कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
इस तरह अजय के कारण क्रिश की घर वापसी हुई। मीनल और रवि महीनों तक सदमे में थे। धीरे-धीरे समय के साथ वह ठीक हुए।
“बाय सोना! मेरा बाबू मम्मी-पापा शाम को आकर आपके साथ ख़ूब खेलेंगे और आपको पार्क भी ले जाएँगे। है न बाबू! अच्छा तुम कृश का ध्यान रखना। खाना समय पर खिलाकर सुला देना। शाम होने से पहले उठा देना नहीं तो रात में देर तक जागता है।”
मीनल ने अपनी हेल्प सरिता से कहा और फिर रवि के साथ मोटरसाइकल पर बैठकर ऑफ़िस के लिए निकल गयी।
कृश के एक साल का होते ही मीनल ने ऑफ़िस जाना फिर से शुरू कर दिया। कृश की पूरे दिन की देखभाल के लिए ही उसने सरिता को रखा था। मीनल की पड़ोस वाली भाभी के यहाँ काम करने वाली विमला ही सरिता को लेकर आयी थी। विमला मीनल के पड़ोस में काम करती थी, वह बहुत ही ईमानदार थी इसलिए मीनल ने ही उससे कहा था कि वह उसके जैसी ही कोई अच्छी केयरटेकर कृश की देखभाल के लिए भी ढूँढ दे।
शुरू-शुरू में तो क्रिश रोता था सरिता के पास, पर कुछ ही दिनों में वह उससे घुल-मिल गया। अब मीनल और रवि चिंतामुक्त होकर ऑफिस जाने लगे।
कुछ महीनों के बाद-
“हेलो रवि!”
“हाँ, अजय बोल न!”
“यार रवि, तुझसे एक बात कहनी है, पर समझ नहीं आ रहा कैसे कहूँ?”
“क्यों ऐसा क्या है? बोल?”
“यार रवि! मैं अपने ऑफ़िस के काम से बाहर निकला हूँ, एक क्लाइंट से मिलने…”
“अच्छा! तो?”
“यार! सिग्नल पर गाड़ी रुकी है और सामने एक औरत बच्चे को गोद में लिए भीख मांग रही है…”
“हाँ तो इसमें क्या नई बात है? सिग्नल पर तो अक्सर ऐसे लोग टहलते रहते हैं।”
“नहीं यार, तू समझ नहीं रहा। उस औरत की गोद में जो बच्चा है वह अपना क्रिश लग रहा है। उस बच्चे के चेहरे को कालिख से गंदा किया गया है। फिर भी यार, मैं क्रिश को पहचानने में धोखा नहीं खा सकता…”
“तू पागल हो गया है? कुछ भी कह रहा है? रुक, मैं सरिता को फोन करता हूँ।”
रवि ने अजय पर गुस्से कहते हुए सरिता को फ़ोन लगाया।
“हेलो सरिता!”
“हाँ भईया!”
“क्रिश क्या कर रहा है?”
सरिता ने सकपकाते हुए बोली, “भईया अभी अभी सोया है।”
रवि ने फिर अजय को फ़ोन लगाया और कहा, “हेलो अजय! क्रिश घर पर सो रहा है यार।”
“अरे यार रवि तू प्लीज एक बार यहां आ जा। मैंने गाड़ी बगल में लगा ली है, तू जब तक आ नहीं आता, मैं यहां से नहीं जाऊंगा।”
“अच्छा चल ठीक है। तेरी तसल्ली के लिए आता हूँ।”
रवि उस इलाके में पहुँचा। अजय उसे सिग्नल के पास ले गया।
“कोई तो नहीं है यहाँ?”
“अरे रुक न! इतने में लालबत्ती जलती है और सारे भिखारी गाड़ियों के इर्द गिर्द आ जाते हैं।”
तभी रवि की नज़र उस औरत के बच्चे पर पड़ती है। वह लड़खड़ा कर गिरने ही वाला था कि अजय उसको संभालता है। उस औरत की गोद में जो बच्चा था वह वाकई क्रिश ही था। अजय फौरन सौ नंबर डायल कर पुलिस को बुलाया। पुलिस ने आ कर उस औरत को गिरफ़्तार कर लिया। पुलिस की पूछताछ पर वह औरत ने बताया कि सरिता रोज़ ग्यारह बजे के आस पास (मतलब रवि और मीनल के ऑफ़िस जाने के लगभग दो घंटे बाद) क्रिश को उसे दे जाती है। सरिता और वो एक ही मोहल्ले में रहते हैं।
“मैं क्रिश को गरीब दिखाने के लिए फटे कपड़े पहनाकर उसके चेहरे पर काजल मल देती थी और फिर पास वाले सिग्नल पर उसे गोद में लेकर भीख मांगती थी। चार बजे उसे वापस सरिता को दे आती थी । सरिता रवि और मीनल के आने से पहले उसे फिर से नहला धुलाकर तैयार कर देती। लोग गोद में छोटे बच्चे देखकर दया दिखाते हैं और जल्दी पैसे दे देते हैं। मेरी कोई औलाद नहीं है इसलिए मैंने सरिता को पटाया कि बस तीन से चार घंटे के लिए बच्चा मुझे दे दे।
वो बेचारी गरीब और पति के इलाज के लिए पैसों की लालच में आकर मेरी बातों में आ गई। मैंने उससे कहा था कि महीना पूरा होते ही, मैं उसको उसके हिस्से के पैसे दे दूंगी। पर देखो! दस दिन ही हुआ था और मैं पकड़ी गई।”
पुलिस ने सरिता को भी गिरफ्तार कर लिया था। दोनों को गलत काम करने की सजा मिली।
इस तरह अजय के कारण क्रिश की घर वापसी हुई। मीनल और रवि महीनों तक सदमे में थी। धीरे-धीरे समय के साथ वह ठीक हुए। मीनल और रवि को इस बात की ग्लानि खाए जा रही थी कि जब वे ऑफ़िस के ए.सी में बैठे रहते थे तब उनका बच्चा चिलचिलाती धूप में सड़कों पर होता था वो भी भिखारी बनकर।
ऐसी खबरें अक्सर मेट्रो शहरों से सुनने को मिलती हैं। ऐसा नहीं है कि ऐसी बातें आम होती हैं लेकिन फिर भी आवश्यकता है सतर्क रहने की, डरने की नहीं। आप अगर अपने बच्चे को किसी बाहरवाले के भरोसे घर छोड़ कर जाते हैं तो आँख मूंदकर भरोसा न करें। यदा कदा अकस्मात आधे दिन की छुट्टी लेकर घर आ जाएं। घर में सीसीटीवी कैमरा अवश्य लगवाएं। हो सके तो बच्चे को किसी अच्छे डे-केयर में छोड़ कर जाएँ।
सतर्कता ही हमें दुर्घटना से बचा सकती है। ज़रूरी है कि आप भी चिंता मुक्त हो कर काम करें और अपने बच्चे की देखभाल भी किसी भरोसेमंद हाथों से हो।
मूल चित्र: Muralinath from Getty Images via Canva Pro
I am Maya Nitin Shukla. Mother of a son. Working as a teacher. "मैं इतनी साधारण हूं ,तभी तो असाधारण हूं" read more...
Please enter your email address