहा है, उसी प्रकार से जापान की एक महिला तामे वातनबे ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट उस समय सफलतापूर्वक चढ़ाई की जब उनकी उम्र 73 साल की थी।

किसी भी काम को करने के लिए हम कोई भी उम्र में कर सकते हैं। मन में उत्साह और कर गुजरने की इच्छा शक्ति होनी चाहिए। यह जरूर हो सकता है कि एक उम्र पर थोड़ी तकलीफ हो, काम करने में दिक्कतें हो, लेकिन इच्छा शक्ति के बल पर सफलता निश्चित मिल जाती है।

उम्र एक संख्या है ना कि जीवन को रोकने का नाम।

मेरी बेटी के शब्द हैं, “माँ, यू कैन डू इट!”

मूल चित्र : Maggi/Late Night Ad, YouTube

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