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हमें रावण दहन की शरुआत अपने ही घर से करनी होगी…

दशहरे के मेले में रावण दहन देखने एकत्रित भीड़ के बीच भी मौका पाकर कुछ लोग महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार करते हैं। कहीं ये लोग आपके घर के तो नहीं?

दशहरे के मेले में रावण दहन देखने एकत्रित भीड़ के बीच भी मौका पाकर कुछ लोग महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार करते हैं। कहीं ये लोग आपके घर के तो नहीं?

पुतले रूपी रावण दहन की हार्दिक शुभकामनाएं आप सभी को!

सुनने में थोड़ा अजीब लग रहा होगा लेकिन यही सच है।

हम दशहरा तो मनाते है लेकिन उसके सन्देश को ना तो अपनाते हैं ना ही किसी और को अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं। क्योंकि शायद हम इसका मतलब भूल गए कि हम रावण दहन क्यों करते हैं।

क्या सच मे हम रावण दहन का मतलब जानते हैं?

हर साल या यूं कहें कई युगों से हम इस परंपरा को निभाते चले आ रहे हैं। रावण रूपी पुतले को जलाकर हम जश्न मनाते हैं। लेकिन आज मैं यहाँ उन रावणों की बात करूंगी जो आज भी मानव रूप में हमारे समाज मे व्याप्त हैं, जिसकी शिकार आज भी सिर्फ हर लड़की, शादी-शुदा महिलाओं से लेकर बूढ़ी औरतें और बच्चियां भी होती हैं।

क्या आप बता सकते हैं कि उन रावणों का दहन कब होगा?

कब ये समाज हम महिलाओं के लिए सुरक्षित होगा? जब महिलाएं भी इस समाज मे समानता और सम्मान से निर्भीक होकर अपनी जिंदगी जी सकेंगी।

दशहरा ये पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक मनाया जाता है। सीता जी के सम्मान की रक्षा करने के लिए राम ने रावण का वध किया था। ये घटना समाज को ये सन्देश देती है कि एक औरत के अपमान करने की सजा क्या होती है?

लेकिन अफसोस हमारा समाज हमेशा इस संदेश को अनदेखा कर देता है। इसी कारण दशहरे के मेले में रावण दहन देखने एकत्रित भीड़ के बीच भी मौका पाकर कुछ लोग महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार करते हैं। भीड़ की आड़ में महिला के निजी अंगों को छूने की कोशिश या अभद्र इशारे तक करते हैं।

उन्हें इस बात से भी कोई फर्क नही पड़ता कि महिला की उम्र क्या है? तीन, तेरह, या तीस उम्र चाहें कुछ भी हो, महिला साड़ी में हो या जीन्स में, उन्हें तो अपनी हवस के आगे कुछ नहीं दिखता।

इस दशहरे पर मैं अपने लेख के माध्यम से आप सबसे कहना चाहूंगी कि अगर एक पुरुष में  रावण होता है तो राम भी होते हैं, लेकिन राम की संख्या हमारे समाज मे अभी कम है या यूँ कहें उनकी आवाज़ दबी हुयी है। इसलिए ये हम महिलाओं की भी जिम्मेदारी बनती है कि हम अपने बेटों को बचपन से ही महिलाओं का आदर-सम्मान करना सिखायें, जिससे बड़े होकर वो महिलाओं का सम्मान करना सीखें ना कि उन्हें उपभोग की वस्तु समझें।

समाज मे व्याप्त ऐसे पुरुषों से, जो महिलाओं को इज्जत सम्मान करते हैं, भी मेरी विनती है कि वो भी अपने भाई, पिता दोस्त, बन्धु बांधवों को भी महिलाओं की इज्ज़त और सम्मान करने के लिए प्रेरित करें। ना कि ये कहकर बचें कि, “अरे! वो तो ऐसा ही है।” या “ये हमारा मैटर नहीं है।”

आप सभी से कहना चाहूंगी कि राम के दिये सन्देश को समझें। और ऐसे असुरों के खिलाफ अपने आवाज को बुलंद कीजिये। खुद की और खुद के घर की महिलाओं की आवाज को समाज के डर से दबने मत दीजिए।

ये हम महिलाओं को चुप कराने और उनको बर्दाश्त करने की सीख देने के कारण भी आज समाज मे ऐसे असुर विद्यमान हैं जो महिलाओं के साथ हर प्रकार के अपराध में शामिल हैं। क्योंकि इन्हें महिलाओं की कमजोरी पता है। उन्हें लगता है कि महिला परिवार, समाज और लोक लाज के डर से चुप रह जायेगी।

अपने मौन को तोड़िये और आवाज को बुलंद कीजिए, समाज मे व्याप्त ऐसे दानवों के प्रति क्योंकि इनको आज ना रोका गया तो ये समुदाय कल और बड़ा हो जाएगा। और हम महिलाओं की ज़िन्दगी में रावण ही रावण होंगे!

इमेज सोर्स : Still from Telugu Short Film Seetha, YouTube

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