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बंगाल के पैडमैन शोभन मुखर्जी चाहते हैं पीरियड्स से जुड़ी हर बात हो निसंकोच!

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बंगाल के पैडमैन शोभन मुखर्जी पूरी कोशिश कर रहे हैं कि मासिक धर्म के बारे में बात की जाये और इसे एक अज़ीब बात न समझा जाए। 

मासिक धर्म कब तक हमारे समाज में एक हौवा बन कर रहेगा। आज भी मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता या सैनिटरी पैड की आवश्यकता जैसी बातों पर बोलने से क्या सुनने तक से लोग कतराते हैं।

पुरुष तो छोड़ो, महिला भी इस बारे में खुल कर बात करना नहीं चाहतीं। पीरियड्स पर बात करना टैबू माना जाता है। हर महीने महिलाएँ इस मासिक चक्र से गुजरती हैं और सैनिटरी पैड एक बड़ी आवश्यकता होती है। जरा कल्पना कीजिये यदि कोई महिला यात्रा कर रही है और सफ़र के दौरान यदि उसे सैनिटरी पैड की आवश्यकता हो तब उसे कितनी असुविधाओं का सामना करना पड़ता है।

आपने अक्षय कुमार की फिल्म पैडमैन अवश्य देखी होगी जो कि अरुणाचलम मुरुगनाथम के जीवन से प्रेरित होकर बनी थी l अरुणाचलम मुरुगनाथम ने मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता के बारे में समाज में जागरूकता पैदा की और कम कीमत वाली सैनिटरी पैड बनाने वाली मशीन के आविष्कार से समाज में एक सकारात्मक सोच भी पैदा की। उनके इस आविष्कार ने मासिक धर्म को एक रहस्य की तरह रखने वाली मानसिकता को काफी हद तक ख़त्म किया।

पर क्या आप पश्चिम बंगाल कोलकाता के पैडमैन शोभन मुखर्जी के बारे में जानते हैं, जिन्हें अब नया पैडमेन कहा जाता है? शोभन पूरी कोशिश कर रहे हैं कि मासिक धर्म के बारे में बात की जाये और इसे एक अज़ीब बात न समझा जाए।

बंगाल के पैडमैन शोभन मुखर्जी(Kolkata Padman Sobhan Mukherjee)

कोलकाता के शोभन मुखर्जी ने अपने कॉलेज के दिनों से एक बीड़ा उठाया और सार्वजनिक शौचालयों में बंधन सैनिटरी नैपकिन बॉक्स लगाने की शुरुआत की। उनका कहना है कि मासिक धर्म एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और यात्रा के दौरान जब किसी महिला को इसकी आवश्यकता हो तो उसे पैड खरीदने के लिए इधर उधर मदद माँगने या केमिस्ट के पास जाने की जरूरत नहीं पड़े।  उन्हें यह पैड सार्वजनिक शौचालयों पर आसानी से उपलब्ध होने चाहिए।

वर्तमान में शोभन त्रिधारा और बंधन दो परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं l त्रिधारा परियोजना के अंतर्गत वह ट्रांसजेंडरों के लिए शौचालय बनाने की मुहिम चलाते हैंl बंधन परियोजना सार्वजनिक शौचालयों में सैनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीनों की स्थापना से संबंधित है।

बंधन परियोजना

शोभन बताते हैं कि इन प्रकार की मशीनों को स्थापित करने का विचार उन्हें 2017 में आया,  जब उन्होंने देखा कि उनकी एक मित्र एक महत्वपूर्ण बैठक में सिर्फ़ इसलिए शामिल नहीं हो सकी क्योंकि अचानक मासिक धर्म होने के कारण उसे सैनिटरी नैपकिन का इंतजाम करने जाना पड़ा।  इस घटना ने शोभन को सोचने पर मज़बूर कर दिया। उन्होंने सोचा यदि सार्वजनिक शौचालयों में सैनिटरी पैड रखने की व्यवस्था होती तो उनकी मित्र को मीटिंग छोड़ कर केमिस्ट के पास नहीं जाना पड़ता।

बंधन बॉक्स एक कार्टन बॉक्स है जिसे सार्वजनिक वॉशरूम में सैनिटरी नैपकिन को स्टॉक करने के लिए बनाया गया है।” कुछ वर्ष पूर्व शोभन की तस्वीर वायरल हुई थी जिसमें वह अपनी मां के साथ सैनिटरी नैपकिन पैक कर रहे थे। इस तस्वीर ने उनके प्रयासों की ओर लोगों का ध्यान खींचा।

धीरे – धीरे बंगाल के पे-ऐंड-यूज टॉइलट्स में सैनिटरी नैपकिन की वेंडिंग मशीनें लगने लगी हैं और शोभन मुखर्जी इनकी संख्या का विस्तार करने का प्रयास कर रहे हैं। वह विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों में प्रदर्शन कर मासिक धर्म चक्र और स्वच्छता के बारे में जानकारी भी देते हैं जिससे लोगों में जागरूकता आए । शोभन ‘काबी कोलोम’ नामक पत्रिका के संस्थापक-संपादक भी हैं।

त्रिधारा पहल में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए अलग शौचालय और बसों में सीटों का आरक्षण 

त्रिधारा पहल के बारे में उनके विचार हैं कि “हर ट्रांसमेन और ट्रांसवुमेन को हार्मोन परिवर्तन के कारण  असमय मासिक धर्म से गुज़रना पड़ता है।”

इस पहल के तहत वह उनके लिए अलग शौचालय की माँग कर रहे हैं। उनका कहना है कि केवल सोशल मीडिया पर पोस्ट करने भर से या मुफ्त सलाह देने से जागरूकता नहीं फैलती। त्रिधारा ने उन्हें भुगतान और उपयोग शौचालय की सुविधा दी है।”

कुछ साल पहले उनकी एक परिचित ट्रांसजेंडर को मेट्रो ट्रेन से इसलिए उतार दिया गया था क्योंकि वह महिलाओं की सीट पर जाकर बैठ गई थी। इस घटना के बाद से ही उन्होंने प्रण लिया कि महिलाओं, दिव्यांगों व वरिष्ठ नागरिकों की तरह ही ट्रांसजेंडरों के लिए भी आरक्षित सीटों की व्यवस्था करने के मुहिम चलाएँगे और अब उनकी पहल पर पहली बार कोलकाता में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए गैरसरकारी बसों में सीटें आरक्षित होने जा रही हैं।

उन्होंने गैरसरकारी बस मालिकों के संगठन को इस बाबत प्रस्ताव दिया था, जिसे उन्होंने मान लिया है, हालांकि कई चरणों में सभी बसों में सीटें आरक्षित होंगी। शोभन अन्य रूटों के बस मालिकों से भी बातचीत कर रहे हैं ताकि जल्दी ही वहाँ भी किन्नरों के लिए आरक्षित सीटों की व्यवस्था हो जाए।

शोभन के प्रयास से ही कोलकाता नगर निगम के तहत संचालित होने वाले शौचालयों में ट्रांसजेंडरों के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था संभव हो पाई है। शोभन पाँच रूपये में इन शौचालयों में महिलाओं को सैनेटरी नेपकिन भी उपलब्ध कराते हैं।

उन्होंने एक  सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम  का आयोजन किया था जिसके दौरान बंगाल की पहली महिला ओला ड्राइवर रूपा चौधरी और उन्होंने मिलकर विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस पर सैनिटरी नैपकिन के बारे में जागरूकता फैलाई।

शोभन ने पे-ऐंड-यूज टॉयलेट में सैनिटरी नैपकिन का वेंडिग बॉक्स लगाने का काम शुरु किया है। शुरुआत में शोभन ने इस काम के लिए अपनी पॉकेट मनी खर्च की। बाद में उन्हें कई अन्य लोगों से मदद भी मिलने लगी। पर अभी भी इस दिशा में निरंतर काम करने की आवश्यकता है।

शोभन जैसे अनेक युवा देश के लिए एक आशा की किरण हैं जो कुछ अलग सोचते हैं और समाज में फैले कुछ टेबू से अलग हटकर बात करने की और काम करने की ओर अग्रसर हैं।

इमेज सोर्स : Sobhan Mukherjee/Instagram & TOI 

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SHALINI VERMA

I am Shalini Verma ,first of all My identity is that I am a strong woman ,by profession I am a teacher and by hobbies I am a fashion designer,blogger ,poetess and Writer . मैं सोचती बहुत हूँ , विचारों का एक बवंडर सा मेरे दिमाग में हर समय चलता है और जैसे बादल पूरे भर जाते हैं तो फिर बरस जाते हैं मेरे साथ भी बिलकुल वैसा ही होता है ।अपने विचारों को ,उस अंतर्द्वंद्व को अपनी लेखनी से काग़ज़ पर उकेरने लगती हूँ । समाज के हर दबे तबके के बारे में लिखना चाहती हूँ ,फिर वह चाहे सदियों से दबे कुचले कोई भी वर्ग हों मेरी लेखनी के माध्यम से विचारधारा में परिवर्तन लाना चाहती हूँ l दिखाई देते या अनदेखे भेदभाव हों ,महिलाओं के साथ होते अन्याय न कहीं मेरे मन में एक क्षुब्ध भाव भर देते हैं | read more...

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