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उस लड़के की पहली पत्नी आग लगाकर मर गई थी और एक छोटा बच्चा भी था। वे लोग इतने रसूख वाले आदमी थे कि लड़की वाले उन पर मुकदमा तक नहीं चला सके।
रात के 10 बज रहे थे और अभी तक जया किचन समेटकर पढ़ने नहीं बैठ पाई थी। यह केवल एक दिन की ही बात नहीं थी, यह तो रोज़ की ही बात थी! सारे घर का काम करना, दिनभर सब के ताने सुनना और हमेशा घर में कैद रहना यही उसकी दिनचर्या थी।
उसकी उम्र की सभी लड़कियां कॉलेज जाती थी बस वही घर में रहकर प्राइवेट परीक्षा देने की तैयारी कर रही थी, वह भी केवल अपने पापा की कृपा से! बाकी परिवार तो उसे देखना ही नहीं चाहता था। भाई-भाभी से तो कोई आशा की ही नहीं जा सकती थी जब उसकी अपनी मां भी उससे कभी सीधे मुंह बात नहीं करती थी।
बस एक गलती हुई और जया के सारे जीवन में अंधकार छा गया।
जया जब 12वीं में पढ़ रही थी तब कोचिंग पढ़ने साइकिल से कोचिंग इंस्टीट्यूट जाया करती थी। बहुत मुश्किल से तो घर में उसे साइंस लेने की परमिशन मिली थी क्योंकि रूढ़िवादी परिवार में सब का मानना था कि लड़कियों को बस शादी लायक पढ़ा-लिखा कर जल्दी से जल्दी शादी कर दी जाए वही अच्छा है।
जया पढ़ने में तेज थी इसलिए उसने पापा से अपनी बात मनवा ली और शाम को कोचिंग पढ़ने भी जाने लगी। उसका सपना डॉक्टर बनने का था। उसका सहपाठी नितिन जो घर के पास ही रहता था, वह भी साइकिल से कोचिंग पढ़ने जाता था।
अक्सर दोनों एक साथ ही आते-जाते थे और बात करते रहते थे। चढ़ती हुई उम्र में वे समझ ही नहीं सके कि कब उनकी बातचीत प्रेम में बदल गई। जया अपने सपनों को तिलांजलि देकर उससे विवाह के लिए तैयार हो गई लेकिन जानती थी कि उसके घर में इस बात को कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा।
नितिन भी नौकरी तो करता नहीं था इसलिए जानता था कि उसके घर वाले भी नहीं मानेंगे। दोनों ने निश्चय किया कि घर से कहीं भाग चलते हैं और विवाह कर के छोटी-मोटी नौकरी तलाश के अपनी पढ़ाई पूरी करते रहेंगे। लक्ष्य पाने के बाद सबके सामने आ कर सबको चौंका देंगे।
कम उम्र के काल्पनिक व एक तरह से मूर्खतापूर्ण सपने देख कर वे घर से भाग गए। दूसरे शहर में पहुंचे और किसी तरह से एक होटल में अपने रहने का इंतजाम किया। होटल वाले को शक हो गया और उसने पुलिस में शिकायत कर दी।
पुलिस की पूछताछ करते ही कोई बात छुपी नहीं रही और पुलिस ने दोनों के माता-पिता को बुलाकर उन्हें सौंप दिया। नितिन का जो हुआ सो हुआ पर जया के परिवार वाले तो उसे घर लाना ही नहीं चाहते थे। लेकिन मजबूर थे कि पुलिस से कैसे मना करते।
उसे घर तो लाना पड़ा पर पूरे मोहल्ले को पता चल गया। वे छोटे शहर में रहते थे जहां इसे अपराध या पाप की श्रेणी में रखा गया। ना जाने कितने व्यंग्य बाण जया के माता-पिता और भाई को सहने पड़े। जया की सहेलियों के माता-पिता ने उससे मिलने के लिए अपनी बेटियों को मना कर दिया। कॉलेज जाना भी छूट गया। कामवाली घर की बातें नमक मिर्च लगाकर मोहल्ले में बताती, इसलिए सुधा ने उसे भी हटा दिया और अब जया ही सारे काम करने लगी।
परीक्षा परिणाम आया और जया 12वीं में प्रथम श्रेणी से पास हुई थी। कॉलेज भेजने का तो कोई सवाल ही नहीं था क्योंकि जया को उसके सहपाठी ही अपने व्यंग्य बाणों से भेद डालते तथा उसके माता-पिता को भी ना जाने क्या-क्या और सुनना पड़ता।
पापा ने उसका बी. ए. का प्राइवेट फॉर्म भरवा दिया। पूरे घर के काम करते-करते उसे पढ़ने का समय नहीं मिलता था जैसे-तैसे रात को देर तक जागकर पढ़ाई करती थी। जया और नितिन दोनों से गलती हुई थी पर सजा जया को ही मिल रही थी।
नितिन के माता पिता ने उसे पढ़ने के लिए दूसरे शहर में भेज दिया और शायद भूल भी गए कि नितिन ने कोई गलती की थी। नितिन के लिए किसी के मन में गुस्सा नहीं था क्योंकि उन्हें लगता था एक पढ़ने वाले लड़के को जया जैसी आवारा लड़की ने फंसा लिया। सब संतुष्ट थे कि अब नितिन सही रास्ते पर आ गया और उसका भविष्य बन जाएगा लेकिन जया की चिंता किसी को नहीं थी।
ऐसे ही समय चलता गया। जया मेहनत करके पढ़ रही थी। होशियार तो थी ही। प्राइवेट पढ़ाई में भी उसने बहुत अच्छे अंक प्राप्त किए और यूनिवर्सिटी में भी स्थान पाया। उनके परिवार के हिसाब से अब जया का विवाह कर देना चाहिए था परंतु अभी भी उसकी बदनामी कम नहीं हुई थी इसलिए कोई अच्छा रिश्ता नहीं मिल पा रहा था।
ना जाने कहां से उसके ताऊजी एक रिश्ता लेकर आए और उसके पापा को मजबूर करने लगे कि वहां जया की शादी कर देनी चाहिए। उस लड़के की पहली पत्नी आग लगाकर मर गई थी और एक छोटा बच्चा भी था। वे लोग इतने रसूख वाले आदमी थे कि लड़की वाले उन पर मुकदमा तक नहीं चला सके। जया के ताऊ जी को यह रिश्ता होने से लाभ था क्योंकि ऐसे रसूख वाले व्यक्ति उनके रिश्तेदार बन जाते। वह बार-बार रिश्ते के लिए दबाव डालने लगे।
सुधा भी रिश्ता करने के लिए तैयार हो गई क्योंकि उन्हें लग रहा था कि और कोई लड़का तो मिल ही नहीं सकता और ऐसी लड़की को घर से फटाफट ससुराल भेज दिया जाए।
सब तैयारियां शुरू होने वाली थीं कि एक दिन अचानक जया के पापा बोल उठे, “मैंने अपनी बेटी को बहुत दिन दंड दे दिया अब मैं उसे और दंड नहीं दे सकता। वह इतने अच्छे अंकों से पास हुई है मैं उससे अन्याय नहीं कर सकता। अब उसे कंपटीशन की तैयारी करवाऊंगा और वह कोचिंग भी जाएगी। मेरी बेटी ने गलती की लेकिन ऐसी भी नहीं कि उसे उसकी सज़ा अपनी ज़िन्दगी खराब करके काटनी पड़े- डॉक्टर बनने का सपना छोड़कर और परिवार व समाज से अपमान करवाकर।
मुझे उसकी बुद्धिमानी पर कोई संदेह नहीं है। अब वह अपने जीवन का सही लक्ष्य प्राप्त के प्रायश्चित भी कर लेगी। हो गयी गलती! बच्चे से गलती हो सकती है, लेकिन इसके लिए उसे उतना ही दंड देना चाहिए जितना आवश्यक हो। ऐसा विवाह करके मैं उसे उम्र कैद के समान सजा नहीं दे सकता।”
ना जाने कितने लंबे समय से आंसुओं को समेटे जया आकर के पापा के गले से लग गई और उसके आंसुओं ने उन्हें वचन दे दिया कि वह इस बार उनका मस्तक झुकने नहीं देगी बल्कि गर्व से ऊंचा कर देगी।
इमेज सोर्स: Still from Short Film Dark Skin/ContentkaKeeda via YouTube
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