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मम्मीजी जी ने ये कह फ़ोन रख दिया कि देखना कोई कमी ना रह जाये, लेकिन ये पूछना तो भूल ही गईं कि "तुम्हें आटे का हलवा तो बनाने आता है ना?"
मम्मीजी जी ने तो ये कह फ़ोन रख दिया कि देखना कोई कमी ना रह जाये लेकिन वो ये पूछना तो भूल ही गईं कि “निशा तुम्हें हलवा तो बनाने आता है ना? वो भी आटे का?”
निशा ने सुना था कि देवर बिना लड़कियों का भी ससुराल अधूरा होता है। देवर और भाभी का रिश्ता होता ही कुछ ऐसा है। भाभी जहाँ देवर में भाभी छोटा भाई ढूढ़ती हैं, वहीं देवर भाभी में वो दोस्त ढूंढ़ता है जिसके साथ वो अपने दिल की हर बात बाँट सकें। तभी तो अक्सर भाभियाँ पुल बनती हैं देवर और घर वालों के बीच।
कुछ ऐसे ही देवर की कल्पना कर निशा ने अपने ससुराल में कदम रखा था। ससुराल भरा पूरा था पति रमन, सास-ससुर, छोटे देवर अनूप और दो शादीशुदा ननंद। जल्दी ही निशा अपने ससुराल में घुल-मिल गई।
‘हम आपके है कौन’ देख-देख जिस चुलबुले देवर की कल्पना निशा ने की थी उसके बिलकुल अलग मिजाज के देवर निकला अनूप। निशा के सोच से बिलकुल अलग, अनूप खुद में ही रहने वाला निकला। ज्यादातर समय प्रतियोगिती परीक्षा की तैयारी में व्यस्त रहता अनूप। निशा कभी बात करने की कोशिश भी करती तो “हां-हूँ” में ज़वाब दे रह जाता अनूप।
“हे भगवान मुझे ही मिलना था ऐसा देवर?” मन ही मन निशा ने सोच लिया था कि ये देवर जी तो बड़े घमंडी हैं। अनूप काम से काम रखता तो अब निशा ने भी उसे बोलना टोकना छोड़ दिया।
ऐसे ही एक दिन निशा के सास-ससुर किसी काम से दूसरे शहर गए और पीछे रह गए अनूप, रमन और निशा। सुबह का खाना नाश्ता बना निशा अपने कमरे में गई ही थी की फ़ोन बज उठा देखा तो सासूमाँ का कॉल था।
“प्रणाम मम्मीजी! कैसी हैं आप?”
“मैं ठीक हूँ बेटा। अच्छा मेरी बात सुनो बेटा, आज बड़े समधी जी कुछ काम से हमारे शहर आये हैं, तो शाम को कुछ देर के लिये घर भी आयेंगे। ऐसे में कुछ हल्का नाश्ता बना लेना और हां उन्हें हलवा बहुत पसंद है, वो भी आटे का, तो अच्छे से घी और मेवे डाल हलवा भी बना लेना। देखना कुछ कमी ना रह जाये।”
थोड़ा बहुत रसोई का काम तो निशा की मम्मी ने शादी के पहले सीखा दिया था लेकिन हल… वा… वा…! वो तो निशा ने कभी बनाया ही नहीं था। ऐसे में जब मम्मीजी ने कहा तो नई-नई शादी में शर्म से निशा कुछ बोल भी ना पायी।
“बोला था ना सब कुछ सीख ले अच्छे से, लेकिन नहीं तुझे तो माँ की बात सुननी ही नहीं है।” निशा की माँ ने भी खुब डांट लगाई जब उन्हें पता चला घर के बड़े समधी जी आ रहे हैं और उन्हें हलवा बेहद पसंद है।
“माँ, अब रेसिपी बताओगी? डांट किसी और दिन लेना…”, रुआँसी हो निशा ने कहा तो माँ ने झट सब कुछ समझा दिया।
शाम होने से पहले ही बैठक अच्छे से निशा ने सजा दिया साथ में नई क्रोकरी सेट भी। नमकीन, सूखे मेवे, दो तीन तरह की मिठाइयाँ प्लेट में सजा निशा लग गई हलवे की तैयारी में। जैसे-जैसे माँ ने बोला था ठीक वैसे ही याद कर कर के निशा ने शुरू कर दिया आटा भूनना। अच्छे से घी भी डाला, सूखे मेवे भी, लेकिन जैसे ही पानी डाला हलवा हलवा ना बन लेइ जैसा बन गया।
निशा को काटो तो खून नहीं, जैसी स्तिथि हो गई। ऑंखें भर आयी ये सोच कि पहली बार मम्मीजी ने कोई जिम्मेदारी दी थी, वो भी तब जब घर में बड़ी नन्द के ससुर जी आने वाले थे और उसने सब कुछ ख़राब कर दिया। अब क्या होगा? कितनी बेइज्जती होगी मम्मीजी-पापाजी की और मेरा जो होगा सो होगा ही। ये सोच सोच निशा के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे।
“भाभी, अंकल जी का कॉल आया था बस थोड़ी देर नाश्ता करने को ही रुकेंगे उन्हें कुछ काम है…”
रसोई में ख़बर देने आये अनूप, निशा को यूं रोते देख घबरा उठा।
“क्या हुआ भाभी? आप रो क्यों रही है कुछ हुआ क्या?”
इतने में यूं अपनी भाभी को जोर जोर से रोता देख परेशान अनूप की नज़र चूल्हे पे रखे हलवे पे गई और एक पल नहीं लगा समझते की क्यों निशा भाभी इतना रो रही है।
झट से अनूप ने कड़ाई संभाली और कुछ मिनटों में शानदार आटे का हलवा तैयार कर मेवे से सजा प्लेट में लगा दिया। हलवे की खुश्बू ऐसी की गली तक सबके मुँह में पानी आ जाये।
निशा तो बस हैरान ऑंखें फाड़-फाड़ अपने छुपे रुस्तम देवर जी को देखे जा रही थी।
“क्या भाभी बस इतनी सी बात के लिये आप रो रही थीं? मुझसे बोला होता मम्मी ने हम भाई बहनों को अच्छी ट्रेनिंग दे रखी है।” इतना कह हँसता हुआ अनूप रसोई से चला गया।
निशा को आज अपने भाग्य पे रस्क हो आया था की ऐसा सुलझा ससुराल मिला उसे जहाँ उसकी कमियों को गिना उसे नीचा नहीं बल्कि उसका साथ दे उसका मान बढ़ाया जाता है। निशा को खुद पे शर्म भी आ रही थी की जिस देवर को उसने घमंडी समझा वो कितना सुलझा हुआ निकला। ऐसे छुपे रुस्तम देवर जी के लाखों बलैया ले निशा नाश्ते की ट्रे उठा चल पड़ी शानदार हलवा जो खिलाना था बड़े समधी जी को।
इमेज सोर्स : Still from Havells Appliances Coffee Maker Ad- Respect For Women via YouTube(for representational purpose only)
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