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पैरों में समाज के ताने-बाने पहनाकर, लोग क्या कहेंगे से दहलीज़ ना पार करना सिखाया,मूरत पूरी रंग-बिरंगे रंगों से भरकर, बस एक रंग ना भरा...
पैरों में समाज के ताने-बाने पहनाकर, लोग क्या कहेंगे से दहलीज़ ना पार करना सिखाया, मूरत पूरी रंग-बिरंगे रंगों से भरकर, बस एक रंग ना भरा…
मैं एक ज़िंदगी रुपी कैनवस हूं!
किसी ने आकर औरत का आकार दिया, प्रेम के रंगों से मुझे सजाया संवारा, बलिदान की मूरत से शक्ल बनाई, आंखों में इज्ज़त का वास दिखाया।
दिल में त्याग और ममता का रंग भरा, हाथों में जिम्मेदारियों की बेड़ी पहनाई, परंपराओं के पल्लू को उड़ाकर, कानों में सिर्फ़ आज्ञा मानना बताया।
पैरों में समाज के ताने-बाने पहनाकर, लोग क्या कहेंगे से दहलीज़ ना पार करना सिखाया, मूरत पूरी रंग-बिरंगे रंगों से भरकर, बस मनचाही आज़ादी का रंग भरना छोड़ दिया।
इमेज सोर्स : Oliver Xi from Pexels via Canva Pro
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