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मन, वचन और कर्म से जो हुआ गुलाम नहीं…

नैतिकता के लिए जो हुआ अधीर, स्वतंत्र असल में है वही। झूठ, बेईमानी और भ्रष्टाचार का,विरोध, जिसका संघर्ष रहे। बुराइयों का जिस पर असर नहीं...

नैतिकता के लिए जो हुआ अधीर, स्वतंत्र असल में है वही। झूठ, बेईमानी और भ्रष्टाचार का,
विरोध, जिसका संघर्ष रहे। बुराइयों का जिस पर असर नहीं…

मन, वचन और कर्म से भी,
जो हुआ गुलाम नहीं।
सपने जिसके पराधीन नहीं,
स्वत्रंत असल में है वही।

प्रेम भाईचारा और दया,
जिसके कर्म का आधार रहें।
नैतिकता के लिए जो हुआ अधीर,
स्वतंत्र असल में है वही।

झूठ, बेईमानी और भ्रष्टाचार का,
विरोध, जिसका संघर्ष रहे।
बुराइयों का जिस पर असर नहीं,
स्वतन्त्र असल में है वही।

आत्मनिर्भर या मिलकर जिसके,
काज, मानवता पर रहे निर्भर।
जिससे नेकी भयभीत नहीं,
स्वतन्त्र असल में है वही।

वतन, तिरंगा और आजादी,
जिसका सर्वोच्च लक्ष्य रहे।
झूठ का जिस पर ज़ोर नहीं,
स्वतन्त्र असल में है वही।

मूल चित्र: Satvic Movement,YouTube

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Dr .Pragya kaushik

Pen woman who weaves words into expressions. Doctorate in Mass Communication. Media Educator Blogger ,Media Literacy and Digital Safety Mentor. read more...

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